नकारात्मकता को पहचाने बिना उसे सकारात्मकता में नही बदला जा सकता है। नकारात्मकता क्या है ? इसे समझने हम अपने महाकाव्यों में झांकते हैं। रामायण के युद्ध के पीछे क्या कारण है ? लक्ष्मण भैया द्वारा शूर्पनखा की नाक काटना है। नाक काटना अर्थात किसी प्रकार की शारीरिक हिंसा सकारात्मक नहीं हो सकती। सारा जगत रावण को दोष देता है लेकिन लक्ष्मण की नकारात्मकता को हम नहीं देख पाते हैं। आपको अगर कोई महिला शादी का प्रस्ताव रखे या प्रेम का स्वांग रचे तो क्या आप उसकी नाक काट देंगे ?
इसी तरह महाभारत के मूल में भी नकारात्मकता ही है। दुर्योधन द्वारा हस्तिनापुर के पाण्डवों के महलों में फिसलने पर द्रोपदी का हंसना नकारात्मकता है। व्यंग्य मारना कि अन्धे का बेटा अन्धा ही होता है, नकारात्मकता है। क्या दुर्योधन ने साड़ी इसलिये नहीं खींची थी ? हंसने की बजाय द्रोपदी को क्षमा मांगते हुए अपने जेठजी की मदद को दौड़ना था। यह होती सकारात्मकता।
किसी की बुराई करना, आलोचना करना नकारात्मकता है। पर में कमजोरियां खोजना, उसका अहित चाहना, भय, शक, सन्देह करना भी नकारात्मकता की श्रेणी में आते हैं। स्वयं को हीन समझना, स्वयं को धिक्कारना, पछताना, रोना नकारात्मकता है।
अपने जीवन से सभी प्रकार की नकारात्मकता को समाप्त करना होगा। नकारात्मकता हमारे विकास में बाधक है। नकारात्मकता की मात्रा ज्यों-ज्यों घटती है त्यों-त्यों सकारात्मकता की मात्रा बढ़ती जाती है। हमारे सोच, बोली एवं व्यवहार में सकारात्मकता झलकनी चाहिये। अपने सोच को रचनात्मक बनायें। अपनी उर्जा को उपयोग की दिशा में लगाएं।
5000 स्कूलों कॉलेजों में और 800 जेलों कारगृहो में नैतिक मूल्यों का पाठ पढाकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज है
Thursday, September 1, 2011
सकारात्मकता की कोई सीमा नहीं होती है ,हम अक्सर जीवन में बहुत जल्द ही हताश हो जाते है मगर जीवन हमें कई मोके देता है ! हमें तब तक हार नहीं मानना चाहिए ज
शायद किसी ने सच ही कहा है की सकारात्मकता की कोई सीमा नहीं होती है ,हम अक्सर जीवन में बहुत जल्द ही हताश हो जाते है मगर जीवन हमें कई मोके देता है ! हमें तब तक हार नहीं मानना चाहिए जब तक तक हमारी आखरी साँस चलती रहे ! अक्सर एसा होता की हम जिस चीज को हमारी हार मान लेते हे उसी से कभी कभी हमारी जिन्दगी बच जाती है ! एसा ही एक वाकया हे –
एक बार समुद्र तट पर रहने वाले कुछ मछवारे मछलिया पकड़ने के लिए समुद्र में बहुत दूर तक निकल गए , उन्हें आते आते शाम होने लगी तभी समुद्र में अचानक एक तूफान आया और मछ्वारो की साँसे ऊपर निचे होने लगी ,भयंकर तूफान में फसे मछ्वारो की नाव रास्ता भटकने लगी सारे लोग तितर-बितर होने लगे ! उधर दूसरी और समुद्र तट पर मछ्वारो का पूरा परिवार उनके बीबी-बच्चे उनके सकुशल आने के लिए रास्ता देखने लगे ,प्रार्थनाये करने लगे ! मगर तूफान अपनी गति को और अधिक बडाये ही जा रहा था !बहुत रात हो चुकी थी और भयंकर बारिश हो रही थी ! मछ्वारो का पूरा परिवार हाथ जोड़ कर इश्वर से प्रार्थना कर रहा था की उनके पति सही सलामत लोट आये !मगर इस तूफानी रात में उनका सकुशल लोटना नामुमकिन था ! मगर तभी इश्वर का चमत्कार हुवा और किनारे पर खड़े परिजनों को एक नाव आती दिखाई दी उनके अन्दर उम्मीद की लहर दोड़ पड़ी और अचानक एक एक करके सारे मछवारे सकुशल लोट आये ! सभी परिवार बहुत खुश थे बीबी बच्चे जश्न मन रहे थे ,तभी एक मछवारे ने उसकी पत्नी के चेहरे पर उदासी देखि तो उसने पूछा क्यों प्रिये क्या मुझे सही सलामत पाकर तुम खुश नहीं हुई !पति के वचन सुनकर उस स्त्री की आँखों से आंसू झलक गए और उसने बिलखते हुए कहा हे प्राणनाथ अब हमारे पास कुछ नहीं बचा हमारी जो एक मात्र झोपडी थी वह कल रात के तूफान में आग लगने की वजह से जलकर राख हो गयी !
पत्नी की बाते सुनकर पति जोर से हँसा और कहा अरे पगली शुकर मना उस ऊपर वाले का, के कल रात हमारी झोपडी में आग लग गई ,क्युकी कल रात रास्ता भटकने के बाद हम उसी जलती हुई झोपडी को अपनी मंजिल समझ कर किनारे पर आ सके अगर कल रात हमारी झोपडी नहीं जलती तो शायद हममे से कोई भी जिन्दा वापस नहीं आ पता ! पति की यह बात सुनकर पत्नी ने उसे अपने गले से लगा लिया और अपना घर खोने के गम को भी भुला दिया !
जरा सोचिये इश्वर हमें हमारी गलती सुधारने के कितने मोके देता है ,और हम उन मोको को समझ नहीं पाते और अंत में इश्वर को दोष देते है और कहते है की हमें पर्याप्त साधन नहीं मिले ! और अपने आप को नकारात्मकता के समंदर में एसा धकेलते है की वापस किनारे पर आना संभव नहीं होता ! इसिलए इस युवा पीडी से अपील हे की नकारात्मक सोच को त्याग कर सकारात्मक सोच को विकसित करे और अपना एवं समाज का विकास करे !
जय धाकड़
एक बार समुद्र तट पर रहने वाले कुछ मछवारे मछलिया पकड़ने के लिए समुद्र में बहुत दूर तक निकल गए , उन्हें आते आते शाम होने लगी तभी समुद्र में अचानक एक तूफान आया और मछ्वारो की साँसे ऊपर निचे होने लगी ,भयंकर तूफान में फसे मछ्वारो की नाव रास्ता भटकने लगी सारे लोग तितर-बितर होने लगे ! उधर दूसरी और समुद्र तट पर मछ्वारो का पूरा परिवार उनके बीबी-बच्चे उनके सकुशल आने के लिए रास्ता देखने लगे ,प्रार्थनाये करने लगे ! मगर तूफान अपनी गति को और अधिक बडाये ही जा रहा था !बहुत रात हो चुकी थी और भयंकर बारिश हो रही थी ! मछ्वारो का पूरा परिवार हाथ जोड़ कर इश्वर से प्रार्थना कर रहा था की उनके पति सही सलामत लोट आये !मगर इस तूफानी रात में उनका सकुशल लोटना नामुमकिन था ! मगर तभी इश्वर का चमत्कार हुवा और किनारे पर खड़े परिजनों को एक नाव आती दिखाई दी उनके अन्दर उम्मीद की लहर दोड़ पड़ी और अचानक एक एक करके सारे मछवारे सकुशल लोट आये ! सभी परिवार बहुत खुश थे बीबी बच्चे जश्न मन रहे थे ,तभी एक मछवारे ने उसकी पत्नी के चेहरे पर उदासी देखि तो उसने पूछा क्यों प्रिये क्या मुझे सही सलामत पाकर तुम खुश नहीं हुई !पति के वचन सुनकर उस स्त्री की आँखों से आंसू झलक गए और उसने बिलखते हुए कहा हे प्राणनाथ अब हमारे पास कुछ नहीं बचा हमारी जो एक मात्र झोपडी थी वह कल रात के तूफान में आग लगने की वजह से जलकर राख हो गयी !
पत्नी की बाते सुनकर पति जोर से हँसा और कहा अरे पगली शुकर मना उस ऊपर वाले का, के कल रात हमारी झोपडी में आग लग गई ,क्युकी कल रात रास्ता भटकने के बाद हम उसी जलती हुई झोपडी को अपनी मंजिल समझ कर किनारे पर आ सके अगर कल रात हमारी झोपडी नहीं जलती तो शायद हममे से कोई भी जिन्दा वापस नहीं आ पता ! पति की यह बात सुनकर पत्नी ने उसे अपने गले से लगा लिया और अपना घर खोने के गम को भी भुला दिया !
जरा सोचिये इश्वर हमें हमारी गलती सुधारने के कितने मोके देता है ,और हम उन मोको को समझ नहीं पाते और अंत में इश्वर को दोष देते है और कहते है की हमें पर्याप्त साधन नहीं मिले ! और अपने आप को नकारात्मकता के समंदर में एसा धकेलते है की वापस किनारे पर आना संभव नहीं होता ! इसिलए इस युवा पीडी से अपील हे की नकारात्मक सोच को त्याग कर सकारात्मक सोच को विकसित करे और अपना एवं समाज का विकास करे !
जय धाकड़
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