Monday, January 31, 2011

''मीठे बच्चे - ब्रह्मा बाबा शिवबाबा का रथ है, दोनों का इकट्ठा पार्ट चलता है, इसमें जरा भी संशय नहीं आना चाहिए''

28-01-2011
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - ब्रह्मा बाबा शिवबाबा का रथ है, दोनों का इकट्ठा पार्ट चलता है, इसमें जरा भी संशय नहीं आना चाहिए''

प्रश्न: मनुष्य दु:खों से छूटने के लिए कौन सी युक्ति रचते हैं, जिसको महापाप कहा जाता है?

उत्तर: मनुष्य जब दु:खी होते हैं तो स्वयं को मारने के (खत्म करने के) अनेक उपाय रचते हैं। जीव घात करने की सोचते हैं, समझते हैं इससे हम दु:खों से छूट जायेंगे। परन्तु इन जैसा महापाप और कोई नहीं। वह और ही दु:खों में फँस जाते हैं क्योंकि यह है ही अपार दु:खों की दुनिया।

धारणा के लिए मुख्य सार:

1) कभी भी छुई-मुई नहीं बनना है। दैवीगुण धारण कर अपनी चलन सुधारनी है।

2) बाप का प्यार पाने के लिए सेवा करनी है, लेकिन जो दूसरों को सुनाते, वह स्वयं धारण करना है। कर्मातीत अवस्था में जाने का पूरा-पूरा पुरुषार्थ करना है।

वरदान:- अपनी विजय वा सफलता को निश्चित समझकर सदा निश्चिंत रहने वाले निश्चयबुद्धि भव

जो बच्चे सदा बाप में, स्वयं के पार्ट में और ड्रामा की हर सेकण्ड की एक्ट में 100 प्रतिशत निश्चयबुद्धि हैं उनकी विजय वा सफलता निश्चित है। निश्चित विजय होने के कारण वे सदा निश्चिंत रहते हैं। उनके चेहरे से चिंता की कोई भी रेखा दिखाई नहीं देगी। उन्हें सदा निश्चय रहता है कि यह कार्य वा यह संकल्प सिद्ध हुआ ही पड़ा है। उन्हें कभी किसी बात में क्वेश्चन नहीं उठ सकता।

स्लोगन: सुनने-सुनाने में भावना और भाव को बदल देना ही वायुमण्डल खराब करना है।
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''मीठे बच्चे - तुम्हारी याद की यात्रा बिल्कुल ही गुप्त है, तुम बच्चे अभी मुक्तिधाम में जाने की यात्रा कर रहे हो''

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हारी याद की यात्रा बिल्कुल ही गुप्त है, तुम बच्चे अभी मुक्तिधाम में जाने की यात्रा कर रहे हो''

प्रश्न: स्थूलवतन वासी से सूक्ष्मवतन वासी फरिश्ता बनने का पुरुषार्थ क्या है?

उत्तर: सूक्ष्मवतनवासी फरिश्ता बनना है तो रूहानी सर्विस में हड्डी-हड्डी स्वाहा करो। बिना हड्डी स्वाहा किये फरिश्ता नहीं बन सकते क्योंकि फरिश्ते बिगर हड्डी मास के होते हैं। इस बेहद की सेवा में दधीचि ॠषि की तरह हड्डी-हड्डी लगानी है, तभी व्यक्त से अव्यक्त बनेंगे।

गीत:- धीरज धर मनुवा........

धारणा के लिए मुख्य सार:

1) अन्तिम विनाश की सीन देखने के लिए अपनी स्थिति महावीर जैसी निर्भय, अडोल बनानी है। गुप्त याद की यात्रा में रहना है।

2) अव्यक्त वतनवासी फरिश्ता बनने के लिए बेहद सेवा में दधीचि ॠषि की तरह अपनी हड्डी-हड्डी स्वाहा करनी है।

वरदान:- बुद्धि रूपी पांव मर्यादा की लकीर के अन्दर रखने वाले सर्व प्राप्ति सम्पन्न शक्तिशाली भव

जो बच्चे बुद्धि रूपी पांव जरा भी मर्यादा की लकीर से बाहर नहीं निकालते वे लक्की और लवली बन जाते हैं। उन्हें कभी कोई भी विघ्न अथवा तूफान, परेशानी, उदासी आ नहीं सकती। यदि आती है तो समझना चाहिए कि जरूर बुद्धि रूपी पांव मर्यादा की लकीर से बाहर निकाला है। लकीर से बाहर निकलना अर्थात् फकीर बनना इसलिए कभी फकीर अर्थात् मांगने वाले नहीं, सर्व प्राप्ति सम्पन्न शक्तिशाली बनो।

स्लोगन: जो सदा न्यारे और बाप के प्यारे हैं वह सेफ रहते हैं।
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Sweet children, your pilgrimage of remembrance is very incognito. You children are now on pilgrimage to the land of liberation.

Essence: Sweet children, your pilgrimage of remembrance is very incognito. You children are now on pilgrimage to the land of liberation.

Question: What effort must you make to become a resident of the subtle region from a resident of the corporeal world?

Answer: In order to become an angel of the subtle region, sacrifice all your bones for spiritual service. You cannot become an angel without sacrificing your bones because angels have no flesh or bones. You have to use all your bones for this unlimited service just as Dadichi Rishi did, for only then will you become subtle from corporeal.

Song: Have patience, oh mind! Your days of happiness are about to come!

Essence for dharna:

1. In order to see the final scenes of destruction, make your stage fearless and unshakeable like that of Mahavir. Stay on the pilgrimage of remembrance in an incognito way.

2. In order to become an angel, a resident of the subtle region, sacrifice your every bone in unlimited service, like Dadichi Rishi did.

Blessing: May you become full of all attainments and powerful by keeping the foot of your intellect within the line of the code of conduct.

Those children who never place the feet of their intellects outside the line of the code of conduct become lucky and lovely. They never face any obstacles, storms, distress or unhappiness. If any of these do come, you can then understand that the foot of the intellect has stepped outside the code of conduct. To step outside the line means to become a beggar. Therefore, never become a beggar, that is, one who begs. Become powerful and one who is full of all attainments.

Slogan: Those who are constantly detached and loving to the Father remain safe.
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Sweet children, to have regard for the Father’s shrimat means never to miss a murli; to obey all the instructions.

31-01-2011
Essence: Sweet children, to have regard for the Father’s shrimat means never to miss a murli; to obey all the instructions.

Question: If you children are asked if you are happy and content, what should you reply with intoxication?

Answer: Tell them: I was concerned to find the One who lives beyond in the brahm element. Now that I have found Him, what else would I want? I have attained that which I wanted. You children of God are not concerned about anything else. The Father has made you belong to Him, and is placing crowns on your heads. Therefore, what do you have to be concerned about?

Essence for dharna:

1. In order to remain constantly happy and content, stay in remembrance of the Father. Put the crown of the kingdom on yourself by studying.

2. Serve Bharat to make it into heaven by following shrimat. Constantly have regard for shrimat.

Blessing: May you be an embodiment of authority and make your every action a discipline by staying in the awareness of the self.

Whatever awareness the sakar form kept when he performed action it became a discipline for the Brahmin family. Because of maintaining intoxication of the self, he could say with authority that even if any wrong action was performed through the sakar form, then He (Shiv Baba) would put it right. By remaining aware of the form of your original self, you have the intoxication that you cannot perform any wrong action. When you children remain stable in the stage of the self, then, whatever thoughts you have, words you speak and deeds you perform will become the discipline.

Slogan: Make the pillar of purity strong and this pillar will continue to work like a lighthouse

''मीठे बच्चे - बाप की श्रीमत का रिगार्ड रखना माना मुरली कभी भी मिस नहीं करना, हर आज्ञा का पालन करना''

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप की श्रीमत का रिगार्ड रखना माना मुरली कभी भी मिस नहीं करना, हर आज्ञा का पालन करना''

प्रश्न: अगर तुम बच्चों से कोई पूछे राज़ी-खुशी हो? तो तुम्हें कौन-सा जवाब फ़लक से देना चाहिए?

उत्तर: बोलो - परवाह थी पार ब्रह्म में रहने वाले की, वह मिल गया, बाकी क्या चाहिए। पाना था सो पा लिया.....। तुम ईश्वरीय बच्चों को किसी बात की परवाह नहीं। तुम्हें बाप ने अपना बनाया, तुम्हारे पर ताज रखा फिर परवाह किस बात की।

धारणा के लिए मुख्य सार:

1) सदा राजी-खुशी रहने के लिए बाप की याद में रहना है। पढ़ाई से अपने ऊपर राजाई का ताज रखना है।

2) श्रीमत पर भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा करनी है। सदा श्रीमत का रिगार्ड रखना है।

वरदान:- स्वयं की स्मृति में रह अपने हर कर्म को संयम (नियम) बनाने वाले अथॉरिटी स्वरूप भव

जैसे साकार में स्वयं की स्मृति में रहने से जो कर्म किया वही ब्राह्मण परिवार का संयम बन गया। स्वयं के नशे में रहने के कारण अथॉरिटी से कह सकते थे कि अगर साकार द्वारा कोई उल्टा कर्म भी हो गया तो सुल्टा कर देंगे। स्वयं के स्वरूप की स्मृति में रहने से यह नशा रहता है कि कोई कर्म उल्टा हो ही नहीं सकता। आप बच्चे भी जब स्वयं की स्थिति में स्थित रहो तो जो संकल्प चलेगा, जो बोल बोलेंगे वा कर्म करेंगे, वही संयम (नियम) बन जायेगा।

स्लोगन: पवित्रता का पिल्लर मजबूत करो तो यह पिल्लर लाइट हाउस का काम करता रहेगा।

Wednesday, January 26, 2011

스트레스없는 삶을 하나님 형 B 조

스트레스없는 삶을 하나님 형 B 조
1. 이익의 일부 양식에서 매일 이벤트에 인생은 당신입니다. 간접적으로 항상 이점에 대해 생각하십시오.
2. 과거와 미래의 걱정에서 만든 실수를 후회하지 마십시오. 현재의 성공에 모든 관심을주세요. 오늘이 바로 그날이 하 ँ의 일. Karengean 창의적인 업무를 오늘이나 사라집니다 내일과 미래의 실수가 이익을해야합니다 수 있습니다.
3. 세계 독특하고 뚜렷한 사람. 왜냐하면 세상은 당신과 같은 아무도 네 인생 걱정하지 마세요 이외. 것입니다.
4. Akichat는 네 친구가 가치 실수없이 정신과 의사가 당신의 약점에 초점처럼, 당신을 비난 될 것을 항상 기억하십시오.
5 용서하고 잊어 버려요 당신과 함께 아프다.
6. 시도는 모두 함께 문제를 해결함으로써 Muzn 번호가 시간에 하나의 문제를 해결할
7. 많이 기타 최대한 협조해야보십시오. 다른 사람에게 당신이 Zayeangean 걱정을 잊어 버리자 도움은.
8. 보기를 변경 삶에서 문제를 볼 수 있습니다. 태도 변화의 슬픔은 변경할 수있을 것입니다 행복.
9. 그게 Sonch에 대한 상황이 너무 슬퍼하지 말아 변경할 수 없습니다. 그 시간을 기억 큰 마약입니다.
10. Ssristy 기한은 우리 모두가 배우가하는 거대한 드라마. 모든 배우가 자신의 최고의 퍼포먼스를 재생할 수 있습니다. 그래서 사람은 행동을보고 걱정하지 마세요.
11. 하지만 변하지 않은 자신을 먼저 변화를 시도하십시오. 욕망을 정신적인 스트레스 증가로 복수를 위해서. 자신을 인생에서 진행하려고 노력해야 해가 변경됩니다
12. 마, 날 부러워하지만 질투는 마음에 굽습니다.하지만 마음은 하나님의 생각입니다 무한한 경험 추위를 하나님의 생각
14. 당신은 Chukahu 과거 행위의 발생 문제 Karatean Soanchiye 계정을 할 경우 (제곱)입니다.
15. 네 마음에 그 상황에서 약간의 자아인가도 불균형을 만듭니다. 자아의 희생을 갖고가는 그래서 좀 너무. Yyr 하 ँ의 일 당신이보고 싶었되었고, 다시 하 ँ 일 Zayeangean보고 싶었 어서 놓으십시오.
16. 4 ~ 5 번 하루 당신의 운동 해상도의 증인을 통해 보는 몇 분, 비서가 걱정에서 해방된다.
17. 전용 하나님 아버지 께서 모든 우려를 포기
스트레스와 우려를 제거하여 Aswathe 증가된다.
당신은 도움이됩니다. 간접적으로 항상 이점에 대해 생각하십시오.
2. 과거와 미래의 걱정에서 만든 실수를 후회하지 마십시오. 현재의 성공에 모든 관심을주세요. 오늘이 바로 그날이 하 ँ의 일. Karengean 창의적인 업무를 오늘이나 사라집니다 내일과 미래의 실수가 이익을해야합니다 수 있습니다.
3. 세계 독특하고 뚜렷한 사람. 왜냐하면 세상은 당신과 같은 아무도 네 인생 걱정하지 마세요 이외. 것입니다.
4. Akichat는 네 친구가 가치 실수없이 정신과 의사가 당신의 약점에 초점처럼, 당신을 비난 될 것을 항상 기억하십시오.
5 용서하고 잊어 버려요 당신과 함께 아프다.
6. 함께하지 Muzn하여 모든 문제를 해결하려고합니다. 시간이 같은 문제를 해결하기 위해
7. 많이 기타 최대한 협조해야보십시오. 다른 사람에게 당신이 Zayeangean 걱정을 잊어 버리자 도움은.
8. 보기를 변경 삶에서 문제를 볼 수 있습니다. 태도 변화의 슬픔은 변경할 수있을 것입니다 행복.
9. 그게 Sonch에 대한 상황이 너무 슬퍼하지 말아 변경할 수 없습니다. 그 시간을 기억 큰 마약입니다.
10. Ssristy 기한은 우리 모두가 배우가하는 거대한 드라마. 모든 배우가 자신의 최고의 퍼포먼스를 재생할 수 있습니다. 그래서 사람은 행동을보고 걱정하지 마세요.
11. 하지만 변하지 않은 자신을 먼저 변화를 시도하십시오. 욕망을 정신적인 스트레스 증가로 복수를 위해서. 자신을 인생의 진보로 변경하려고하는 것입니다 있나요
12. 마, 날 부러워하지만 질투는 마음에 굽습니다.하지만 마음은 하나님의 생각입니다 무한한 경험 추위를 하나님의 생각
14. 당신은 Chukahu 과거 행위의 발생 문제 Karatean Soanchiye 계정을 할 경우 (제곱)입니다.
15. 네 마음에 그 상황에서 약간의 자아인가도 불균형을 만듭니다. 자아의 희생을 갖고가는 그래서 좀 너무. Yyr 하 ँ의 일 당신이보고 싶었되었고, 다시 하 ँ 일 Zayeangean보고 싶었 어서 놓으십시오.
16. 4 ~ 5 번 하루 당신의 운동 해상도의 증인을 통해 보는 몇 분, 비서가 걱정에서 해방된다.
17. 하나님 아버지에 헌신 모든 우려를 포기해
스트레스와 우려를 제거하여 Aswathe 증가된다.

Stressfreies Leben ---BK BHAGWAN BHAI MOUNT ABU BRAHMAKUMARI

Stressfreies Leben ---BK BHAGWAN BHAI MOUNT ABU BRAHMAKUMARI
1. Das Leben in jedem einzelnen Fall an irgendeiner Form von Nutzen sind Sie. Indirekt wie immer Denken Sie über die Vorteile.
2. Bereue nicht die Fehler in Vergangenheit und Zukunft Sorgen gemacht. Ihre ganze Aufmerksamkeit auf den Erfolg der Gegenwart. Heute ist der Tag Ihr Ha ँ th. Karengean Schaffen Sie heute oder morgen verschwindet, und die Fehler in der Zukunft zugute kommen müssen werden.
3. Mit Ihrem Leben außer mach dir keine Sorgen. Weil die Welt eine einzigartige und eigenständige Person. Die Welt ist niemand wie du und.
4. Denken Sie immer daran, dass Ihr Freund wird dich verurteilen, wie ein Psychiater, ohne Wert auf Ihre Fehler und Ihren Fokus auf Ihre Fehler ist Akichat.
5 mit dir wehtun vergeben und vergessen.
6. Durch versucht, alle Probleme gemeinsam zu lösen Muzn Nr. lösen ein Problem, zu einem Zeitpunkt zu
7. Andere so viel wie möglich versuchen, kooperativ. Hilfreich sein, andere müssen Sie Ihre Sorgen vergessen Zayeangean.
8. Ändern Sie die Ansicht zu sehen, die Probleme im Leben. Einstellungsänderung Trauer Glück würden Sie in der Lage sein, Änderungen vorzunehmen.
9. Sie können keine Änderung der Situation sei nicht traurig darüber Sonch zu. Bitte beachten Sie, dass die Zeit eine große Droge.
10. Die Ssristy ein riesiges Drama, in dem wir alle Akteure. Jeder Schauspieler spielt seine besten Leistungen. Also keine Sorge sehen jemand handeln.
11. Haben sich nicht geändert, aber bitte versuchen Sie es ändern sich zuerst. Der Wunsch nach Rache als die psychische Belastung steigt nehmen. Themselves zu versuchen, im Leben Fortschritte ändern
12. Nicht Neid mir, sondern an Gott denken. Eifersucht auf den Geist verbrennt, sondern des Geistes an Gott zu denken ist grenzenlos erleben Kälte
14. Wenn Sie Probleme Karatean Soanchiye Konto Ihrer vergangene Taten Chukahu erleben (Quadrat) ist.
15. Ist in Ihrem Kopf ein wenig Ego in dieser Situation schafft auch Ungleichgewicht. Damit die Opfer von Ego gehen einige auch. YYR Platz Ha ँ th kommen Sie wurden in Abwesenheit und verpasst Ha ँ th Zayeangean zurück.
16. Vier bis fünf Mal am Tag ein paar Minuten Blick durch Ihr Training Resolutionen Zeuge wird der Assistent frei von Sorgen.
17. Geben Sie alle Ihre Anliegen gewidmet zu Gott dem Vater
Durch das Entfernen der Stress und Sorgen kommt Aswathe erhöht.
Sie würden profitieren. Indirekt wie immer Denken Sie über die Vorteile.
2. Bereue nicht die Fehler in Vergangenheit und Zukunft Sorgen gemacht. Ihre ganze Aufmerksamkeit auf den Erfolg der Gegenwart. Heute ist der Tag Ihr Ha ँ th. Karengean Schaffen Sie heute oder morgen verschwindet, und die Fehler in der Zukunft zugute kommen müssen werden.
3. Mit Ihrem Leben außer mach dir keine Sorgen. Weil die Welt eine einzigartige und eigenständige Person. Die Welt ist niemand wie du und.
4. Denken Sie immer daran, dass Ihr Freund wird dich verurteilen, wie ein Psychiater, ohne Wert auf Ihre Fehler und Ihren Fokus auf Ihre Fehler ist Akichat.
5 mit dir wehtun vergeben und vergessen.
6. Gemeinsam versuchen, alle Probleme durch nicht Muzn lösen. Eine Zeit, das gleiche Problem zu lösen
7. Andere so viel wie möglich versuchen, kooperativ. Hilfreich sein, andere müssen Sie Ihre Sorgen vergessen Zayeangean.
8. Ändern Sie die Ansicht zu sehen, die Probleme im Leben. Einstellungsänderung Trauer Glück würden Sie in der Lage sein, Änderungen vorzunehmen.
9. Sie können keine Änderung der Situation sei nicht traurig darüber Sonch zu. Bitte beachten Sie, dass die Zeit eine große Droge.
10. Die Ssristy ein riesiges Drama, in dem wir alle Akteure. Jeder Schauspieler spielt seine besten Leistungen. Also keine Sorge sehen jemand handeln.
11. Haben sich nicht geändert, aber bitte versuchen Sie es ändern sich zuerst. Der Wunsch nach Rache als die psychische Belastung steigt nehmen. Themselves zu versuchen, im Leben Fortschritte ändern
12. Nicht Neid mir, sondern an Gott denken. Eifersucht auf den Geist verbrennt, sondern des Geistes an Gott zu denken ist grenzenlos erleben Kälte
14. Wenn Sie Probleme Karatean Soanchiye Konto Ihrer vergangene Taten Chukahu erleben (Quadrat) ist.
15. Ist in Ihrem Kopf ein wenig Ego in dieser Situation schafft auch Ungleichgewicht. Damit die Opfer von Ego gehen einige auch. YYR Platz Ha ँ th kommen Sie wurden in Abwesenheit und verpasst Ha ँ th Zayeangean zurück.
16. Vier bis fünf Mal am Tag ein paar Minuten Blick durch Ihr Training Resolutionen Zeuge wird der Assistent frei von Sorgen.
17. Geben Sie alle Ihre Anliegen gewidmet zu Gott dem Vater
Durch das Entfernen der Stress und Sorgen kommt Aswathe erhöht.

ストレスのない生活神ブラザーBの

ストレスのない生活神ブラザーBの
1。利益の一部のフォームからのすべての単一のイベントでの生活はあなたです。間接的にいつものようにメリットについて考えてみてください。
2。過去と未来の不安のミスを後悔しないでください。本を成功させるために十分な注意を与えます。今日はあなたのハँ番目。Karengean創造的な仕事今日のかが表示されなくなります明日、将来的に間違いが恩恵を受ける必要がありますされます。
3。世界のユニークで異なる人。ため、世界はあなたとのように誰もがあなたの人生心配しない以外で。れます。
4。 Akichatであるあなたの友人が値は、あなたのミスを犯すことなく精神科医との欠陥についてのあなたの焦点のように、あなたを非難しようとしていることは常に注意してください。
図5は、許して、それを忘れてあなたと痛い。
6。試みが一緒にすべての問題を解決するためにすることによりMuzn番号は時間に一つの問題を解決する
7。限りその他は、可能な限り協力することしてみてください。他の人にあなたがZayeangeanあなたの心配を忘れなければならない参考にしてください。
8。ビューを変更する人生の問題を確認してください。姿勢変化悲しみは、変更を加えることができるような幸福。
9。あなたはそれをSonch約状況は悲しいことはありません変更することはできません。その時を覚えて偉大な薬です。
10。 Ssristyは、我々はすべての俳優であり、巨大なドラマ。すべての俳優、彼の最高のパフォーマンスを演じている。だから誰もが演技見て心配しないでください。
11。が変更されていない自分が最初に変更してみてください。欲望を精神的ストレスの増加に復讐をする。自分自身を生活の中で進行しようとする必要がありますして、変更され
12。しないでください、私がうらやましいが、嫉妬は、心に燃える。しかし、心は神の考えることです無限の経験の寒さを、神の考え
14。あなたがChukahuあなたの過去の行為との出会いの問題Karatean Soanchiyeアカウントを行う場合(乗)です。
15。心の中でそのような状況で少し自我ですまた、不均衡を作成します。エゴの犠牲にして行くようにいくつかのも。Yyrはハँ番目は、あなたが見逃していたとバックハँ番目のZayeangeanを逃した来て置いてください。
16。 4 1日5回あなたの運動の解像度の証人を探して数分、アシスタントは心配から無料となります。
17。専用の神への父は、すべての懸念をあきらめる
ストレスや不安を取り除くことによってAswatheの増加だ。
あなたが利益を得るでしょう。間接的にいつものようにメリットについて考えてみてください。
2。過去と未来の不安のミスを後悔しないでください。本を成功させるために十分な注意を与えます。今日はあなたのハँ番目。Karengean創造的な仕事今日のかが表示されなくなります明日、将来的に間違いが恩恵を受ける必要がありますされます。
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図5は、許して、それを忘れてあなたと痛い。
6。試みが一緒にすべての問題を解決するためにすることによりMuzn番号は時間に一つの問題を解決する
7。限りその他は、可能な限り協力することしてみてください。他の人にあなたがZayeangeanあなたの心配を忘れなければならない参考にしてください。
8。ビューを変更する人生の問題を確認してください。姿勢変化悲しみは、変更を加えることができるような幸福。
9。あなたはそれをSonch約状況は悲しいことはありません変更することはできません。その時を覚えて偉大な薬です。
10。 Ssristyは、我々はすべての俳優であり、巨大なドラマ。すべての俳優、彼の最高のパフォーマンスを演じている。だから誰もが演技見て心配しないでください。
11。が変更されていない自分が最初に変更してみてください。欲望を精神的ストレスの増加に復讐をする。自分自身を生活の中で進行して変更しようとするとされて
12。しないでください、私がうらやましいが、嫉妬は、心に燃える。しかし、心は神の考えることです無限の経験の寒さを、神の考え
14。あなたがChukahuあなたの過去の行為との出会いの問題Karatean Soanchiyeアカウントを行う場合(乗)です。
15。心の中でそのような状況で少し自我ですまた、不均衡を作成します。エゴの犠牲にして行くようにいくつかのも。Yyrはハँ番目は、あなたが見逃していたとバックハँ番目のZayeangeanを逃した来て置いてください。
16。 4 1日5回あなたの運動の解像度の証人を探して数分、アシスタントは心配から無料となります。
17。父なる神に捧げ、すべての懸念をあきらめ
ストレスや不安を取り除くことによってAswatheの増加だ。

Стресс-свободной жизни Бога Брат B

Стресс-свободной жизни Бога Брат B
1. Жизнь в каждое отдельное событие из той или иной форме пособия вы. Косвенно, как всегда думаю о преимуществах.
2. Не жалейте ошибок, допущенных в прошлых и будущих забот. Дайте полный внимание на успех настоящее время. Сегодня свой день Ха ँ й. Karengean творчество сегодня или завтра исчезнет, и ошибок в будущем должны пользоваться быть.
3. С вашей жизни, за исключением не волнуйтесь. Потому что мир уникальных и отдельное лицо. Миру ни одного, как вы и.
4. Всегда помните, что ваш друг собирается осуждать вас, как психиатр, не ценим ваши ошибки и ваше внимание на недостатки является Akichat.
5 больно с вами простить и забыть.
6. Попытки решать все проблемы вместе музн Количество решить одну проблему на время
7. Другие как можно больше стараться быть кооператива. Быть полезным для других, вы должны забыть свои заботы Zayeangean.
8. Изменения, чтобы увидеть проблемы в жизни. Отношение изменения горе счастья вы могли бы вносить изменения.
9. Вы не можете изменить ситуацию, не печалься об этом Сонч. Помните, что время большой наркотиков.
10. Ssristy огромной драмы, в которой мы все актеры. Каждый актер играет свои лучшие спектакли. Так что не беспокойтесь видя никого действия.
11. Не изменились, но попробуйте изменить себя в первую очередь. Желанием взять реванш, как психическое напряжение увеличивается. Себя, чтобы попытаться прогресса в жизни, это изменить
12. Не завидуйте мне, но думать о Боге. Ревность ожоги на ум, но и ум, чтобы думать о Боге безгранична холодность опыт
14. Если у вас возникли проблемы Karatean Soanchiye учетом ваших прошлых делах Chukahu (в квадрате) есть.
15. У вас на уме маленькое эго в этой ситуации также создает дисбаланс. Так что жертва эго идти есть тоже. YYR Место Ха ँ й прийти вы пропустили и пропустили Ха ँ й Zayeangean назад.
16. Четыре-пять раз в день несколько минут просматривал ваше свидетельство осуществления резолюций, помощником становится свободным от забот.
17. Откажитесь от всех ваших проблем, посвященное Богу Отцу
Сняв стресс и проблемы приходит Aswathe увеличивается.
Вы бы выгоду. Косвенно, как всегда думаю о преимуществах.
2. Не жалейте ошибок, допущенных в прошлых и будущих забот. Дайте полный внимание на успех настоящее время. Сегодня свой день Ха ँ й. Karengean творчество сегодня или завтра исчезнет, и ошибок в будущем должны пользоваться быть.
3. С вашей жизни, за исключением не волнуйтесь. Потому что мир уникальных и отдельное лицо. Миру ни одного, как вы и.
4. Всегда помните, что ваш друг собирается осуждать вас, как психиатр, не ценим ваши ошибки и ваше внимание на недостатки является Akichat.
5 больно с вами простить и забыть.
6. Попытки решать все проблемы вместе музн Количество решить одну проблему на время
7. Другие как можно больше стараться быть кооператива. Быть полезным для других, вы должны забыть свои заботы Zayeangean.
8. Изменения, чтобы увидеть проблемы в жизни. Отношение изменения горе счастья вы могли бы вносить изменения.
9. Вы не можете изменить ситуацию, не печалься об этом Сонч. Помните, что время большой наркотиков.
10. Ssristy огромной драмы, в которой мы все актеры. Каждый актер играет свои лучшие спектакли. Так что не беспокойтесь видя никого действия.
11. Не изменились, но попробуйте изменить себя в первую очередь. Желанием взять реванш, как психическое напряжение увеличивается. Себя к прогрессу в жизни, чтобы попытаться изменить
12. Не завидуйте мне, но думать о Боге. Ревность ожоги на ум, но и ум, чтобы думать о Боге безгранична холодность опыт
14. Если у вас возникли проблемы Karatean Soanchiye учетом ваших прошлых делах Chukahu (в квадрате) есть.
15. У вас на уме маленькое эго в этой ситуации также создает дисбаланс. Так что жертва эго идти есть тоже. YYR Место Ха ँ й прийти вы пропустили и пропустили Ха ँ й Zayeangean назад.
16. Четыре-пять раз в день несколько минут просматривал ваше свидетельство осуществления резолюций, помощником становится свободным от забот.
17. Откажитесь от всех ваших проблем, посвященное Богу Отцу
Сняв стресс и проблемы приходит Aswathe увеличивается.

کشیدگی آزاد زندگی بی کے خدا بھائی

کشیدگی آزاد زندگی بی کے خدا بھائی
1. زندگی کی ہر ایک واقعہ میں کسی نہ کسی طور سے آپ کو فائدہ ہی ہوتا ہے. پروکش طور سے ہونے والے فوائد کے بارے میں ہی ہمیشہ سوچئت.
2. موتکال میں کی گئی غلطیوں کا اغربماپ نہ کریں اور مستقبل کی فکر نہ کریں. موجودہ کو کامیاب بنانے کے لیے مکمل توجہ دیجئے. آج ہی دن آپ کے ہاںی میں ہے. آج آپ تخلیقی کام کریں گے تو کل کی غلطی مٹ جائے گی اور مستقبل میں ضرور فائدہ ہوگا.
3. آپ اپنی زندگی کا آپس میں موازنہ دوسرے کے ساتھ کر فکر مند نہ ہوں. کیونکہ اس دنیا میں آپ ایک انوکھی اور مخصوص شخصیت ہیں. اس دنیا میں آپ کے اور جیسا کوئی نہیں ہے.
4. ہمیشہ یاد رکھئت کہ آپ کی مذمت کرنے والا آپ کا دوست ہے جو آپ سے بغیر قیمت ایک ماہر نفسیات کی طرح آپ کی غلطیوں اور آپ کی کمیوں کی طرف آپ کا دھیان کھعیوار ہے.
5 آپ دکھ پہنچانے والے کو معاف کر دو اور اسے بھول جاؤ.
6. تمام مسائل کو ایک ساتھ حل کی کوشش کرکے مجنہ نہیں. ایک وقت پر ایک ہی مسئلہ کا حل لوڈ ، اتارنا
7. جتنا ہو سکے اتنا دوسروں کے اتحادی بننے کی کوشش کریں. دوسروں کے معاون بننے سے آپ اپنی تشویش کو ضرور بھول جاويںگیز.
8. زندگی میں آ رہی مسائل کو دیکھنے کا نظریہ تبدیل کریں. نقطہ نظر کو تبدیل کرنے سے آپ دکھ کو سکھ میں تبدیلی کر سکيںگیز.
9. جس حالت کو آپ نہیں بدل سکتے اس کے بارے میں سوزع کر دکھی مت ہوں. یاد رکھئت کہ وقت ایک بہترین دوا ہے.
10. یہ تشقٹی ایک عظیم ڈرامہ ہے جس میں ہم تمام اداکار ہیں. ہر ایک اداکار اپنی بہترین اداکاری ادا کر رہا ہے. اس لیے کسی کے بھی اداکاری کو دیکھ کر فکر مند نہ ہوں.
11. بدلہ نہ لو لیکن پہلے خود کو بدلنے کی کوشش کرو. بدلہ لینے کہ خواہش سے تو ذہنی دباؤ ہی بڑھتا ہے. خود کو تبدیل کرنے کی کوشش کرنے سے زندگی میں پیش رفت ہوتی ہے
12. حسد نہ کرو لیکن خدا کا چزتن کرو. حسد کرنے سے تو من جلتا ہے لیکن خدا کا چزتن کرنے سے دل بے پناہ شیتلر کا تجربہ کرتا ہے
14. جب آپ کے مسائل کا سامنا کرتے ہیں تو ایسا سوزچوت کہ آپ موتکال کے کرموں کا حساب عکمت (عکر) ہو رہا ہے.
15. آپ کے اندر رہا تھوڈا بھی اناپسندی من کہ صورتحال میں عدم توازن کی تعمیر کرتا ہے. اس لئے اس تھوڑے بھی اناپسندی کا بھی دست بردار کریت. ووٹ رکھئت کہ آپ کھلی ہاںی آئیں تھے اور کھلی ہاںی ہی واپس جاويںگیز.
16. دن میں چار پانچ بار کچھ منٹ اپنے مکاروز کو سکشن ہوکر دیکھنے کا مشق ، تشویش سے آزاد کرنے میں معاون بنتا ہے.
17. اپ اپنی تمام تشویش پرمپتا پرمیرمی کو وقف کر دیجیے
آتا ہے وہ دباؤ اور تشویش کو دور کرکے سواتھنی میں اضافہ کرتا ہے.
آپ کو فائدہ ہی ہوتا ہے. پروکش طور سے ہونے والے فوائد کے بارے میں ہی ہمیشہ سوچئت.
2. موتکال میں کی گئی غلطیوں کا اغربماپ نہ کریں اور مستقبل کی فکر نہ کریں. موجودہ کو کامیاب بنانے کے لیے مکمل توجہ دیجئے. آج ہی دن آپ کے ہاںی میں ہے. آج آپ تخلیقی کام کریں گے تو کل کی غلطی مٹ جائے گی اور مستقبل میں ضرور فائدہ ہوگا.
3. آپ اپنی زندگی کا آپس میں موازنہ دوسرے کے ساتھ کر فکر مند نہ ہوں. کیونکہ اس دنیا میں آپ ایک انوکھی اور مخصوص شخصیت ہیں. اس دنیا میں آپ کے اور جیسا کوئی نہیں ہے.
4. ہمیشہ یاد رکھئت کہ آپ کی مذمت کرنے والا آپ کا دوست ہے جو آپ سے بغیر قیمت ایک ماہر نفسیات کی طرح آپ کی غلطیوں اور آپ کی کمیوں کی طرف آپ کا دھیان کھعیوار ہے.
5 آپ دکھ پہنچانے والے کو معاف کر دو اور اسے بھول جاؤ.
6. تمام مسائل کو ایک ساتھ حل کی کوشش کرکے مجنہ نہیں. ایک وقت پر ایک ہی مسئلہ کا حل لوڈ ، اتارنا
7. جتنا ہو سکے اتنا دوسروں کے اتحادی بننے کی کوشش کریں. دوسروں کے معاون بننے سے آپ اپنی تشویش کو ضرور بھول جاويںگیز.
8. زندگی میں آ رہی مسائل کو دیکھنے کا نظریہ تبدیل کریں. نقطہ نظر کو تبدیل کرنے سے آپ دکھ کو سکھ میں تبدیلی کر سکيںگیز.
9. جس حالت کو آپ نہیں بدل سکتے اس کے بارے میں سوزع کر دکھی مت ہوں. یاد رکھئت کہ وقت ایک بہترین دوا ہے.
10. یہ تشقٹی ایک عظیم ڈرامہ ہے جس میں ہم تمام اداکار ہیں. ہر ایک اداکار اپنی بہترین اداکاری ادا کر رہا ہے. اس لیے کسی کے بھی اداکاری کو دیکھ کر فکر مند نہ ہوں.
11. بدلہ نہ لو لیکن پہلے خود کو بدلنے کی کوشش کرو. بدلہ لینے کہ خواہش سے تو ذہنی دباؤ ہی بڑھتا ہے. خود کو تبدیل کرنے کی کوشش کرنے سے زندگی میں پیش رفت ہوتی ہے
12. حسد نہ کرو لیکن خدا کا چزتن کرو. حسد کرنے سے تو من جلتا ہے لیکن خدا کا چزتن کرنے سے دل بے پناہ شیتلر کا تجربہ کرتا ہے
14. جب آپ کے مسائل کا سامنا کرتے ہیں تو ایسا سوزچوت کہ آپ موتکال کے کرموں کا حساب عکمت (عکر) ہو رہا ہے.
15. آپ کے اندر رہا تھوڈا بھی اناپسندی من کہ صورتحال میں عدم توازن کی تعمیر کرتا ہے. اس لئے اس تھوڑے بھی اناپسندی کا بھی دست بردار کریت. ووٹ رکھئت کہ آپ کھلی ہاںی آئیں تھے اور کھلی ہاںی ہی واپس جاويںگیز.
16. دن میں چار پانچ بار کچھ منٹ اپنے مکاروز کو سکشن ہوکر دیکھنے کا مشق ، تشویش سے آزاد کرنے میں معاون بنتا ہے.
17. اپ اپنی تمام تشویش پرمپتا پرمیرمی کو وقف کر دیجیے
آتا ہے وہ دباؤ اور تشویش کو دور کرکے سواتھنی میں اضافہ کرتا

Stress-free life -BK BHAGWAN BHAI MOUNT ABU BRAHMAKUMARI

Stress-free life -BK BHAGWAN BHAI MOUNT ABU BRAHMAKUMARI
1. Life in every single event from some form of benefit is you. Indirectly as always Think about the benefits.
2. Do not regret the mistakes made in past and future worries. Give full attention to the success of the present. Today is the day your Haँth. Karengean creative work today or tomorrow you will disappear and the mistakes in the future must benefit be.
3. With your life other than do not worry. Because the world a unique and distinct person. The world is no one like you and.
4. Remember always that your friend is going to condemn you, like a psychiatrist without value your mistakes and your focus on your flaws is Akichat.
5 hurt with you forgive and forget it.
6. By attempts to solve all the problems together Muzn No. solve one problem at a time to
7. Others as much as possible try to be cooperative. Be helpful to others you must forget your worries Zayeangean.
8. Change the view to see the problems in life. Attitude change sorrow happiness you would be able to make changes.
9. You can not change the situation do not be sad about it to Sonch. Remember that time is a great drug.
10. The Ssristy a huge drama in which we are all actors. Every actor is playing his best performances. So do not worry seeing anyone acting.
11. Have not changed but please try to change themselves first. The desire to take revenge as the mental stress increases. Themselves to try to progress in life is change
12. Do not envy me, but think of God. Jealousy burns to the mind but of the mind to think of God is limitless experience coldness
14. If you do encounter problems Karatean Soanchiye account of your past deeds Chukahu (squared) is.
15. Is in your mind a little ego in that situation also creates imbalance. So that the sacrifice of ego go have some too. Yyr Place Haँth come you were missed and missed Haँth Zayeangean back.
16. Four to five times a day a few minutes of looking through your exercise resolutions witness, the assistant becomes free from worries.
17. Give up all your concerns dedicated to God the Father
By removing the stress and concerns comes Aswathe increases.
You would benefit. Indirectly as always Think about the benefits.
2. Do not regret the mistakes made in past and future worries. Give full attention to the success of the present. Today is the day your Haँth. Karengean creative work today or tomorrow you will disappear and the mistakes in the future must benefit be.
3. With your life other than do not worry. Because the world a unique and distinct person. The world is no one like you and.
4. Remember always that your friend is going to condemn you, like a psychiatrist without value your mistakes and your focus on your flaws is Akichat.
5 hurt with you forgive and forget it.
6. By attempts to solve all the problems together Muzn No. solve one problem at a time to
7. Others as much as possible try to be cooperative. Be helpful to others you must forget your worries Zayeangean.
8. Change the view to see the problems in life. Attitude change sorrow happiness you would be able to make changes.
9. You can not change the situation do not be sad about it to Sonch. Remember that time is a great drug.
10. The Ssristy a huge drama in which we are all actors. Every actor is playing his best performances. So do not worry seeing anyone acting.
11. Have not changed but please try to change themselves first. The desire to take revenge as the mental stress increases. Themselves to progress in life is to try to change
12. Do not envy me, but think of God. Jealousy burns to the mind but of the mind to think of God is limitless experience coldness
14. If you do encounter problems Karatean Soanchiye account of your past deeds Chukahu (squared) is.
15. Is in your mind a little ego in that situation also creates imbalance. So that the sacrifice of ego go have some too. Yyr Place Haँth come you were missed and missed Haँth Zayeangean back.
16. Four to five times a day a few minutes of looking through your exercise resolutions witness, the assistant becomes free from worries.
17. Give up all your concerns dedicated to God the Father
By removing the stress and concerns comes Aswathe increases.

ब्रह्मा कुमार भगवान भाई------ परिचय

नाम: Rajyogi ब्रह्मा कुमार भगवान भाई
पदनाम: Shantivan पर Rajyoga गुरू,
मुख्यालय इंटरनेशनल,
प्रजापिता ब्रह्मा
Ishwariya विद्यालय विश्व
रसोई विभाग में Shantivan में धर्मी सेवा
लेखक, विभिन्न Magaines और समाचार पत्रों में AI
शैक्षिक
योग्यता: 10 वीं और I.T.I. (Draftman-सिविल), महाराष्ट्र
जन्म तिथि: जून 1, 1965
सेवा स्थान: अबू रोड, Shantivan
लंबे समय है, कैसे
ज्ञान में किया गया: 1985
1987: कब से सेवा में समर्पित
ÙÄÄóYou जैसे, ग्राम विकाश कई आध्यात्मिक अभियानों में धर्मी सेवाएं दे दिया है
रैली, शिव सन्देश रथ यात्रा, मूल्य आधारित मीडिया अभियान, मूल्य आधारित शिक्षा
अभियान, युवा पैड यात्रा, आदि भारत के विभिन्न प्रदेशों में, साथ ही में
नेपाल.
ÙÄÄóYou विभिन्न विषयों पर पर संबोधित किया है कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय
(5000) के बारे में स्कूलों और जेलों (800) के बारे में.
ÙÄÄóYou पुनर्वास शिविर का आयोजन करने की प्राकृतिक में विशेष अनुभव मिल गया है
बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदाओं, भूकम्प आदि
ÙÄÄóYou Refrasher कोर्स और प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न पंखों की कक्षाएं ले लिया
यह ईश्वरीय विश्वविद्यालय.
ÙÄÄóYou एक बहुत अच्छे लेखक हैं. अपने लेख बहुत बार कई पत्रिकाओं में प्रकाशित कर रहे हैं
जैसे (हिंदी) Gyanamrit, विश्व नवीनीकरण (अंग्रेज़ी) के रूप में,
(मराठी) Amritkumbh, ज्ञान दर्पण (उडिया), Gyanamrit (गुजराती),
(तमिल) Sangamyugam, विश्व एनएवी (कनाडा) निर्माण, (Talgu) Gyanamritam, आदि,
ÙÄÄóYou तनाव मुक्त जीवन, लत से मुक्त जीवन के रूप में इस तरह के विषयों पर व्याख्यान देते हैं,
Angerless जीवन, सकारात्मक सोच, योग की विधि, स्व प्रबंध नेतृत्व की कला,
व्यक्तित्व विकास, प्रबंधन आदि मन
ÙÄÄóYou दिया है Lotary क्लब, बार के रूप में विभिन्न स्थानों (परिसर) में व्याख्यान
एसोसिएशन, विश्वविद्यालय परिसर, रेलवे, कालेज परिसर, आईटीआई, आदि

तनाव मुक्त जीवन बी के भगवान भाई

तनाव मुक्त जीवन बी के भगवान भाई
1. जीवन की हर एक घटना में किसी न किसी रूप से आपको लाभ ही होता है.परोक्ष रूप से होने वाले लाभ के बारे में ही सदैव सोचिये .
२. भूतकाल में की गई गलतियों का पश्चाताप न करें तथा भविष्य की चिंता न करें.वर्तमान को सफल बनाने के लिए पूरा ध्यान दीजिये.आज ही दिन आपके हाँथ में है.आज आप रचनात्मक कार्य करेंगें तो कल की गलतियाँ मिट जाएगी और भविष्य में अवश्य लाभ होगा.
3. आप अपने जीवन की तुलना अन्य के साथ कर चिंतित न हों.क्योंकि इस विश्व में आप एक अनोखे और विशिष्ट व्यक्ति हैं.इस विश्व में आपके और जैसा कोई नहीं है .
4. सदैव याद रखिये कि आपकी निंदा करने वाला आपका मित्र है जो आपसे बिना मूल्य एक मनोचिकित्सक की भांति आपकी गलतियों व आपकी खामियों की तरफ आपका ध्यान खिचवाता है.
5 आप दुख पहुँचाने वाले को क्षमा कर दो तथा उसे भूल जाओ.
6. सभी समस्याओं को एक साथ सुलझाने का प्रयत्न करके मुझना नहीं.एक समय पर एक ही समस्या का समाधान करें
7. जितना हो सके उतना दूसरों के सहयोगी बनने का प्रयत्न करें.दूसरों के सहायक बनने से आप अपनी चिंताओं को अवश्य भूल जायेंगें.
8. जीवन में आ रही समस्याओं को देखने का दृष्टिकोण बदलें.दृष्टिकोण को बदलने से आप दुख को सुख में परिवर्तन कर सकेंगें.
9. जिस परिस्थिति को आप नहीं बदल सकते उसके बारे में सोंच कर दुखी मत हों.याद रखिये कि समय एक श्रेष्ठ दवा है.
10. यह सृष्टी एक विशाल नाटक है जिसमे हम सभी अभिनेता हैं.हर एक अभिनेता अपना श्रेष्ठ अभिनय अदा कर रहा है .इसलिए किसी के भी अभिनय को देख कर चिंतित न हों.
11. बदला न लो लेकिन पहले स्वयं को बदलने का प्रयत्न करो.बदला लेने कि इच्छा से तो मानसिक तनाव ही बढ़ता है.स्वयं को बदलने का प्रयत्न करने से जीवन में प्रगति होती है
12. ईर्ष्या न करो परन्तु ईश्वर का चिंतन करो.ईर्ष्या करने से तो मन जलता है परन्तु ईश्वर का चिंतन करने से मन असीम शीतलता का अनुभव करता है
14. जब आप समस्याओं का सामना करतें है तो ऐसा सोंचिये कि आपके भूतकाल के कर्मों का हिसाब चुक्तु (चुकता ) हो रहा है.
15. आपके अन्दर रहा थोडा भी अहंकार मन कि स्थिति में असंतुलन का निर्माण करता है.इसलिए उस थोड़े भी अहंकार का भी त्याग करिये .ययद रखिये कि आप खली हाँथ आयें थे और खली हाँथ ही वापस जायेंगें.
16. दिन में चार पांच बार कुछ मिनट अपने संकल्पों को साक्षी होकर देखने का अभ्यास ,चिंताओं से मुक्त करने में सहायक बनता है.
17. अप अपनी सभी चिंताएं परमपिता परमात्मा को समर्पित कर दीजिये
आता है वह तनाव एवं चिंताओं को दूर करके स्वाथ्य में वृद्धि करता है।

उपरोक्त विचार "प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय" द्वारा

सकारात्मक विचार से समस्या समाधान में बदल जाती है राजयोगी भगवान भाई

सकारात्मक विचार से समस्या समाधान में बदल जाती है राजयोगी भगवान भाई
कटनी। बदलने से विपरीत परिस्थिति भी सहज दिखने लगती है। अपनी समस्या को समाप्त करने एवं सफल जीवन जीने के लिए विचारों को सकारात्मक बनाने की बहुत आवश्यकता है। उक्त उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंटआबू से आए राजयोगी भगवान भाई ने कहे। वे स्थानीय ब्रह्माकुमारीज राजयोग सेवा केन्द्र पर तनावमुक्त विषय पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि समस्याओं का कारण ढूढने की बजाए निवारण ढंूढ़े। उन्होंने कहा कि समस्या का चिंतन करने से तनाव की उत्पत्ति होती है। मन के विचारों का प्रभाव वातावरण पेड़-पौधों तथा दूसरों व स्वयं पर पड़ता है। यदि हमारे विचार सकारात्म है तो उसकासकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने बताया कि जीवन को रोगमुक्त,दीर्घायु, शांत व सफल बनाने के लिएहमें सबसे पहले विचारों को सकारात्मक बनाना चाहिए। राजयोगी भगवान भाई ने कहा कि सकारात्मक विचार से समस्या समाधान में बदल जाती है। एक दूसरों के प्रति सकारातमक विचार रखने से आपसीभाई चारा बना रहता है। उन्होंने सत्संग एवं आध्यात्मिक ज्ञान को सकारात्मक सोच के लिए जस्री बताते हुए कहा कि हम अपने आत्मबल से अपना मनोबल बढ़ा सकते है। सत्संग के द्वारा प्राप्त ज्ञान और शक्तियां ही हमारी असली पूंजी हैं। स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवा केन्द्र की भगवती बहन ने कहा कि राजयोग के निरंतर अभ्यास के द्वारा हम अपने कर्म इद्रियों को संयमित कर अपने आंतरिकसद्गुणों का विकास कर

Tuesday, January 25, 2011

क्रोध का प्रारंभ मूर्खता से आरंभ होकर पश्चाताप में जाकर समाप्त होता -- भगवान भाई-

क्रोध विवेक को नष्ट करता है। क्रोध का प्रारंभ मूर्खता से आरंभ होकर पश्चाताप में जाकर समाप्त होता है। यह बात प्रजापिता ब्रह्मकुमारी इश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से पधारे भगवान भाई ने स्थानीय ब्रह्मकुमारीज सेवाकेंद्र पर आयोजित क्रोधमुक्त जीवन विषय पर बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि क्रोध से तनाव और तनाव से अनेक बीमारियां पैदा होती हैं। क्रोध के कारण ही मन की एकाग्रता खत्म होती है। इस कारण मन अशांत बन जाता है। उन्होंने क्रोध को अग्नि बताते हुए कहा कि इस अग्नि में स्वयं भी जलते हैं और दूसरों को भी जला
क्या हो उपाय

उन्होंने क्रोध पर काबू पाने का उपाय बताते हुए कहा कि राजयोग के अभ्यास से क्रोध पर काबू पाया जा सकता है। इसके लिए निश्चय कर परमपिता परमात्मा को मन बुद्धि के द्वारा याद करना, उनके गुणगान करना ही राजयोग है।

सकारात्मक विचार तनाव मुक्ति के लिए संजीवनी बूटी है। सकारात्मक सोच का स्रोत आध्यात्मिकता है। कमलेश बहन ने कहा कि तनावमुक्त बन कर्म इंद्रियों पर संयम कर सकते हैं। कार्यक्रम को कैप्टन राम सिंह ने भी संबोधित किया।


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1 http://picasaweb.google.co.in/sanjogm916108/SchoolServicesByBKBhagwan
2 http://www.indiashines.com/brahakumaris-photos-102929
3 http://www.indiashines.com/brahakumaris-photos-102941
4 http://www.indiashines.com/brahakumaris-photos-102945
5 http://www.indiashines.com/brahakumaris-photos-102963
6 http://picasaweb.google.co.in/hometab=mq

B. K. BHAGWAN, SHANTIVAN, +919414534517, +919414008991

नैतिकता के बगैर भविष्य अंधकारमय : भगवान भाई

प्रजापति ब्रह्मïकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ब्रह्मïकुमार भगवान भाई ने कहा कि जीवन में नैतिक मूल्यों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।

वे शुक्रवार को उत्तमीबाई कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में नैतिक शिक्षा जागृत अयिभान के तहत एकत्रित छात्राओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आधुनिक के जमाने में जीवन के उद्देश्य को सार्थक बनाने के लिए मूल्यों को धारण करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि भेदभाव, घृणा आदि को खत्म करने के लिए एकता,ईमानदारी व अहिंसा जैसे मूल्यों की आवश्कता है।



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मैं कौन हूँ brahmakumari

मैं कौन हूँ !! सभी इस विषय पर चर्चा कर चुके हैं | वेद पुराण गीता कुरान बाइबल सभी में आत्मा की पुष्टि होती है | पर आत्मा क्या है कैसे शरीर में रहती है ? आदि आदि प्रश्नों का उत्तर ब्रह्माकुमारी में द्बारा जिस विधि से दिया गया वो बताना चाहता हूँ ! प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय का मूल मंत्र है की "मैं एक आत्मा हूँ" | अब ज़रा प्रकाश डाला जाये | कहने का तात्पर्य है की हम जो आँखों से देखते हैं, मुह से बोलते हैं, कानो से सुनते है, और समस्त इन्द्रियों द्बारा जो भी भान होता है, वो आत्मा को होता है | मैं आत्मा मस्तिष्क में वास करती हूँ | और मस्तिष्क ही एक ऐसी जगह है जहां शरीर के सारे कण्ट्रोल मौजूद हैं | वहीँ से सञ्चालन करती हूँ अपने शरीर को | अब आत्मा का स्वरुप क्या है ? B.K के अनुसार आत्मा ज्योति स्वरुप है, जो सुक्ष्माती सूक्ष्म है, एक केश के शिरे का हजारवा हिस्सा, जो अंडाकार है| आत्मा अजर अमर अविनाशी है | अर्थात हम आज भी है, कल भी थे और कल भी रहेंगे | अब आप योगाशन कीजिये अपने आपको आत्मा समझाने का प्रयास कीजिये |
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Monday, January 24, 2011

brahmakumari

आप अबू रोड से माउंट आबू की ओर चले, तो आप अपनी बाईं ओर देखेंगे तो आपको एक सुंदर तथा रमणिय परिसर मिलेगा यह परिसर आबू रोड से सिर्फ छह किलोमीटर दूर है इसका नाम है - शान्तिवन. इस नए परिसर मंे दुनिया को बढ़ते मानसिक समस्यासे उभरने हेतू आध्यात्मिक शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से ब्रह्माकुमारीज् कई कार्यक्रम उपक्रम, तथा गतिविधियों से प्रयास करीत है. इसके लिए सम्मेलनों, सभाओं को आध्यात्मिक और शौक्षिक और अन्य शिविर का आदि कार्यक्रमों के आयोजन के लिए एक उत्कृष्ट स्थान प्रदान किया है.

शान्तिवन का मुख्य आकर्षण है प्रेरणादायी भव्य डायमंड जुबली हॉल, यह संस्थान की हिरक जयंती समारोह की स्मृति में बनाया गया. कला, वास्तुकला और उपकरणों में बेहतरीन, इस हॉल में बहुत उच्च बौठने की क्षमता होने का गौरव प्राप्त है. इसमें बीस हजार व्यक्ति एक साथ कार्यक्रम / प्रवचनो, व्याख्यानों का लाभ ले सकते हैं !

इस विशाल ढांचे के अलावा, शान्तिवन में एक मुख्य सम्मेलन हॉल तथा छह छोटे हॉल है. सम्मेलन हॉल के बौठने की क्षमता 1200व्यक्तियों की है, इसमें छह भाषाओं में एक साथ अनुवाद के लिए सुविधा भी है. छोटे हॉल में व्याख्यान, सेमिनार, कार्यशाला आदि आयोजित करने की क्षमता है,

यहाँ दो गहन ध्यान हॉल और एक आध्यात्मिक संग्रहालय है, जो किसीभी तनावयुक्त मानव आत्माको तुरंत आंतरिक शांति को प्रेरित और अतिइंद्रिय (अलौकिक) आनन्द प्राप्त कराते है, जो किसी भी कार्यसे सांसारिक दुनिया में पाया जा सकता नही जा सकता.

परिसर में आवासीय भवनों की क्षमता पंद्रह हज़ार लोगों की है. उनके नाम भी बड़े महत्वपूर्ण तथा अर्थपूर्ण रखे हूए है, जौसे वरदानी भवन, (आशिर्वाद का घर) भवन है, विश्व कल्याणी भवन (विश्व परोपकारी भवन) और फरिश्ता भवन (एन्जिल्स के हाउस) आदि..-

ज्ञानामृत (Gyanamrit) भवन मुद्रण विभाग - संस्था से कई प्रकाशन होते है, साथ ही कुछ मासिक भी मुद्रीत होते है जौसे संस्था की मासिक पत्रिका के दो - Gyanamrit और वल्र्ड रिन्युअल उनके प्रकाशन हेतू एक अत्याधुनिक प्रेस है

शान्तिवन परिसर में संचार, परिवहन के सभी आधुनिक सुविधायें है जौसे अच्छी सड़क, बिजली सुरक्षा, और सौर ऊर्जा.


आधुनिक उपकरणों और उपकरणों से सुसज्जित रसोई घर तथा डाइनिंग हॉल
एक परिसर का नहीं खाता, अस्थायी आवास उपलब्ध कराने के सेवारत और भोजन तौयार करने के लिए व्यवस्था के लिए एक संदर्भ बनाने के बिना पूरा नहीं किया जा सकता है. Shantivan बहुत बड़ी रसोई और है.

Saturday, January 22, 2011

आत्मचिंतन उन्नति की सीढ़ी है, तो पर चिंतन पतन की जड़---भगवान भाई

रानी 8जनवरी। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय आबू पर्वत के राजयोगी ब्र.कु. भगवान भाई ने कहा कि दूसरों की विशेषताएं देखने और धारण करने में ही हमारी आत्मा की उन्नति होती है। दूसरों के अवगुण को देखकर अगर हम उनका चिंतन-मनन करते हैं और उन्हें जगह-जगह फैलाते हैं, तो वे पलट कर हमारे पास ही आ जाते हैं और हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। आत्मचिंतन उन्नति की सीढ़ी है, तो पर चिंतन पतन की जड़ है।
भगवान भाई स्थानीय राजयोग केन्द्र पर आयोजित राजयोग कार्यक्रम में प्रवचन दे रहे थे। उन्होंने कहा कि यदि हम स्वयं आंतरिक रूप से रिक्त होंगे तो अपनी रिक्तता को बाहरी तत्वों से भरने के लिए हमेशा दूसरों से कुछ लेने का प्रयास करेंगे, यदि हमार अंतर्मन प्यार, सौहार्द और मैत्री भाव से भरा रहेगा तो हम जगत में प्यार और मैत्री को बाँटते चलेंगे।
उन्होंने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय का परिचय देते हुए बताया कि सृष्टि सृजनहार परमात्मा शिव नयी सृष्टि बनाने हेतु वर्ष 1937 में प्रजापिता ब्रह्मा के तन में अवतरित हुये। तब ब्रह्मा बाबा ने अपनी पूरी सम्पत्ति ओम मंडली का ट्रस्ट बनाकर विश्व सेवा हेतु समर्पित कर दिया। यही ओम मंडली आगे चलकर ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के नाम से चर्चित हुआ।
कार्यक्रम में मौजूद राजयोगिनी ब्रह्मा कुमारी कविता दीदी ने कहा कि प्रजापिता ने अनेक आत्माओं को अपना प्यार देकर उसमें शक्तियां भरी एवं उसे सर्व बंधनों से मुक्त कराया। बाबा ने परचिंतन एवं परदर्शन से मुक्त बन परोपकारी बनने की शिक्षा दी। सोनू दीदी ने बताया कि ब्रह्मा बाबा ने 33 वर्षोँ तक परमात्मा शिव का साकार माध्यम बन अनेक बच्चों में ज्ञान, योग एवं धारणा का बल भरकर विश्व कल्याण हेतु देश के कोने-कोने में भेजा।

क्रोध से विवेक की मौत

क्रोध से विवेक की मौत ---ब्रह्मकुमार भगवान भाई क्रोध विवेक की मौत दुनिया में कई के रूप में अच्छी तरह से अरबपतियों कुल भिखारी है, लेकिन एक है जो गुस्सा है पहले रखा है. एक करोड़पति अभिमानी हो, लेकिन गुस्से से एक व्यक्ति अपने जीवन में कठिनाइयों और बाधाओं का एक बहुत आमंत्रित कर सकते हैं. एक करोड़पति शाही व्यक्तित्व का एक तरह का है और एक गुस्से में...

''मीठे बच्चे - बाप तुम्हें जो पढ़ाई पढ़ाते हैं वह बुद्धि में रख

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप तुम्हें जो पढ़ाई पढ़ाते हैं वह बुद्धि में रख
सबको पढ़ानी है, हर एक को बाप का और सृष्टि चक्र का परिचय देना है''

*प्रश्न:** *आत्मा सतयुग में भी पार्ट बजाती और कलियुग में भी लेकिन अन्तर
क्या है?

*उत्तर:** *सतयुग में जब पार्ट बजाती है तो उसमें कोई पाप कर्म नहीं होता है, हर
कर्म वहाँ अकर्म हो जाता है क्योंकि रावण नहीं है। फिर कलियुग में जब पार्ट
बजाती है तो हर कर्म विकर्म वा पाप बन जाता है क्योंकि यहाँ विकार हैं। अभी तुम
हो संगम पर। तुम्हें सारा ज्ञान है।

*धारणा के लिए मुख्य सार:** *

1) हम सब आत्मा रूप में भाई-भाई हैं, यह पाठ पक्का करना और कराना है। अपने
संस्कारों को याद से सम्पूर्ण पावन बनाना है।

2) 24 कैरेट सच्चा सोना (सतोप्रधान) बनने के लिए कर्म-अकर्म-विकर्म की गुह्य
गति को बुद्धि में रख अब कोई भी विकर्म नहीं करना है।

वरदान:- खुशी के साथ शक्ति को धारण कर विघ्नों को पार करने वाले विघ्न जीत भव

जो बच्चे जमा करना जानते हैं वह शक्तिशाली बनते हैं। यदि अभी-अभी कमाया, अभी-अभी
बांटा, स्वयं में समाया नहीं तो शक्ति नहीं रहती। सिर्फ बांटने वा दान करने की
खुशी रहती है। खुशी के साथ शक्ति हो तो सहज ही विघ्नों को पार कर विघ्न जीत बन
जायेंगे। फिर कोई भी विघ्न लगन को डिस्टर्ब नहीं करेंगे इसलिए जैसे चेहरे से
खुशी की झलक दिखाई देती है ऐसे शक्ति की झलक भी दिखाई दे।

*स्लोगन:** *परिस्थितियों में घबराने के बजाए उन्हें शिक्षक समझकर पाठ सीख लो।

तनाव मुक्ति के उपाय----- ब्रह्मकुमार भगवन भाई

तनाव मुक्ति के उपाय----- ब्रह्मकुमार भगवन भाई आबू पर्वत राजस्तान
1. जीवन की हर एक घटना में किसी न किसी रूप से आपको लाभ ही होता है.परोक्ष रूप से होने वाले लाभ के बारे में ही सदैव सोचिये .
२. भूतकाल में की गई गलतियों का पश्चाताप न करें तथा भविष्य की चिंता न करें.वर्तमान को सफल बनाने के लिए पूरा ध्यान दीजिये.आज ही दिन आपके हाँथ में है.आज आप रचनात्मक कार्य करेंगें तो कल की गलतियाँ मिट जाएगी और भविष्य में अवश्य लाभ होगा.
3. आप अपने जीवन की तुलना अन्य के साथ कर चिंतित न हों.क्योंकि इस विश्व में आप एक अनोखे और विशिष्ट व्यक्ति हैं.इस विश्व में आपके और जैसा कोई नहीं है .
4. सदैव याद रखिये कि आपकी निंदा करने वाला आपका मित्र है जो आपसे बिना मूल्य एक मनोचिकित्सक की भांति आपकी गलतियों व आपकी खामियों की तरफ आपका ध्यान खिचवाता है.
5 आप दुख पहुँचाने वाले को क्षमा कर दो तथा उसे भूल जाओ.
6. सभी समस्याओं को एक साथ सुलझाने का प्रयत्न करके मुझना नहीं.एक समय पर एक ही समस्या का समाधान करें
7. जितना हो सके उतना दूसरों के सहयोगी बनने का प्रयत्न करें.दूसरों के सहायक बनने से आप अपनी चिंताओं को अवश्य भूल जायेंगें.
8. जीवन में आ रही समस्याओं को देखने का दृष्टिकोण बदलें.दृष्टिकोण को बदलने से आप दुख को सुख में परिवर्तन कर सकेंगें.
9. जिस परिस्थिति को आप नहीं बदल सकते उसके बारे में सोंच कर दुखी मत हों.याद रखिये कि समय एक श्रेष्ठ दवा है.
10. यह सृष्टी एक विशाल नाटक है जिसमे हम सभी अभिनेता हैं.हर एक अभिनेता अपना श्रेष्ठ अभिनय अदा कर रहा है .इसलिए किसी के भी अभिनय को देख कर चिंतित न हों.
11. बदला न लो लेकिन पहले स्वयं को बदलने का प्रयत्न करो.बदला लेने कि इच्छा से तो मानसिक तनाव ही बढ़ता है.स्वयं को बदलने का प्रयत्न करने से जीवन में प्रगति होती है
12. ईर्ष्या न करो परन्तु ईश्वर का चिंतन करो.ईर्ष्या करने से तो मन जलता है परन्तु ईश्वर का चिंतन करने से मन असीम शीतलता का अनुभव करता है
14. जब आप समस्याओं का सामना करतें है तो ऐसा सोंचिये कि आपके भूतकाल के कर्मों का हिसाब चुक्तु (चुकता ) हो रहा है.
15. आपके अन्दर रहा थोडा भी अहंकार मन कि स्थिति में असंतुलन का निर्माण करता है.इसलिए उस थोड़े भी अहंकार का भी त्याग करिये .ययद रखिये कि आप खली हाँथ आयें थे और खली हाँथ ही वापस जायेंगें.
16. दिन में चार पांच बार कुछ मिनट अपने संकल्पों को साक्षी होकर देखने का अभ्यास ,चिंताओं से मुक्त करने में सहायक बनता है.
17. अप अपनी सभी चिंताएं परमपिता परमात्मा को समर्पित कर दीजिये
आता है वह तनाव एवं चिंताओं को दूर करके स्वाथ्य में वृद्धि करता है।

उपरोक्त विचार "प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय"ब्रह्मकुमार भगवन भाई आबू पर्वत राजस्तान द्वारा

अपने स्वीट बाप को याद करो तो तुम सतोप्रधान देवता

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - अपने स्वीट बाप को याद करो तो तुम सतोप्रधान देवता
बन जायेंगे, सारा मदार याद की यात्रा पर है''

*प्रश्न:** *जैसे बाप की कशिश बच्चों को होती है वैसे किन बच्चों की कशिश सबको
होगी?

*उत्तर:** *जो फूल बने हैं। जैसे छोटे बच्चे फूल होते हैं, उन्हें विकारों का
पता भी नहीं तो वह सबको कशिश करते हैं ना। ऐसे तुम बच्चे भी जब फूल अर्थात्
पवित्र बन जायेंगे तो सबको कशिश होगी। तुम्हारे में विकारों का कोई भी कांटा
नहीं होना चाहिए।

*धारणा के लिए मुख्य सार:** *

1) सुखधाम में चलने के लिए सुखदाई बनना है। सबके दु:ख हरकर सुख देना है। कभी
भी दु:खदाई कांटा नहीं बनना है।

2) इस विनाशी शरीर में आत्मा ही मोस्ट वैल्युबुल है, वही अमर अविनाशी है इसलिए
अविनाशी चीज़ से प्यार रखना है। देह का भान मिटा देना है।

वरदान:- अपनी श्रेष्ठ स्थिति द्वारा माया को स्वयं के आगे झुकाने वाले हाइएस्ट
पद के अधिकारी भव

जैसे महान आत्मायें कभी किसी के आगे झुकती नहीं हैं, उनके आगे सभी झुकते हैं।
ऐसे आप बाप की चुनी हुई सर्वश्रेष्ठ आत्मायें कहाँ भी, कोई भी परिस्थिति में वा
माया के भिन्न-भिन्न आकर्षण करने वाले रूपों में अपने को झुका नहीं सकती। जब
अभी से सदा झुकाने की स्थिति में स्थित रहेंगे तब हाइएस्ट पद का अधिकार प्राप्त
होगा। ऐसी आत्माओं के आगे सतयुग में प्रजा स्वमान से झुकेगी और द्वापर में आप
लोगों के यादगार के आगे भक्त झुकते रहेंगे।

*स्लोगन:** *कर्म के समय योग का बैलेन्स ठीक हो तब कहेंगे कर्मयोगी।

18 जनवरी 2011, पिताश्री जी के पुण्य स्मृति दिवस

18 जनवरी 2011, पिताश्री जी के पुण्य स्मृति दिवस पर प्रात:क्लास में सुनाने के
लिए

मुरली सार :- ``मीठे बच्चे तुम्हारा यह बहुत-बहुत लवली परिवार है, तुम्हारा
आपस में बहुत-बहुत लव होना चाहिए''
यह तुम्हारा बहुत लवली परिवार है - तो तुम हर एक को बहुत-बहुत लवली होना चाहिए।
कभी किसी पर गुस्सा नहीं करना चाहिए। मन्सा वाचा कर्मणा किसको दु:ख नहीं देना
है। बहुत प्यार से चलना और चलाना है। दैवी गुण धारण कर बहुत-बहुत मीठा बनना है।
एक दो को भाई-भाई अथवा भाई बहन की दृष्टि से देखो। तुमको अपने पुरुषार्थ से
अपने को राजतिलक देना है। देह सहित देह के सभी सम्बनों को भूल मामेकम याद कर -
पावन भी जरूर बनना है। अपने से पक्का प्रण कर लेना है कि हम बाप को कभी नहीं
भूलेंगे, स्कॉलरशिप लेकर ही छोड़ेंगे। अभी तो कलियुगी दुनिया से वैराग्य और
सतयुगी दुनिया से बहुत प्यारा होना चाहिए।

वरदान:- अपने हाइएस्ट पोजीशन में स्थित रहकर हर संकल्प, बोल और कर्म करने वाले
सम्पूर्ण निर्विकारी भव

सम्पूर्ण निर्विकारी अर्थात् किसी भी परसेन्ट में कोई भी विकार तरफ आकर्षण न
जाए, कभी उनके वशीभूत न हों। हाइएस्ट पोजीशन वाली आत्मायें कोई साधारण संकल्प
भी नहीं कर सकती। तो जब कोई भी संकल्प वा कर्म करते हो तो चेक करो कि जैसा ऊंचा
नाम वैसा ऊंचा काम है? अगर नाम ऊंचा, काम नीचा तो नाम बदनाम करते हो इसलिए
लक्ष्य प्रमाण लक्षण धारण करो तब कहेंगे सम्पूर्ण निर्विकारी अर्थात् होलीएस्ट
आत्मा।

*स्लोगन:** *कर्म करते करावनहार बाप की स्मृति रहे तो स्व-पुरुषार्थ और योग का
बैलेन्स ठीक रहेगा।

मनजीत-जगतजीत बनो...ब्रहामाकुमारी

बाबा की बच्चों से चाहत---
हर हाल में मनजीत-जगतजीत बनो...अव्यक्त दिवस की मुरली में प्राणप्यारे बाबा ने हम सभी बच्चों से हर हाल में मनजीत बनने की चाहना व्यक्त की है। बाबा चाहते हैं कि यदि हम ऐसा कर सकेंगे तो यह ब्रम्हाबाबा को हमारी और से उनके प्रति स्नेह की सौगात होगी। बाबा ने कहा कि स्नेह में गिफ्ट दी जाती है तो अब बाप समान बनने, कभी-कभी की बजाए सदाकाल के योगी बनने, मन के मालिक बन उसे आर्डर प्रमाण चलाने वाले ब्रम्हाबाप समान बन बाबा को उनके स्नेह की गिफ्ट दो। बाबा ने कहा कि जब भी कोई ताकत कम हो जाए तो बाप से अपने संबंध और उनसे प्राप्तियों को याद करो। उन्होंने कहा कि याद करने से प्यार बढ़ता है तो प्यार के लिए याद की यात्रा में रहो। बाबा ने संकल्पों पर खास अटेंशन दिलाते हुए व्यर्थ से मुक्ति की बात भी दोहराई। उनका कहना था कि जैसे ब्रम्हा बाबा जीवन में रहते जीवन मुक्त थे, वैसे अब बच्चे भी जीवन में रहते जीवनमुक्ति का पाठ पक्का करें। उन्होंने करनहार और करावनहार का महत्व बताते हुए निमित्तपन का भाव भी रेखांकित किया। आपका कहना था कि सेवा में सदा इसी स्मृति में बच्चे रहें कि करावनहार करा रहा है और करनहार मैं आत्मा कर रही हूं। ऐसी सेवाशैली से निश्चित ही सफलता मिलेगी। बाबा ने सेवा की मुबारकबाद तो दी लेकिन आप समान बनने की सख्त नसीहत दी। बाबा ने सभी बच्चों के स्नेह को याद करते हुए कहा कि स्नेह का रिटर्न देने की बात भी कही। तो हम सभी ब्रम्हावत्सों को अब इस बाबा की उस पालना, सेवा, अपनेपन का रिटर्न देना है जिसकी उन्होंने हमसे चाहना की है। सभी ब्रम्हावत्सों को बाबा मिलन की बधाई और दिली मुबारक बाद।

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम बाप के पास आये हो रिफ्रेश होने, बाप और वर्से

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम बाप के पास आये हो रिफ्रेश होने, बाप और वर्से
को याद करो तो सदा रिफ्रेश रहेंगे''

*प्रश्न:** *समझदार बच्चों की मुख्य निशानी क्या होगी?

*उत्तर:** *जो समझदार हैं उन्हें अपार खुशी होगी। अगर खुशी नहीं तो बुद्धू
हैं। समझदार अर्थात् पारसबुद्धि बनने वाले। वह दूसरों को भी पारसबुद्धि
बनायेंगे। रूहानी सर्विस में बिजी रहेंगे। बाप का परिचय देने बिगर रह नहीं
सकेंगे।

*धारणा के लिए मुख्य सार:** *

1) इस पतित दुनिया का बुद्धि से सन्यास कर पुरानी देह और देह के सम्बन्धियों
को भूल अपनी बुद्धि बाप और स्वर्ग तरफ लगानी है।

2) अविनाशी विश्राम का अनुभव करने के लिए बाप और वर्से की स्मृति में रहना है।
सबको बाप का पैगाम दे रिफ्रेश करना है। रूहानी सर्विस में लज्जा नहीं करनी है।

वरदान:- कदम-कदम पर सावधानी रखते हुए पदमों की कमाई जमा करने वाले पदमपति भव

बाप बच्चों को बहुत ऊंची स्टेज पर रहने की सावधानी दे रहे हैं इसलिए अभी जरा
भी गफलत करने का समय नहीं है, अब तो कदम-कदम पर सावधानी रखते हुए, कदम में
पदमों की कमाई करते पदमपति बनो। जैसे नाम है पदमापदम भाग्यशाली, ऐसे कर्म भी
हों। एक कदम भी पदम की कमाई के बिगर न जाए। तो बहुत सोच-समझकर श्रीमत प्रमाण हर
कदम उठाओ। श्रीमत में मनमत मिक्स नहीं करो।

*स्लोगन:** *मन को आर्डर प्रमाण चलाओ तो मन्मनाभव की स्थिति स्वत: रहेगी।

Thursday, January 20, 2011

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय प्रजापिता ब्रह्माकुमारी

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय प्रजापिता ब्रह्माकुमारी
राजयोग के लिए परमात्मा का परिचय राजयोग का सही अर्थ है आत्मा का परमपिता
परमात्मा के साथ सम्बन्ध अथवा मिलन. इस मिलन द्वारा आत्मा को परमात्मा से
सर्व प्रकार के गुणों और शक्तियों की प्राप्ति होती है. आत्मा के विषय
में जानकारी प्रापत करने के बाद राजयोगी को यह जानना अति आवश्यक होगा कि
परमात्मा कौन है ? जिसके साथ योगी आत्मा को योग लगाना है या सम्बन्ध...

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय प्रजापिता ब्रह्माकुमारी
ईश्वरीय विश्वविद्यालय “परमात्‍मा एक है, वह निराकार एवं अनादि है। वे
विश्‍व की सर्वशक्तिमान सत्‍ता है और ज्ञान के सागर है।” इस मूलभूत
सिद्धांत का पालन करते हुए प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्‍वरीय विश्‍व
विद्यालय इन दिनों विश्‍व भर में धर्म को नए मानदंडों पर परिभाषित कर रहा
है। जीवन...


नैतिक मूल्यों की जरूरत : भगवान भिवानी & प्रजापति ब्रह्मïकुमारी ईश्वरीय
विश्वविद्यालय के ब्रह्मïकुमार भगवान भाई ने कहा कि जीवन में नैतिक
मूल्यों की सबस नैतिक मूल्यों की जरूरत : भगवान भिवानी & प्रजापति
ब्रह्मïकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ब्रह्मïकुमार भगवान भाई ने कहा
कि जीवन में नैतिक मूल्यों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। नैतिक
कर्तव्यों की पालना...


परमात्‍मा एक है, वह निराकार एवं अनादि है। 1. साहसी मनुष्य को अपने
पराक्रम का पुरस्कार अवश्य मिलता है। सिंह की गुफा में जाने वाले को संभव
है काले रंग का मोती गजमुक्ता मिल जाये परंतु जो मनुष्य गीदड़ की मांद
में जायेगा तो उसे गाय की पुँछ और गधे के चमडे के अलावा और क्या मिल सकता
है। 2. धन का लोभ करने वाला ज्ञानी असंतुष्ट रहते हुए अपने धर्म का
पालन...


गुणवान व्यक्ति देश की सम्पति हैं- भगवान भाई गुणवान व्यक्ति देश की
सम्पति हैं- भगवान भाई देसूरी,29 जनवरी। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय
विश्वविद्यालय आबू पर्वत के राजयोगी बी.के. भगवान भाई ने कहा कि गुणवान
व्यक्ति देश की सम्पति हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियोंं के सर्वांगिण
विकास के लिए भौतिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता
हैँ।...


किसी की याद. किसी भी याद आना या किसी को याद करना - यह मनुष्य का
स्वाभाविक गुण है. मन जिस विषय पर सोचता है, उसी के साथ उस आत्मा का योग
है. फिर वह चाहे व्यक्ति, वस्तु, वौभव या परिस्थिति हो या परमात्मा ही
क्यों न हो. अब मन कहाँ-कहाँ जा सकता है, मन का कहीं भी जाने का आधार
क्या हैं ? संसार में करोड़ो मनुष्य है लेकिन मन सभी के विषय में नहीं
सोचता है. मन...


पाप का बाप काम, क्रोध और लोभ है, दुर्वासना इसकी बहन है पाप का बाप काम,
क्रोध और लोभ है, दुर्वासना इसकी बहन है। विवेक रूपी पुरुष की शांति रूप
पाप का बाप काम, क्रोध और लोभ है, दुर्वासना इसकी बहन है


नैतिकता के बगैर भविष्य अंधकारमय : भगवान भाई भास्कर न्यूज&
भिवानी प्रजापति ब्रह्मïकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ब्रह्मïकुमार
भगवान भाई न नैतिकता के बगैर भविष्य अंधकारमय : भगवान भाई Matrix News
भास्कर न्यूज& भिवानी प्रजापति ब्रह्मïकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के
ब्रह्मïकुमार भगवान भाई ने कहा कि जीवन में नैतिक मूल्यों की सबसे
ज्यादा...


बदला लेने की बजाय स्वयं को बदलो: भगवानभाई बदला लेने की बजाय स्वयं को
बदलो: भगवानभाई बालोतरा & प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय
की शाखा बालोतरा की ओर से शुक्रवार को बालोतरा उप कारागृह में संस्कार
परिवर्तन एवं व्यवहार शुद्धि पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। इस
अवसर पर माउंट आबू के राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई ने कहा कि कर्मों की
गति...

राजयोग आध्यात्मिक अनुशासन है राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई प्रजापिता
ब्रह्मकुमारी इश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से पधारे भगवान भाई ने
स्थानीय ब् राजयोग आध्यात्मिक अनुशासन है राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवान भाई
प्रजापिता ब्रह्मकुमारी इश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से पधारे भगवान
भाई ने स्थानीय ब्रह्मकुमारीज सेवाकेंद्र पर आयोजित क्रोधमुक्त जीवन विषय
पर...


आत्मा शांति स्वरुप है| प्रेम स्वरुप है| ज्ञान स्वरुप है| दया स्वरुप
है| जो भी हमें अच्छे गुण लगते हैं वही आत्मा के गुण है, और यही कारण है
की वो हमें अच्छे लगते है| एक निर्दयी आदमी जो की हमेशां दूसरो कष्ट देने
वाला होता है, अगर हम उसे बुरा कहें तो क्या वो खुश होगा?? नहीं? तो
क्यों? क्यूंकि वो भी उन दुर्गुणों को नहीं चाहता, और वो आत्मा ये कतई
सहन...


परमात्मा कौन है और कैसा है?? ये सवाल अक्सर हमारे मन में आता है, इसके
अलग अलग मान्यताएं है ! पर ब्रह्मा कुमारीज के अनुसार परमात्मा आत्मा की
ही तरह है जैसा की आत्मा के बारे में पिछली पोस्ट में बताया था की आत्मा
एक ज्योतिस्वरूप अंडाकार और अति सूक्षम जो स्थूल आँखों से देखि नहीं जा
सकती, है| ठीक परमात्मा का भी वैसा ही आकार वैसा ही रूप और उतने ही...



कटनी। बदलने से विपरीत परिस्थिति भी सहज दिखने लगती है। अपनी समस्या को
समाप्त करने एवं सफल जीवन जीने के लिए विचारों को सकारात्मक बनाने की
बहुत आवश्यकता है। उक्त उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय
विश्वविद्यालय माउंटआबू से आए राजयोगी भगवान भाई ने कहे। वे स्थानीय
ब्रह्माकुमारीज राजयोग सेवा केन्द्र पर तनावमुक्त विषय पर संबोधित कर रहे
थे। उन्होंने...

मंडला। यह कारागृह नही, बल्कि सुधारगृह है। इसमें आपको अपने में सुधार
लाने हेतु रखा हुआ है, शिक्षा देने हेतु नहीं। उक्त उद्गार माउट आबू से
प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीयविश्व विद्यालय के मुख्यालय से पधारे हुए
राजयोगी ब्रम्हाकुमार भगवान भाई ने कहें। उप कारागृह में बन्दिस्त युवा
कैदियों को कर्म गति और व्यवहार शुद्धि विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने
कहा...

प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के राजयोगी भगवान भाई ने कहीं।

प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के राजयोगी भगवान भाई ने कहीं।
प्रभु चिंतन,आत्मचिंतन से मनुष्य को अतिंद्रिय सुख मिलता है। इस सुख के सामने संसार के सारे सुख फीके लगते हैं। यह बातें प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के राजयोगी भगवान भाई ने कहीं। वे यहां केंद्र में ईश्वर प्रेमी श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य को आत्मवान होने के नाते तीन बातों का ज्ञान होना जरूरी है। एक मैं कौन हूं। दो-मेरा आत्मिक पिता कौन है और तीन मैं कहां से आया हूं। उन्होंने कहा कि हम ज्योतिस्वरूप आत्माएं हैं। हम सभी निराकार आत्माएं निराकार परम पिता परमात्मा शिव के बच्चे हैं। हम सभी चांद, सूर्य, तारा गण के पार सुनहरी लाल प्रकाशमय दुनिया से आए हैं। उन्होंने कहा कि आज हम उस परमात्मा को भूल गए हैं। अपने को भूल गए हैं। इसलिए संसार में भटक रहे हैं। परमात्मा गुणों, शांति,आनंद, प्रेम का सागर है।

हमें भी सद्गुणों के विकास की ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंंने कहा आत्मा के पतन का कारण देहभान है। जब मनुष्य का देहभान प्रबल हो जाता है तो वह काम,क्रोध,लोभ, मोह, अहंकार, आदि विकारंों के वश में होकर अपनी दिव्य शक्ति में खो देता है। इंद्रियों का गुलाम हो जाता है।

तब प्रकृति भी तमो प्रधान हो जाती है। मनुष्य दुखी और अशांत

रहता है। उन्होंने कहा अब भक्त की पुकार सुनकर निराकार शिव धरती पर अवतरित हो चुके हैं। उनको सिर्फ भक्ति भाव से याद करने की आवश्यकता है। शिव हमें कर्म गति का ज्ञान और योगाभ्यास का ज्ञान देकर मनोविकारों को जीतने का आदेश दे रहे हैं। जो मनुष्य अपने विकारों को जीतेगा, सद्गुणों को अपनाएगा, वत स्वर्णिम दुनिया में देवपद पाता है। उन्होंने कहा कि सत्संग से प्राप्त ज्ञान ही हमारी असली कमाई है। इसे न तो चोर चुरा सकता है और न आग जला सकती है। ऐसी कमाई के लिए हमें समय निकालना चाहिए। सत्संग के द्वारा ही हम अच्छे संस्कार प्राप्त करते हैं और अपना व्यवहार सुधार पाते हैं। उन्होंने राजयोग की महत्ता बताई और कहा कि राजयोग के द्वारा ही हम अपने संस्कारों को सतो प्रदान बना सकते हैं। इंद्रियों पर काबू कर सकते हैं। केंद्र की बीके बिंदु ने ईश्वरीय महावाक्य सुनाए। इस मौके पर नगर पंचायत अध्यक्ष ममता राठौर सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

प्रभु वचन

मनुष्य को आत्मवान होने के नाते तीन बातों का ज्ञान होना जरूरी है। और ज्ञान ही हमारी असली कमाई है।

परमात्मा के बारे में अनेक मत क्यों ?

परमात्मा के बारे में अनेक मत क्यों ?

ब्रम्हाकुमारी:-

तो परमात्मा के बारे में अनेक मतों का होना यह सिध्द करता है कि लोग अपने आत्मा के पिता को नहीं जानते । तभी तो आज बहुत से लोग कहते हैं कि परमात्मा का कोई रूप ही नहीं है। आप किंचित् विचार कीजिए कि रूप के बिना भला कोई चीज हो कैसे सकती है ? परमात्मा के लिए तो लोग कहते है--''ऍंखिया प्रभु दर्शन की प्यासी' अथवा हे प्रभो? अपने दर्शन दे दो।'' अत: परमात्मा का कोई रूप ही नहीं है, तब तो परमात्मा से मिलन भी नहीं हो सकता? परन्तु सोचिए, क्या हम जिसे अपना परमपिता कहते हैं, उससे मिल भी नहीं सकते ? परमात्मा से जो इतना प्यार करते हैं, उसे इतना पुकारते हैं, उसके लिए इतनी साधनाएँ करते हैं, वे किसलिए ? जिसका कोई रूप ही नहीं है अर्थात् जो चीज ही नहीं है, उसके लिए कोशिश ही क्यों करते हैं ? स्पष्ट है कि परमात्मा का कोई रूप है अवश्य, परन्तु आज मनुष्य के पास ज्ञान-चक्षु के न होने के कारण वह उसे देख नहीं सकता ।

उन्हीं के अनुसार-- मान लीजिए, आप किसी मनुष्य से पूछते हैं कि तुम किस चीज को खोज रहे हो ? तो वह कहता है--''उस वस्तु का कोई रूप नहीं है।'' फिर आप पूछते हैं कि वह वस्तु कहाँ है, वह कैसी है और उसके गुण क्या हैं ? तो वह कहता है कि-- 'वह तो निर्गुण है' तो आप उसे तुरन्त कहेंगे कि-- 'फिर तुम ढूँढ क्या रहे हो, खाक् ? जिसका न नाम है, न रूप है, न गुण है, और न पहचान तो उसके पीछे तुम अपना माथा क्यों खराब कर रहे हो?'

परमात्मा एक लाईट है, एक ज्योति अथवा एक नूर है

सभी लोग कहते हैं कि परमात्मा एक लाईट है, एक ज्योति अथवा एक नूर है परन्तु वे यह नहीं जानते कि उस लाइट का रूप क्या है? तो आज हम अपने अनुभव के आधार पर आप को यह बताना चाहते हैं जैसे आत्मा एक ज्योतिर्विन्दु है, वैसे ही आत्माओं का पिता अर्थात् परम-आत्मा भी ज्योति विन्दु ही है। हाँ ! आत्मा और परमात्मा के गुणों में अन्तर है । परमात्मा सदा एकरस, शान्ति का सागर, आनन्द का सागर और प्रेम का सागर है और जन्म-मरण तथा दु:ख-सुख से न्यारा है। परन्तु आत्मा जन्म-मरण से न्यारा तथा दु:ख-सुख के चक्कर में आती है । आप देखेंगे कि सभी धर्म वालों के यहाँ परमात्मा के इस ज्योतिर्मय रूप की यादगार किसी न किसी नाम से मौजूद है ।

आप भगवान

आप भगवान को देक नहीं सकते पर फील कर सकते हे

जेसे सूरज को देक नहीं सकते पर रोशनी को अनुभव करते हो

जेसे पानी का आकर और रंग को देक नहीं सकते पर पी सकते हो

जेसे अवा को देक नहीं सकते पर सास ले सकते हो

जेसे अब बाप की साकार शारीर को देक सकते हो
पर निराकर को नहीं

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुमने आधाकल्प जिसकी भक्ति की है,

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुमने आधाकल्प जिसकी भक्ति की है, वही बाप खुद
तुम्हें पढ़ा रहे हैं, इस पढ़ाई से ही तुम देवी देवता बनते हो''

प्रश्न: योगबल के लिफ्ट की कमाल क्या है?

उत्तर: तुम बच्चे योगबल की लिफ्ट से सेकेण्ड में ऊपर चढ़ जाते हो अर्थात्
सेकेण्ड में जीवनमुक्ति का वर्सा तुम्हें मिल जाता है। तुम जानते हो सीढ़ी
उतरने में 5 हज़ार वर्ष लगे और चढ़ते हैं एक सेकेण्ड में, यही है योगबल की
कमाल। बाप की याद से सब पाप कट जाते हैं। आत्मा सतोप्रधान बन जाती है।

धारणा के लिए मुख्य सार:

1) जगत का मालिक बनने वा विश्व की बादशाही लेने के लिए मुख्य काम विकार पर जीत
पानी है। सम्पूर्ण निर्विकारी जरूर बनना है।

2) जैसे हमें बाप मिला है ऐसे सबको बाप से मिलाने की कोशिश करनी है। बाप की
सही पहचान देनी है। सच्ची-सच्ची यात्रा सिखलानी है।

वरदान:- भोलेपन के साथ ऑलमाइटी अथॉरिटी बन माया का सामना करने वाले शक्ति
स्वरूप भव

कभी-कभी भोलापन बहुत भारी नुकसान कर देता है। सरलता, भोला रूप धारण कर लेती
है। लेकिन ऐसा भोला नहीं बनो जो सामना नहीं कर सको। सरलता के साथ समाने और सहन
करने की शक्ति चाहिए। जैसे बाप भोलानाथ के साथ आलमाइटी अथॉरिटी है, ऐसे आप भी
भोलेपन के साथ-साथ शक्ति स्वरूप भी बनो तो माया का गोला नहीं लगेगा, माया सामना
करने के बजाए नमस्कार कर लेगी।

स्लोगन: अपने दिल में याद का झण्डा लहराओ तो प्रत्यक्षता का झण्डा लहरा

हर्षित रहना ही ब्राह्मण जीवन का विशेष संस्कार

हर्षित रहना ही ब्राह्मण जीवन का विशेष संस्कार

वरदान:- अपनी पावरफुल वृत्ति द्वारा पतित वायुमण्डल को परिवर्तन करने वाले
मास्टर पतित-पावनी भव

कैसा भी वायुमण्डल हो लेकिन स्वयं की शक्तिशाली वृत्ति वायुमण्डल को बदल सकती
है।
वायुमण्डल विकारी हो लेकिन स्वयं की वृत्ति निर्विकारी हो। जो पतितों को पावन
बनाने
वाले हैं वो पतित वायुमण्डल के वशीभूत नहीं हो सकते। मास्टर पतित-पावनी बन
स्वयं
की पावरफुल वृत्ति से अपवित्र वा कमजोरी का वायुमण्डल मिटाओ, उसका वर्णन कर
वायुमण्डल नहीं बनाओ। कमजोर वा पतित वायुमण्डल का वर्णन करना भी पाप है।


स्लोगन: अब धरनी में परमात्म पहचान का बीज डालो तो प्रत्यक्षता होगी।

तिळगुळ घ्या आणि गोड गोड बोला.....

शुभ प्रभात मित्रांनो...
तुम्हाला आणि तुमच्या कुटुंबाला माझ्याकडून मकरसंक्रांतीच्या हार्दिक शुभेच्छा......
तिळगुळ घ्या आणि गोड गोड बोला.....

मराठी अस्मिता, मराठी मन,
मराठी परंपरेची मराठी शान,
आज संक्रांतीचा सण,
घेऊन आला नवचैतन्याची खाण!
तिळगुळ घ्या, गोड गोड बोला..!
--
सुखाच्या मागे धावून धावून,
मन आयुष्‍याला विटते,
आणि तेव्‍हां कुठे त्‍याला,
मृगजळ भेटते.........

गोष्ट----- बी के भगवान भाई

एक अति श्रीमंत पिता आपल्या मुलाला एका खेड्यात घेऊन गेला।लोक किती गरिबीत
जीवन जगतात हे मुलाला दाखवण्याचा त्याचा उद्देश होता.एका गरीब कुटुंबात
शेतातील घरात दोन दिवस ते राहिले.आपल्या घरी परततांना त्यने मुलाला
विचारले ,' कशी झाली ट्रिप ? '' फारच छान डॅड '' गरीब लोक
कसं जीवन जगतात बघितलंस ना? '' हो ' मुलगा म्हणाला.' हं आता
मला सांग हे बघितल्यानंतर तू काय शिकलास ?' वडीलांनी विचारलंमुलगा म्हणाला
'' मी बघितलं आपल्याजवळ एक कुत्रा आहे तर त्यांच्याजवळ
चार .''आपल्या बागेच्या मध्यभागी एक तळं आहे तर त्यांच्याजवळ खाडी आहे
की जिला अंत नाही.आपल्या बागेत इंपोर्टेड दिवे आहेत तर त्यांच्याजवळ रात्रभर
लुकलुकणारे तारे आहेत.आपल्या बागेची सीमा कुंपणापर्यंत संपते त्यांच्यासाठी तर
अवघं आकाश खुलं आहे.राहण्यासाठी आपल्याकडे जमिनीचा लहानसा तुकडा आहे. तर नजर
पोहोचणार नाही तिथपर्यंत त्यांची शेतं आहेत.आपल्याकडे नोकर आहेत आपली सेवा
करण्यासाठी आणि ते दुसर्‍यांची सेवा करतात.आपले अन्न आपण विकत घेतो आणि ते
स्वत: चं अन्न स्वत: पिकवतात.संपत्तीचं रक्षण करण्यासाठी त्याभोवती आपण कुंपण
बांधले आहे. रक्षणासाठी त्यांचे मित्र धावून येतात.वडील स्तब्ध झाले.मुलगा
पुढे म्हणाला , '' आपण किती गरिब आहोत ते मला दाखवल्याबद्दल मी तुमचा
ऋणी आहे.पाहण्याचा दृष्टीकोन ही अजब गोष्ट आहे की नाही ?आपल्याजवळ जे नाही
त्याचे दु:ख करण्यापेक्षा जे आहे त्याबद्दल परमेश्वराचे आभार माना........

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - अपने स्वीट बाप को याद करो

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - अपने स्वीट बाप को याद करो तो तुम सतोप्रधान देवता बन जायेंगे, सारा मदार याद की यात्रा पर है''

प्रश्न: जैसे बाप की कशिश बच्चों को होती है वैसे किन बच्चों की कशिश सबको होगी?

उत्तर: जो फूल बने हैं। जैसे छोटे बच्चे फूल होते हैं, उन्हें विकारों का पता भी नहीं तो वह सबको कशिश करते हैं ना। ऐसे तुम बच्चे भी जब फूल अर्थात् पवित्र बन जायेंगे तो सबको कशिश होगी। तुम्हारे में विकारों का कोई भी कांटा नहीं होना चाहिए।

धारणा के लिए मुख्य सार:

1) सुखधाम में चलने के लिए सुखदाई बनना है। सबके दु:ख हरकर सुख देना है। कभी भी दु:खदाई कांटा नहीं बनना है।

2) इस विनाशी शरीर में आत्मा ही मोस्ट वैल्युबुल है, वही अमर अविनाशी है इसलिए अविनाशी चीज़ से प्यार रखना है। देह का भान मिटा देना है।

वरदान:- अपनी श्रेष्ठ स्थिति द्वारा माया को स्वयं के आगे झुकाने वाले हाइएस्ट पद के अधिकारी भव

जैसे महान आत्मायें कभी किसी के आगे झुकती नहीं हैं, उनके आगे सभी झुकते हैं। ऐसे आप बाप की चुनी हुई सर्वश्रेष्ठ आत्मायें कहाँ भी, कोई भी परिस्थिति में वा माया के भिन्न-भिन्न आकर्षण करने वाले रूपों में अपने को झुका नहीं सकती। जब अभी से सदा झुकाने की स्थिति में स्थित रहेंगे तब हाइएस्ट पद का अधिकार प्राप्त होगा। ऐसी आत्माओं के आगे सतयुग में प्रजा स्वमान से झुकेगी और द्वापर में आप लोगों के यादगार के आगे भक्त झुकते रहेंगे।

स्लोगन: कर्म के समय योग का बैलेन्स ठीक हो तब कहेंगे कर्मयोगी।

मनजीत-जगतजीत बनो...मनजीत-जगतजीत बनो...

मनजीत-जगतजीत बनो...मनजीत-जगतजीत बनो...
बाबा की बच्चों से चाहत---
हर हाल में मनजीत-जगतजीत बनो...अव्यक्त दिवस की मुरली में प्राणप्यारे बाबा ने हम सभी बच्चों से हर हाल में मनजीत बनने की चाहना व्यक्त की है। बाबा चाहते हैं कि यदि हम ऐसा कर सकेंगे तो यह ब्रम्हाबाबा को हमारी और से उनके प्रति स्नेह की सौगात होगी। बाबा ने कहा कि स्नेह में गिफ्ट दी जाती है तो अब बाप समान बनने, कभी-कभी की बजाए सदाकाल के योगी बनने, मन के मालिक बन उसे आर्डर प्रमाण चलाने वाले ब्रम्हाबाप समान बन बाबा को उनके स्नेह की गिफ्ट दो। बाबा ने कहा कि जब भी कोई ताकत कम हो जाए तो बाप से अपने संबंध और उनसे प्राप्तियों को याद करो। उन्होंने कहा कि याद करने से प्यार बढ़ता है तो प्यार के लिए याद की यात्रा में रहो। बाबा ने संकल्पों पर खास अटेंशन दिलाते हुए व्यर्थ से मुक्ति की बात भी दोहराई। उनका कहना था कि जैसे ब्रम्हा बाबा जीवन में रहते जीवन मुक्त थे, वैसे अब बच्चे भी जीवन में रहते जीवनमुक्ति का पाठ पक्का करें। उन्होंने करनहार और करावनहार का महत्व बताते हुए निमित्तपन का भाव भी रेखांकित किया। आपका कहना था कि सेवा में सदा इसी स्मृति में बच्चे रहें कि करावनहार करा रहा है और करनहार मैं आत्मा कर रही हूं। ऐसी सेवाशैली से निश्चित ही सफलता मिलेगी। बाबा ने सेवा की मुबारकबाद तो दी लेकिन आप समान बनने की सख्त नसीहत दी। बाबा ने सभी बच्चों के स्नेह को याद करते हुए कहा कि स्नेह का रिटर्न देने की बात भी कही। तो हम सभी ब्रम्हावत्सों को अब इस बाबा की उस पालना, सेवा, अपनेपन का रिटर्न देना है जिसकी उन्होंने हमसे चाहना की है। सभी ब्रम्हावत्सों को बाबा मिलन की बधाई और दिली मुबारक बाद।

मुरली सार:- "मीठे बच्चे- तुम यहाँ आये हो सर्वशक्तिमान बाप से शक्ति लेने अर्थात दीपक में ज्ञान घृत डालने"

20-01-2011
मुरली सार:- "मीठे बच्चे- तुम यहाँ आये हो सर्वशक्तिमान बाप से शक्ति लेने अर्थात दीपक में ज्ञान घृत डालने"

प्रश्न: शिव की बारात का गायन क्यों है?

उत्तर: क्योंकि शिवबाबा जब वापिस जाते हैं तो सभी आत्माओं का झुण्ड उनके पीछे-पीछे भागकर जाता है। मूलवतन में भी आत्माओं का मनारा (छत्ता) लग जाता है। तुम पवित्र बनने वाले बच्चे बाप के साथ जाते हो। साथ के कारण ही बारात का गायन है।

धारणा के लिए मुख्य सार:

1) मन-वचन-कर्म से पवित्र बन आत्मा रूपी बैटरी को चार्ज करना है। पक्का ब्राह्मण बनना है।

2) मनमत वा मनुष्य मत छोड़ एक बाप की श्रीमत पर चलकर स्वयं को श्रेष्ठ बनाना है। सतोप्रधान बन बाप के साथ उड़कर जाना है।

वरदान:- पुरुषार्थ शब्द को यथार्थ रीति से यूज़ कर सदा आगे बढ़ने वाले श्रेष्ठ पुरूषार्थी भव

कई बार पुरुषार्थी शब्द भी हार खाने में वा असफलता प्राप्त होने में अच्छी ढाल बन जाता है, जब कोई भी गलती होती है तो कह देते हो हम तो अभी पुरुषार्थी हैं। लेकिन यथार्थ पुरुषार्थी कभी हार नहीं खा सकते क्योंकि पुरुषार्थ शब्द का यथार्थ अर्थ है स्वयं को पुरूष अर्थात् आत्मा समझकर चलना। ऐसे आत्मिक स्थिति में रहने वाले पुरुषार्थी तो सदैव मंजिल को सामने रखते हुए चलते हैं, वे कभी रुकते नहीं, हिम्मत उल्लास छोड़ते नहीं।

स्लोगन: मास्टर सर्वशक्तिमान् की स्मृति में रहो, यह स्मृति ही मालिकपन की स्मृति दिलाती है।

Wednesday, January 19, 2011

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - अपने स्वीट बाप को याद करो

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - अपने स्वीट बाप को याद करो तो तुम सतोप्रधान देवता
बन जायेंगे, सारा मदार याद की यात्रा पर है''

*प्रश्न:** *जैसे बाप की कशिश बच्चों को होती है वैसे किन बच्चों की कशिश सबको
होगी?

*उत्तर:** *जो फूल बने हैं। जैसे छोटे बच्चे फूल होते हैं, उन्हें विकारों का
पता भी नहीं तो वह सबको कशिश करते हैं ना। ऐसे तुम बच्चे भी जब फूल अर्थात्
पवित्र बन जायेंगे तो सबको कशिश होगी। तुम्हारे में विकारों का कोई भी कांटा
नहीं होना चाहिए।

*धारणा के लिए मुख्य सार:** *

1) सुखधाम में चलने के लिए सुखदाई बनना है। सबके दु:ख हरकर सुख देना है। कभी
भी दु:खदाई कांटा नहीं बनना है।

2) इस विनाशी शरीर में आत्मा ही मोस्ट वैल्युबुल है, वही अमर अविनाशी है इसलिए
अविनाशी चीज़ से प्यार रखना है। देह का भान मिटा देना है।

वरदान:- अपनी श्रेष्ठ स्थिति द्वारा माया को स्वयं के आगे झुकाने वाले हाइएस्ट
पद के अधिकारी भव

जैसे महान आत्मायें कभी किसी के आगे झुकती नहीं हैं, उनके आगे सभी झुकते हैं।
ऐसे आप बाप की चुनी हुई सर्वश्रेष्ठ आत्मायें कहाँ भी, कोई भी परिस्थिति में वा
माया के भिन्न-भिन्न आकर्षण करने वाले रूपों में अपने को झुका नहीं सकती। जब
अभी से सदा झुकाने की स्थिति में स्थित रहेंगे तब हाइएस्ट पद का अधिकार प्राप्त
होगा। ऐसी आत्माओं के आगे सतयुग में प्रजा स्वमान से झुकेगी और द्वापर में आप
लोगों के यादगार के आगे भक्त झुकते रहेंगे।

*स्लोगन:** *कर्म के समय योग का बैलेन्स ठीक हो तब कहेंगे कर्मयोगी।

18 जनवरी 2011, पिताश्री जी के पुण्य स्मृति दिवस

18 जनवरी 2011, पिताश्री जी के पुण्य स्मृति दिवस पर प्रात:क्लास में सुनाने के
लिए

मुरली सार :- ``मीठे बच्चे तुम्हारा यह बहुत-बहुत लवली परिवार है, तुम्हारा
आपस में बहुत-बहुत लव होना चाहिए''
यह तुम्हारा बहुत लवली परिवार है - तो तुम हर एक को बहुत-बहुत लवली होना चाहिए।
कभी किसी पर गुस्सा नहीं करना चाहिए। मन्सा वाचा कर्मणा किसको दु:ख नहीं देना
है। बहुत प्यार से चलना और चलाना है। दैवी गुण धारण कर बहुत-बहुत मीठा बनना है।
एक दो को भाई-भाई अथवा भाई बहन की दृष्टि से देखो। तुमको अपने पुरुषार्थ से
अपने को राजतिलक देना है। देह सहित देह के सभी सम्बनों को भूल मामेकम याद कर -
पावन भी जरूर बनना है। अपने से पक्का प्रण कर लेना है कि हम बाप को कभी नहीं
भूलेंगे, स्कॉलरशिप लेकर ही छोड़ेंगे। अभी तो कलियुगी दुनिया से वैराग्य और
सतयुगी दुनिया से बहुत प्यारा होना चाहिए।

वरदान:- अपने हाइएस्ट पोजीशन में स्थित रहकर हर संकल्प, बोल और कर्म करने वाले
सम्पूर्ण निर्विकारी भव

सम्पूर्ण निर्विकारी अर्थात् किसी भी परसेन्ट में कोई भी विकार तरफ आकर्षण न
जाए, कभी उनके वशीभूत न हों। हाइएस्ट पोजीशन वाली आत्मायें कोई साधारण संकल्प
भी नहीं कर सकती। तो जब कोई भी संकल्प वा कर्म करते हो तो चेक करो कि जैसा ऊंचा
नाम वैसा ऊंचा काम है? अगर नाम ऊंचा, काम नीचा तो नाम बदनाम करते हो इसलिए
लक्ष्य प्रमाण लक्षण धारण करो तब कहेंगे सम्पूर्ण निर्विकारी अर्थात् होलीएस्ट
आत्मा।

*स्लोगन:** *कर्म करते करावनहार बाप की स्मृति रहे तो स्व-पुरुषार्थ और योग का
बैलेन्स ठीक रहेगा।

तनाव मुक्त जीवन बी के भगवान भाई

1. जीवन की हर एक घटना में किसी न किसी रूप से आपको लाभ ही होता है.परोक्ष रूप से होने वाले लाभ के बारे में ही सदैव सोचिये .
२. भूतकाल में की गई गलतियों का पश्चाताप न करें तथा भविष्य की चिंता न करें.वर्तमान को सफल बनाने के लिए पूरा ध्यान दीजिये.आज ही दिन आपके हाँथ में है.आज आप रचनात्मक कार्य करेंगें तो कल की गलतियाँ मिट जाएगी और भविष्य में अवश्य लाभ होगा.
3. आप अपने जीवन की तुलना अन्य के साथ कर चिंतित न हों.क्योंकि इस विश्व में आप एक अनोखे और विशिष्ट व्यक्ति हैं.इस विश्व में आपके और जैसा कोई नहीं है .
4. सदैव याद रखिये कि आपकी निंदा करने वाला आपका मित्र है जो आपसे बिना मूल्य एक मनोचिकित्सक की भांति आपकी गलतियों व आपकी खामियों की तरफ आपका ध्यान खिचवाता है.
5 आप दुख पहुँचाने वाले को क्षमा कर दो तथा उसे भूल जाओ.
6. सभी समस्याओं को एक साथ सुलझाने का प्रयत्न करके मुझना नहीं.एक समय पर एक ही समस्या का समाधान करें
7. जितना हो सके उतना दूसरों के सहयोगी बनने का प्रयत्न करें.दूसरों के सहायक बनने से आप अपनी चिंताओं को अवश्य भूल जायेंगें.
8. जीवन में आ रही समस्याओं को देखने का दृष्टिकोण बदलें.दृष्टिकोण को बदलने से आप दुख को सुख में परिवर्तन कर सकेंगें.
9. जिस परिस्थिति को आप नहीं बदल सकते उसके बारे में सोंच कर दुखी मत हों.याद रखिये कि समय एक श्रेष्ठ दवा है.
10. यह सृष्टी एक विशाल नाटक है जिसमे हम सभी अभिनेता हैं.हर एक अभिनेता अपना श्रेष्ठ अभिनय अदा कर रहा है .इसलिए किसी के भी अभिनय को देख कर चिंतित न हों.
11. बदला न लो लेकिन पहले स्वयं को बदलने का प्रयत्न करो.बदला लेने कि इच्छा से तो मानसिक तनाव ही बढ़ता है.स्वयं को बदलने का प्रयत्न करने से जीवन में प्रगति होती है
12. ईर्ष्या न करो परन्तु ईश्वर का चिंतन करो.ईर्ष्या करने से तो मन जलता है परन्तु ईश्वर का चिंतन करने से मन असीम शीतलता का अनुभव करता है
14. जब आप समस्याओं का सामना करतें है तो ऐसा सोंचिये कि आपके भूतकाल के कर्मों का हिसाब चुक्तु (चुकता ) हो रहा है.
15. आपके अन्दर रहा थोडा भी अहंकार मन कि स्थिति में असंतुलन का निर्माण करता है.इसलिए उस थोड़े भी अहंकार का भी त्याग करिये .ययद रखिये कि आप खली हाँथ आयें थे और खली हाँथ ही वापस जायेंगें.
16. दिन में चार पांच बार कुछ मिनट अपने संकल्पों को साक्षी होकर देखने का अभ्यास ,चिंताओं से मुक्त करने में सहायक बनता है.
17. अप अपनी सभी चिंताएं परमपिता परमात्मा को समर्पित कर दीजिये
आता है वह तनाव एवं चिंताओं को दूर करके स्वाथ्य में वृद्धि करता है।

उपरोक्त विचार "प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय" द्वारा

मनजीत-जगतजीत बनो...

बाबा की बच्चों से चाहत---
हर हाल में मनजीत-जगतजीत बनो...अव्यक्त दिवस की मुरली में प्राणप्यारे बाबा ने हम सभी बच्चों से हर हाल में मनजीत बनने की चाहना व्यक्त की है। बाबा चाहते हैं कि यदि हम ऐसा कर सकेंगे तो यह ब्रम्हाबाबा को हमारी और से उनके प्रति स्नेह की सौगात होगी। बाबा ने कहा कि स्नेह में गिफ्ट दी जाती है तो अब बाप समान बनने, कभी-कभी की बजाए सदाकाल के योगी बनने, मन के मालिक बन उसे आर्डर प्रमाण चलाने वाले ब्रम्हाबाप समान बन बाबा को उनके स्नेह की गिफ्ट दो। बाबा ने कहा कि जब भी कोई ताकत कम हो जाए तो बाप से अपने संबंध और उनसे प्राप्तियों को याद करो। उन्होंने कहा कि याद करने से प्यार बढ़ता है तो प्यार के लिए याद की यात्रा में रहो। बाबा ने संकल्पों पर खास अटेंशन दिलाते हुए व्यर्थ से मुक्ति की बात भी दोहराई। उनका कहना था कि जैसे ब्रम्हा बाबा जीवन में रहते जीवन मुक्त थे, वैसे अब बच्चे भी जीवन में रहते जीवनमुक्ति का पाठ पक्का करें। उन्होंने करनहार और करावनहार का महत्व बताते हुए निमित्तपन का भाव भी रेखांकित किया। आपका कहना था कि सेवा में सदा इसी स्मृति में बच्चे रहें कि करावनहार करा रहा है और करनहार मैं आत्मा कर रही हूं। ऐसी सेवाशैली से निश्चित ही सफलता मिलेगी। बाबा ने सेवा की मुबारकबाद तो दी लेकिन आप समान बनने की सख्त नसीहत दी। बाबा ने सभी बच्चों के स्नेह को याद करते हुए कहा कि स्नेह का रिटर्न देने की बात भी कही। तो हम सभी ब्रम्हावत्सों को अब इस बाबा की उस पालना, सेवा, अपनेपन का रिटर्न देना है जिसकी उन्होंने हमसे चाहना की है। सभी ब्रम्हावत्सों को बाबा मिलन की बधाई और दिली मुबारक बाद।

Thursday, January 13, 2011

तनाव मुक्ति के उपाय----- ब्रह्मकुमार भगवन भाई

तनाव मुक्ति के उपाय----- ब्रह्मकुमार भगवन भाई आबू पर्वत राजस्तान
1. जीवन की हर एक घटना में किसी न किसी रूप से आपको लाभ ही होता
है.परोक्ष रूप से होने वाले लाभ के बारे में ही सदैव सोचिये .
२. भूतकाल में की गई गलतियों का पश्चाताप न करें तथा भविष्य की चिंता न
करें.वर्तमान को सफल बनाने के लिए पूरा ध्यान दीजिये.आज ही दिन आपके हाँथ
में है.आज आप रचनात्मक कार्य करेंगें तो कल की गलतियाँ मिट जाएगी और
भविष्य में अवश्य लाभ होगा.
3. आप अपने जीवन की तुलना अन्य के साथ कर चिंतित न हों.क्योंकि इस विश्व
में आप एक अनोखे और विशिष्ट व्यक्ति हैं.इस विश्व में आपके और जैसा कोई
नहीं है .
4. सदैव याद रखिये कि आपकी निंदा करने वाला आपका मित्र है जो आपसे बिना
मूल्य एक मनोचिकित्सक की भांति आपकी गलतियों व आपकी खामियों की तरफ आपका
ध्यान खिचवाता है.
5 आप दुख पहुँचाने वाले को क्षमा कर दो तथा उसे भूल जाओ.
6. सभी समस्याओं को एक साथ सुलझाने का प्रयत्न करके मुझना नहीं.एक समय पर
एक ही समस्या का समाधान करें
7. जितना हो सके उतना दूसरों के सहयोगी बनने का प्रयत्न करें.दूसरों के
सहायक बनने से आप अपनी चिंताओं को अवश्य भूल जायेंगें.
8. जीवन में आ रही समस्याओं को देखने का दृष्टिकोण बदलें.दृष्टिकोण को
बदलने से आप दुख को सुख में परिवर्तन कर सकेंगें.
9. जिस परिस्थिति को आप नहीं बदल सकते उसके बारे में सोंच कर दुखी मत
हों.याद रखिये कि समय एक श्रेष्ठ दवा है.
10. यह सृष्टी एक विशाल नाटक है जिसमे हम सभी अभिनेता हैं.हर एक अभिनेता
अपना श्रेष्ठ अभिनय अदा कर रहा है .इसलिए किसी के भी अभिनय को देख कर
चिंतित न हों.
11. बदला न लो लेकिन पहले स्वयं को बदलने का प्रयत्न करो.बदला लेने कि
इच्छा से तो मानसिक तनाव ही बढ़ता है.स्वयं को बदलने का प्रयत्न करने से
जीवन में प्रगति होती है
12. ईर्ष्या न करो परन्तु ईश्वर का चिंतन करो.ईर्ष्या करने से तो मन जलता
है परन्तु ईश्वर का चिंतन करने से मन असीम शीतलता का अनुभव करता है
14. जब आप समस्याओं का सामना करतें है तो ऐसा सोंचिये कि आपके भूतकाल के
कर्मों का हिसाब चुक्तु (चुकता ) हो रहा है.
15. आपके अन्दर रहा थोडा भी अहंकार मन कि स्थिति में असंतुलन का निर्माण
करता है.इसलिए उस थोड़े भी अहंकार का भी त्याग करिये .ययद रखिये कि आप
खली हाँथ आयें थे और खली हाँथ ही वापस जायेंगें.
16. दिन में चार पांच बार कुछ मिनट अपने संकल्पों को साक्षी होकर देखने
का अभ्यास ,चिंताओं से मुक्त करने में सहायक बनता है.
17. अप अपनी सभी चिंताएं परमपिता परमात्मा को समर्पित कर दीजिये
आता है वह तनाव एवं चिंताओं को दूर करके स्वाथ्य में वृद्धि करता है।
18. जीवन में आ रही समस्याओं को देखने का दृष्टिकोण बदलें.दृष्टिकोण को
बदलने से आप दुख को सुख में परिवर्तन कर सकेंगें.
उपरोक्त विचार "प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय
विश्वविद्यालय"ब्रह्मकुमार भगवन भाई आबू पर्वत राजस्तान द्वारा

तनाव मुक्ति के उपाय----- ब्रह्मकुमार भगवन भाई आबू पर्वत राजस्तान

1. जीवन की हर एक घटना में किसी न किसी रूप से आपको लाभ ही होता है.परोक्ष रूप से होने वाले लाभ के बारे में ही सदैव सोचिये .
२. भूतकाल में की गई गलतियों का पश्चाताप न करें तथा भविष्य की चिंता न करें.वर्तमान को सफल बनाने के लिए पूरा ध्यान दीजिये.आज ही दिन आपके हाँथ में है.आज आप रचनात्मक कार्य करेंगें तो कल की गलतियाँ मिट जाएगी और भविष्य में अवश्य लाभ होगा.
3. आप अपने जीवन की तुलना अन्य के साथ कर चिंतित न हों.क्योंकि इस विश्व में आप एक अनोखे और विशिष्ट व्यक्ति हैं.इस विश्व में आपके और जैसा कोई नहीं है .
4. सदैव याद रखिये कि आपकी निंदा करने वाला आपका मित्र है जो आपसे बिना मूल्य एक मनोचिकित्सक की भांति आपकी गलतियों व आपकी खामियों की तरफ आपका ध्यान खिचवाता है.
5 आप दुख पहुँचाने वाले को क्षमा कर दो तथा उसे भूल जाओ.
6. सभी समस्याओं को एक साथ सुलझाने का प्रयत्न करके मुझना नहीं.एक समय पर एक ही समस्या का समाधान करें
7. जितना हो सके उतना दूसरों के सहयोगी बनने का प्रयत्न करें.दूसरों के सहायक बनने से आप अपनी चिंताओं को अवश्य भूल जायेंगें.
8. जीवन में आ रही समस्याओं को देखने का दृष्टिकोण बदलें.दृष्टिकोण को बदलने से आप दुख को सुख में परिवर्तन कर सकेंगें.
9. जिस परिस्थिति को आप नहीं बदल सकते उसके बारे में सोंच कर दुखी मत हों.याद रखिये कि समय एक श्रेष्ठ दवा है.
10. यह सृष्टी एक विशाल नाटक है जिसमे हम सभी अभिनेता हैं.हर एक अभिनेता अपना श्रेष्ठ अभिनय अदा कर रहा है .इसलिए किसी के भी अभिनय को देख कर चिंतित न हों.
11. बदला न लो लेकिन पहले स्वयं को बदलने का प्रयत्न करो.बदला लेने कि इच्छा से तो मानसिक तनाव ही बढ़ता है.स्वयं को बदलने का प्रयत्न करने से जीवन में प्रगति होती है
12. ईर्ष्या न करो परन्तु ईश्वर का चिंतन करो.ईर्ष्या करने से तो मन जलता है परन्तु ईश्वर का चिंतन करने से मन असीम शीतलता का अनुभव करता है
14. जब आप समस्याओं का सामना करतें है तो ऐसा सोंचिये कि आपके भूतकाल के कर्मों का हिसाब चुक्तु (चुकता ) हो रहा है.
15. आपके अन्दर रहा थोडा भी अहंकार मन कि स्थिति में असंतुलन का निर्माण करता है.इसलिए उस थोड़े भी अहंकार का भी त्याग करिये .ययद रखिये कि आप खली हाँथ आयें थे और खली हाँथ ही वापस जायेंगें.
16. दिन में चार पांच बार कुछ मिनट अपने संकल्पों को साक्षी होकर देखने का अभ्यास ,चिंताओं से मुक्त करने में सहायक बनता है.
17. अप अपनी सभी चिंताएं परमपिता परमात्मा को समर्पित कर दीजिये
आता है वह तनाव एवं चिंताओं को दूर करके स्वाथ्य में वृद्धि करता है।

उपरोक्त विचार "प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय"ब्रह्मकुमार भगवन भाई आबू पर्वत राजस्तान द्वारा

Thursday, January 6, 2011

कहानी

प्राचीन समय की बात है। एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहाँ तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।
शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्यो देकर ही खा सकती है। चूँकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।
सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चाँद उदित हो रहा हो।
इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चाँद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चाँद को देखती है, उसे अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ जाती है।
वह पहला टुकड़ा मुँह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुँह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।
उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने ऐसा किया है।
सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।
एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियाँ करवा चौथ का व्रत रखती हैं। जब भाभियाँ उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है।
इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूँकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका व्रत टूटा था अतः उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह के वह चली जाती है।
सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।
अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अँगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुँह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है। हे श्री गणेश माँ गौरी जिस प्रकार करवा को चिर सुहागन का वरदान आपसे मिला है, वैसा ही सब सुहागिनों को मिले।

कहानी

हम सदियों से संत - महात्माओं के अद्भुत किस्से कहानियां सुनते आए हैं. कुछ तो पौराणिक घटनाओं की वजह भी रहें हैं. जैसे एक बार अपने क्रोध के लिए प्रचलित मुनि दुर्वासा कृष्ण की नगरी जाते हैं. कृष्ण और रुक्मणि उनकी सच्चे मन से सेवा करते हैं. उन्हें पूरी नगरी का भ्रमण करवाते हैं.और अंत में उनकी पसंद के मुताबिक खीर सेवन के लिए देते हैं. तभी मुनि दुर्वासा कृष्ण को बुलाते हैं. और उन्हें अपने पूरे शरीर पर खीर मलने को कहते हैं. उनके आदेशनुसार कृष्ण अपने पूरे शरीर खीर मल लेते हैं. लेकिन पंजे छोड़ देते हैं. जब मुनि देखते हैं. तो पूछते हैं. तुमने पंजे क्यों छोड़ दिए. उस पर कृष्ण कहते हैं कि हे मुनि ये तो प्रसाद रूपी खीर थी मैं इसे चरणों पर कैसे लगा सकता था. मुनि कहते है ये तुमने ठीक नहीं किया. ये मात्र खीर नही थी. मेरा वरदान था. इसे मलने से तुम्हारा शरीर वज्र समान हो गया है. जिसे कोई तीर भेद नही सकता, पर तुम्हारे पंजे इस वरदान के फल से वंचित रह गए हैं कि श्री कृष्ण ने स्वेच्छा से अपना शरीर इसलिए त्यागा था क्योंकि उनके पंजों पर तीरों के घाव हो गए थे. जो ठीक नहीं हो सकते थे.

कहानी

एक साधू महात्मा नदी में खड़े हो सूर्य अर्घ्य दे रहे थे. साधू ने ज्यों ही अंजुली में पानी लिया, उन्होनें देखा एक बिच्छू नदी में बहा जा रहा था. साधू ने देखा तो हाथ बढ़ा खींच लिया. बिच्छू ने तुरंत उन्हें ड़ंक मार दिया. इससे साधू महात्मा का हाथ हिला और बिच्छू फ़िर पानी में गिर गया. साधू ने फ़िर हाथ बढ़ाकर उसे खींच लिया. बिच्छू ने फ़िर ड़ंक मार दिया और दुबारा पानी में गिर गया. साधू ने फ़िर उसे उठा लिया, बिच्छू ने फ़िर ढ़ंक मार दिया. साधू ने फ़िर उसे उठा लिया. यह प्रक्रिया काफ़ी देर तक चलती रही. पास खड़े एक आदमी ने पूछा. महात्मन आप यह क्यों कर रहे हैं ? बिच्छू बार - बार आपको काट लेता है. फ़िर भी आप बार - बार उसे उठा लेते हैं. मरने दीजिए इस दुष्ट को. साधू महात्मा बोले - बेटा डंक मारना उसका धर्म है. बचाना मेरा धर्म. वह अपना धर्म नही छोड़ता, तो मैं अपना धर्म क्यों छोड़ दूँ.

वह व्यक्ति हंसकर बोला - महात्मन क्या ऐसे छोटे से प्राणी का भी कोई धर्म होता है.

साधू महात्मा बोले बिल्कुल ! सबका अपना - अपना धर्म होता है.

हर चीज का अपना - अपना धर्म होता है.

हर प्राणी का अपना अपना धर्म होता है.

हर मनुष्य का अपना - अपना धर्म होता है.

ड़ंक मारना बिच्छू का धर्म है, दया करना मनुष्य का.

जलाना आग का काम है, बुझाना पानी का.

क्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा सबका अपना - अपना धर्म है.

पशु, पक्षी, चर, अचर सबका अपना - अपना धर्म है.

सभी अपने - अपने धर्म का पालन करते हैं. इसलिए हमें भी अपनी मनुष्यता नही छोड़नी चाहिए.

कहानी

एक शेरनी थी कई दिनों से भूखी प्यासी थी. वह शिकार करने में अस्मर्थ थी, क्योंकि उसके पेट में बच्चा था. भूखी प्यासी शिकार की तालाश में घूमते हुए वह जंगली बकरी-बकरों के झुण्ड़ के पास जा पहुँची. शेरनी उन पर हमला करने के लिए तेजी से लपकी, पर असफ़ल रही. बकरी-बकरे इधर उधर भाग गये. उसी समय उसे प्रसव वेदना हुई. बच्चे को जन्म देते ही वह मर गयी. जानवरों ने पास आकर देखा कि शेरनी मरी पड़ी है, और उसका बच्चा जिन्दा असहाय पड़ा है. बकरी-बकरों ने उसे उठा लिया और पाल लिया. अब शेर का बच्चा बकरी-बकरों के साथ रहने लगा, उन्हीं की तरह रहने लगा. उन्ही की तरह मिमियाता और घास चरता. उन्ही की तरह रहने लगा. ऐसा लगने लगा कि मानो वह शेर नही, बकरा है.

शेर का बच्चा दिन-दिन बढ़ने लगा. अचानक एक रात को उनके झुण्ड़ पर एक बड़े शेर ने हमला किया. बकरी-बकरे सब प्राण बचाकर इधर-उधर भाग निकले. शेर का बच्चा वहीं खड़ा रहा. समझ नही पाया की क्या करें? उसने दूसरे शेर को चकित होकर देखा. थोड़ी देर बाद वह धीमे से मिमियाया और फ़िर घास चरने लगा. बूढ़े शेर ने उसकी तरफ़ देखकर कहा - यहाँ बकरी-बकरों के बीच तुम क्या कर रहे हो?

शेर का बच्चा फ़िर मिमियाया. यह देख बूढ़ा शेर चौंका. गरजते हुए बोला - क्यों मिमिया रहे हो ?

शेर का बच्चा जब तक कुछ जवाब देता, उससे पहले ही शेर ने उसे गर्दन से पकड़कर झझकोरा. फ़िर वह उसे घसीटकर एक झरने के किनारे ले गया. चाँद की रोशनी में उसे पानी के भीतर झुका कर कहा ! देखो - मेरा चेहरा देखो, अपना चेहरा देखो. दोनो चेहरे एक से है ना ? तुम्हारा चेहरा मेरी ही तरह है ना ? तुम भी मेरी तरह एक शेर हो. फ़िर क्यों अपने आप को बकरा समझते हो ? क्यों मिमियाते हो? क्यों घास खाते हो ? शेर का बच्चा हैरान होकर सोचने लगा कि बूढ़े शेर की बातों में कुछ दम है.

बूढ़ा शेर, शेर के बच्चे को माँद में घसीट कर ले गया. वहाँ पड़ा हुआ माँस का एक टुकड़ा जबरदस्ती उसके मुँह में ठूँस दिया. पहले तो वह कुछ झिझका, परन्तु धीरे-धीरे उसे उसमे स्वाद आने लगा. उसकी दाड़ में खून लग गया. वह मानो गहरी नींद से जागा. उसने अपने आप को पहचाना. उसने दहाड़ मार कर अपने पंजे फ़ैलाये. अब वह शेर की तरह गरजने लगा. इसी का नाम है आत्मज्ञान. अपने आपको जानना, पहचानना.

ब्रह्मा कुमार भगवान भाई आबू पर्वत ब्रह्माकुमारी

नाम: Rajyogi ब्रह्मा कुमार भगवान भाई
पदनाम: Shantivan पर Rajyoga गुरू,
मुख्यालय इंटरनेशनल,
प्रजापिता ब्रह्मा
Ishwariya विद्यालय विश्व
रसोई विभाग में Shantivan में धर्मी सेवा
लेखक, विभिन्न Magaines और समाचार पत्रों में AI
शैक्षिक
योग्यता: 10 वीं और I.T.I. (Draftman-सिविल), महाराष्ट्र
जन्म तिथि: जून 1, 1965
सेवा स्थान: अबू रोड, Shantivan
लंबे समय है, कैसे
ज्ञान में किया गया: 1985
1987: कब से सेवा में समर्पित
ÙÄÄóYou जैसे, ग्राम विकाश कई आध्यात्मिक अभियानों में धर्मी सेवाएं दे दिया है
रैली, शिव सन्देश रथ यात्रा, मूल्य आधारित मीडिया अभियान, मूल्य आधारित शिक्षा
अभियान, युवा पैड यात्रा, आदि भारत के विभिन्न प्रदेशों में, साथ ही में
नेपाल.
ÙÄÄóYou विभिन्न विषयों पर पर संबोधित किया है कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय
(5000) के बारे में स्कूलों और जेलों (800) के बारे में.
ÙÄÄóYou पुनर्वास शिविर का आयोजन करने की प्राकृतिक में विशेष अनुभव मिल गया है
बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदाओं, भूकम्प आदि
ÙÄÄóYou Refrasher कोर्स और प्रशिक्षण कार्यक्रम में विभिन्न पंखों की कक्षाएं ले लिया
यह ईश्वरीय विश्वविद्यालय.
ÙÄÄóYou एक बहुत अच्छे लेखक हैं. अपने लेख बहुत बार कई पत्रिकाओं में प्रकाशित कर रहे हैं
जैसे (हिंदी) Gyanamrit, विश्व नवीनीकरण (अंग्रेज़ी) के रूप में,
(मराठी) Amritkumbh, ज्ञान दर्पण (उडिया), Gyanamrit (गुजराती),
(तमिल) Sangamyugam, विश्व एनएवी (कनाडा) निर्माण, (Talgu) Gyanamritam, आदि,
ÙÄÄóYou तनाव मुक्त जीवन, लत से मुक्त जीवन के रूप में इस तरह के विषयों पर व्याख्यान देते हैं,
Angerless जीवन, सकारात्मक सोच, योग की विधि, स्व प्रबंध नेतृत्व की कला,
व्यक्तित्व विकास, प्रबंधन आदि मन
ÙÄÄóYou दिया है Lotary क्लब, बार के रूप में विभिन्न स्थानों (परिसर) में व्याख्यान
एसोसिएशन, विश्वविद्यालय परिसर, रेलवे, कालेज परिसर, आईटीआई, आदि

Tuesday, January 4, 2011

आपके शब्द बहुत कीमती हैं----ब्रह्मकुमार भगवान भाई आबू पर्वत

बात कर एक इंसान का एक स्वाभाविक क्रिया है. हर बात पर रहता ही समझदार लोगों को शांत रखने में सक्षम हैं. कुछ लोगों के शब्दों खजाने और दूसरों के लिए प्रेरणा की तरह हो जाते हैं. दूसरे शब्दों है लोगों को बाहर खींच असहाय स्थितियों की और उन्हें साहस दे. लेकिन वहाँ कुछ ही लोग, जिनके शब्द दूसरों को दुख देते हैं, उन्हें बेबस कर, दूर उनकी खुशी लेते हैं और उन्हें तनाव के तूफान में फेंक रहे हैं.
आम लोगों को उनके शब्दों को मान नहीं पता है. वे सिर्फ बात करते हैं, जानने के लिए कहते हैं, जहाँ बात करते हैं, के लिए कितना बात करते हैं और चुप करने के लिए रखने के लिए जब क्या नहीं. कभी कभी, बहुत कुछ बात करने के बाद भी, एक व्यक्ति को अर्थ स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में असमर्थ है, और उस व्यक्ति समझदार नहीं कहा जा सकता. लेकिन एक, जो स्पष्टता के साथ बोलते हैं और कुछ शब्दों का उपयोग करता है एक समझदार व्यक्ति है. हमारी शारीरिक और मानसिक ऊर्जा अधिक बर्बाद किया है बात कर रहा है, कि व्यक्ति कुछ भी नहीं पैदा स्थिर और कहीं भी नहीं कर सकते हैं उनके बुद्धि सकते हो जाती है. अध्यापन के पेशे में जो देखा है कि सत्र के घंटे के बाद, एक शिक्षक मानसिक रूप से थक गया लगता है हो सकता है. अगर किसी को किसी भी क्षेत्र में एक विद्वान बन चाहता है तो वह / वह कम बात करनी चाहिए.
हमारे शब्दों की जानी चाहिए कि इस तरह हमें दूसरों को सुनने पर खुशी होती है और दूर चलाने की तरह नहीं लग रहा है. एक व्यक्ति जो कम बोलते हैं और अधिक महत्व देता हो जाता है और यह भी बौद्धिक होने का एक संकेत है. मीठे शब्दों को एक राग का स्वाद दे सकते हैं. सम्मान के संबंध में, और परिवार के सदस्यों के बीच प्यार और एकता को बढ़ा सकते हैं प्यार करता हूँ, और अंत विवादों से भरा शब्द.
ध्यान है कि जब आप अपने बच्चों को या किसी भी बाहरी व्यक्ति से बात कर रहे हैं, अपने बच्चों को लगातार तुम से सीख रहे हैं और वे अन्य लोगों के साथ ही भाषा का प्रयोग करेंगे भुगतान करें. कभी चीजें हैं जो बच्चों को दुख होगा कहते हैं. यहाँ तक कि यदि वे अच्छी तरह से है या नहीं स्मार्ट व्यवहार नहीं कर रहे हैं, आप उत्साह और साहस के साथ अपने शब्दों में उन्हें लाना होगा. यदि आप उन्हें बता रखना वे अयोग्य और कुंठित कर रहे हैं,

इन शब्दों को निश्चित रूप से अपने मन और बुद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और उन्हें duller बनाते हैं.
अगर किसी को अपने घर में कुछ पुरानी बीमारी के साथ मारा है, तो आप सांत्वना और उन्हें ऐसी हालत में समर्थन करना चाहिए. कोई भी कभी अपने बुरे भाग्य अभिशाप है और कह रही है, रखना "मेरी पूरी बचत इस रोग की वजह से चले गए हैं." किसी भी बीमारी पर नियंत्रण है, लेकिन इसके बजाय अगर आप उनके साथ प्यार से बात करते हैं, वे जल्दी ही ठीक हो सकता है.
तुम अंत में पश्चाताप आमंत्रित कर रहे हैं किसी से नाराज़ हो रही है और बुरी भाषा का प्रयोग करके. हर कोई जानता है कि एक बार बोले गए शब्दों को वापस नहीं लिया जा सकता. शब्दों दुश्मन और दोस्तों के रूप में अच्छी तरह से कर सकते हैं, यह हम पर निर्भर है और क्या हम के लिए दुश्मन या दोस्त हमारे पास की संख्या बढ़ाना चाहते हैं. तो पहले आकलन और फिर बोलते हैं. यहां तक कि कुछ है करता है आप नाराज, अपनी भाषा पर नियंत्रण और यह आपको कई कठिन परिस्थितियों से बचाना होगा. कुछ नहीं मीठे शब्दों में बात करके खर्च किया जाता है, तो क्यों नहीं हम क्या भाषा है जो सुख दूसरों को देने के लिए और हमारे ऊपर उठाया खजाने में वृद्धि होगी का उपयोग करें. यदि आप अपने आप के लिए एक ऊंचा व्यक्तित्व बनाने के लिए, यदि आप प्रसिद्ध बनना चाहते हैं, अगर आप लोग तुम्हें प्यार करने के लिए है, तो अपने भाषण मीठा बनाना चाहते चाहता हूँ.
अपने उच्च ग्रेड शब्द समाज में अपना सम्मान बढ़ाने के लिए और आप बेकार बात का उपयोग कर रखना अगर, तो लोगों को जल्दी से अपने मूल्य कम हो जाएगा. इतना जानने के लिए कैसे बात करते हैं. जिस तरह से आप दूसरों से सुनना पसंद करेंगे में से बोलो - एक छोटा सा कहावत याद रखें. आपकी प्रतिक्रिया क्या हो सकता है अगर आप दूसरों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग होगा, या आप से झूठ? यह देखते हुए खराब व्यवहार से भी अच्छाई निकाल सकते हैं.
आओ, हम एक तरह से प्यार से बात करने की शपथ ले. आपके शब्दों में से प्रत्येक को महत्व दे दो, तो आपके शब्दों को आप नियंत्रित कई विवादों और irritations से मुक्त होगा. अपनी स्वच्छ और मीठा भाषा के माध्यम से अपने परिवार और घर के वातावरण प्यार, बनाओ. अपने शब्दों को बहुत प्रेरणादायक है कि यह उन्हें भूल मुश्किल होना चाहिए किया जाना चाहिए. अपने शब्दों को आपके व्यक्तित्व को प्रतिबिंबित और मीठे शब्दों के साथ उन कई अन्य लोगों के लिए एक गाइड के रूप में पदोन्नत मनुष्य और कार्य हो जाना चाहिए.

मीठी बात ----ब्रह्मकुमार भगवान भाई आबू पर्वत

एक मानव किया जा रहा है भाषण उनके भीतर चरण को दर्शाता है. एक कड़वा प्रकृति के साथ एक व्यक्ति कड़वे शब्द और एक मिठाई प्रकृति के साथ एक बात है, हमेशा प्यार से बात करेंगे. उनके शब्दों के माध्यम से कुछ अभिशाप, कुछ आशीर्वाद देने के लिए, कुछ शब्दों को दिल और कुछ मौन क्रोध बींधना.
संतों की धारणा है "मीठा शब्द बहुत महत्वपूर्ण हैं, प्यार से बोलते हैं." एक किसी भी कीमत के माध्यम से प्यार से बात करके जाना नहीं है, लेकिन अभी भी लोगों के लिए यह करना है और बेध तीरों को पसंद करते हैं और दूसरों की शांति को नष्ट नहीं करना चाहता. बहुत से लोग बहुत चालाक हैं, लेकिन अत्यधिक संवेदनशीलता बात को प्रतिबिंबित नहीं करता. उन्हें लगता है कि वे स्मार्ट हैं, लेकिन वे खुद के बारे में गलत राय है. मानसिक शक्ति भी अधिक सोच या बात कर के बारे में और शारीरिक कमजोरी भी लाता है, के लिए कठिनाइयों का सामना ठीक से नहीं कर पा रहा जिसके परिणामस्वरूप द्वारा नष्ट कर दिया है.
कहावत कहते हैं, "भाषण चांदी है, लेकिन. चुप्पी सुनहरा है" आध्यात्मिक पथ पर उन लोगों के लिए विशेष रूप से, कम शक्तिशाली भाषण अमृत की तरह है. एक बातूनी व्यक्ति जीत जीवन के किसी क्षेत्र में कभी नहीं हासिल कर सकते हैं. आप सभी परिस्थितियों के अंतर्गत मूक बने हुए हैं, लेकिन कुछ, समझदार, शक्तिशाली शब्द बोलते नहीं है. एक व्यक्ति को अनावश्यक रूप से बात करने या बुरी भाषा का प्रयोग नहीं है. हमारे शब्द हमारी समस्याओं को बदतर बनाने के लिए या उचित समाधान दे सकते हैं. एक दो लोगों के बीच विवाद शुरू किया और हर एक के लिए उसके लायक दिखाना चाहता था और इसलिए दुश्मन बन गया. , मैं उनमें से एक को सुझाव दिया "मित्र, बड़ों जो लोग माफ कर रहे हैं." ये शब्द उसे पूरी तरह से बदल गया है और उसके मन में सभी दुश्मनी नष्ट कर दिया. एक बातूनी व्यक्ति के लिए खुद को साबित करने का तर्क है, और इसलिए मुद्दों प्रदान करता है, लेकिन यदि आप जीवन के बाहर सुख मिलता है, कोई छोटी बात नहीं करते कृपया वृद्धि करना चाहता हूँ. परिवारों के बीच दुश्मनी पीढ़ी पीढ़ी के बाद के लिए चला जाता है. बुरी भाषा एक तलवार की तरह है, जो की चोट कभी जीवन भर भर देता है. तो, अपने विनम्र शब्दों का ठंडा पानी स्नान करें.
यह भी ध्यान है कि किसी को भी अपने शब्दों को हतोत्साहित नहीं कर देना है, लेकिन जोश और उत्साह दे. तब स्वतः, आप अपने आप जीवन में सफल हो जाएगा. मैं एक घटना जहां एक बच्चे को मानसिक रूप से परेशान था और उसके माता पिता उसे एक आश्रम में भर्ती कराया देखा है. प्रबंधक में उस के प्रभारी प्रेम, समझ, उत्साह और इस हद है कि यह बच्चा, अब सयाना, इस आश्रम कार्यों के कई सफलतापूर्वक और आसानी से कर सकते करने के लिए उत्साह की बहुत सारी के साथ अपनी चेतना जागृत आश्रम.
वहाँ बहुत अच्छी तरह से शिक्षित, साक्षर, समझदार लोग हैं जो जानते हैं कि कैसे प्यार से बात करने के लिए नहीं है, लेकिन बजाय दूसरों से मीठी बातें सुनना चाहते हैं. हमारे व्यवहार तरह हम दूसरों से क्या उम्मीद के रूप में ही किया जाना चाहिए. आदेश में जीवन में सुख हासिल करने के लिए, प्यार से बोल रहा है और कैसे करने के लिए अपने शब्दों में प्यार है की और अपने व्यवहार में कला सीख

जीत धैर्य के माध्यम से क्रोध पर विजय ----ब्रह्मकुमार भगवान भाई आबू पर्वत

क्रोध की आग में कई परिवारों के बीच जल रहा है और यह दिन ब दिन बढ़ रही रखता है. यह आग है लोगों के जीवन में कठिनाइयों का तूफान ने हवा दी. यह एक महामारी की बीमारी है, जो एक व्यक्ति से महाभारत युद्ध में जिसके परिणामस्वरूप दूसरे में फैलता है की तरह है. बिना किसी संदेह क्रोध इस तरह के एक शैतान है कि, जो भी व्यक्ति के पास यह है खुद / खुद को नष्ट कर दिया है. इस शैतान काला है, लेकिन यह किसके ही माउंट पर व्यक्ति को एक भट्ठी के रूप में लाल हो जाता है. जो मंत्र मंत्र नहीं है, कोई डॉक्टर किसी को इस शैतान लात दवा है. इस उप के साथ एक व्यक्ति को एक सुस्त बुद्धि के साथ हो जाता है. यही कारण है कि यह कहा जाता है पागलपन और पश्चाताप के साथ खत्म के साथ गुस्सा शुरू होता है. क्रोध लोगों चेतना को नष्ट कर. एक व्यक्ति के खून गर्म हो जाता है और जल्दी से circulates जो कई बीमारियों के लिए ही उगता है देता है. यह एक कमजोर व्यक्तित्व की निशानी है, एक मजबूत व्यक्ति कभी गुस्सा इतनी आसानी से हो जाता है. गुस्से में एक व्यक्ति को एक कायर है जो उनकी कठिनाइयों बढ़ जाती है. वह / वह एक पल के लिए शांति और खुशी का अनुभव. वह / वह लड़ाई में ही सम्मानित महसूस करता है. वह / वह उस में ताकत महसूस करता है. वे दूसरों को डराने चाहते हैं, लेकिन वास्तविकता में वे खुद को सब कुछ से डरते हैं.
अपने परिवार के कुछ सदस्यों नाराज आसानी से मिलता है, लेकिन कुछ कम गुस्सा हो सकता है या उनके गुस्से को नियंत्रित कर सकते हैं और कुछ अपने गुस्से और एक बड़ा बम की तरह फट बेकाबू लगता है. कुछ का मानना है सहनशीलता है अच्छा सा लग रहा है दूसरों को वापस जवाब जीत का एक संकेत है. सब जानते हैं कि क्रोध बहुत खराब है. एक व्यक्ति खुद को जलता है या खुद बनाता है और दूसरों के रूप में अच्छी तरह से जला.
वहाँ क्रोध के माध्यम से कई और अधिक नुकसान कर रहे हैं - रिश्ते, तनाव में लगातार घृणा, परिवार कभी खुशी प्राप्त है. गुस्से में एक व्यक्ति दूसरों है कि वे दुश्मन बनने के लिए इस तरह के असहनीय शब्दों बोलती है. पिता और बच्चों को, आदमी और औरत और कई गिरावट इस गुस्से के लिए और आप एक ही स्थिति में हैं अगर शिकार, क्रोध असफलता के बीज बोने रखेंगे. हालांकि आप लोगों से डर लगता है मिलेगा, वे सह तुम्हारे साथ नहीं प्यार और सम्मान का होगा काम बाहर. यह गुस्सा भी संतों और साधु भी नहीं बख्शा गया है. Durwasa और विश्वामित्र का क्रोध बहुत प्रसिद्ध हैं. कई दार्शनिकों की खुफिया क्रोध की वजह से अनदेखी की जाती है. लोगों को अपनी बुलंद काम संदेह शुरू करते हैं. वे कोस लोग हैं, जो मुसीबत उनके प्रयास करने के द्वारा अपनी भक्ति को दिखाना चाहते हैं. लेकिन जो कोई भी गुस्से में भोगता है एक शैतान और जिसे वह खुद माउंट पर, उस व्यक्ति को कुछ समय के लिए एक शैतान में बदल जाता है बुलाया जा सकता है.
गुस्सा अगर क्या कारण है? उसके स्रोत कहाँ है? गुस्से का पहला बीज अहंकार या अहंकार है और दूसरा एक कमजोर मन है. तरीके मन की शक्ति बढ़ाने के लिए. उन तरीकों सोखना और क्रोध से मुक्त अपने आप को. लग रहा है या एक संवेदनशील प्रकृति होने में आ भी गुस्से में प्राप्त करने के लिए कारण है. मैं जेल में एक कैदी ने कहा कि वह बहुत गुस्से में अपनी पत्नी के साथ एक छोटी सी बात पर मिला था और वह उसके दोनों हाथ काट यही वजह है कि वह कई वर्षों के लिए जेल में मिलने गया है. वह पश्चाताप और

दिन और रात कुछ भी नहीं रोता किया जा सकता है पता है. तो, यह हो रही इस शैतान में फंसे का परिणाम है - मानव उसका / उसकी मानवता खो देता है और अमानवीय हो जाता है. मैं एक व्यक्ति जो कई बड़े कार्यों accomplishes लेकिन भोगता गुस्से में एक ही समय में, जिसके परिणामस्वरूप वह हर समय बदनाम किया जा रहा है पता है.
आप कई लोग हैं जो छोटी छोटी बातों पर अपना आपा खो देखा होगा. हमारे पड़ोसी इस तरह के एक पति था. एक दिन अपने बच्चे को एक गिलास तोड़ दिया और इस आदमी को इतना गुस्सा आ गया और बच्चे को इतनी बुरी तरह से कि उसके मुंह से खून बह रहा शुरू कर पिटाई शुरू कर दिया. अन्य पड़ोसियों के लिए हो रही पिटाई से बच्चे को बचाने की थी और आदमी के लिए दवा पर रुपयों की हजारों खर्च किया था.
सत्ता पर बहुत से लोग गुस्से में लिप्त इतना है कि वे सारे कर्मचारियों नियंत्रण लेकिन क्रोध करने के लिए दूसरों पर नियंत्रण नहीं है. इसे बाहर उस पर तेल गिरने से आग डालने की कोशिश कर की तरह है. कैसे एक व्यक्ति नियंत्रण कर्मचारियों के गुस्से जब वह / वह अपने क्रोध पर नियंत्रण नहीं कर सकते हैं? मातहत भी गुस्सा हो और उसकी पीठ के पीछे प्रबंधक शाप देंगे. प्रबंधक वे के बाद उनके सम्मान गुस्से में दूसरों को कम और अपमान होगा तो भी कुछ समय अपमान या दूसरे का सामना करना होगा.
शक्ति और क्षमता घट जाती है काम करने के लिए जब एक व्यक्ति गुस्से में है. उनके हाथों को हिला शुरू, उनकी बुद्धि कमजोर हो जाता है, वे स्थिति का आकलन करने में असमर्थ हैं और यह हर समय काम को नष्ट कर. काम है कि एक शांतिपूर्ण दिमाग से एक घंटे में किया जा सकता है दो घंटे लगते यदि व्यक्ति गुस्से में है.
तो अपने आप को इस तरह से क्रोध से मुक्त हो. इससे पहले कि गुस्से सवाल 'क्यों' यह एक व्यक्ति के मन में उठता है आता है. उदा वह मेरी आज्ञा का पालन क्यों नहीं किया? उसने यह गलती नहीं क्यों? उसने मुझे यह क्यों बता सकते हैं? वह मेरा अपमान क्यों किया? वह मेरी नींद क्यों परेशान किया? इस बार में क्यों नहीं बनाया गया था. वह देर से क्यों आए? आदेश में तो यह 'क्यों' कृपया एक आधे मिनट के लिए उस पर विचार करना जानते हैं. बस यही बात है और तुम क्यों के लिए उत्तर दिया जाएगा, और अपने क्रोध शांति में बदल जाएगा.
खुद के लिए एक लक्ष्य बनाओ, "मैं गुस्सा नहीं है." आप मदद का एक बहुत कुछ मिल जाएगा. आप या सुना हो सकता है कई ऐसे लोग हैं, जो वचन का गठन किया है, कि वे किसी भी स्थिति में गुस्सा नहीं मिलेगा मुलाकात की. यह परिणाम सहिष्णुता शक्ति में वृद्धि हुई है और एक के लिए अधिक से अधिक शांतिपूर्ण रहने की प्रवृत्ति है.
जब कोई तुम पर गुस्सा हो रही है, तो आप उस समय क्योंकि बात करते हैं, नहीं है, अपनी तरह के इच्छुक शब्दों क्रोधित व्यक्ति को बुरी सलाह की तरह बात करेंगे. यदि आपकी चुप्पी व्यक्ति गुस्सा बना देता है, उन्हें विनम्रता के साथ जवाब. लेकिन ध्यान है कि अपने शब्दों को उनके गुस्से या प्रशंसक उनके अहंकार वृद्धि नहीं देते हैं. अगर क्रोध आपके स्वभाव का हिस्सा बन गया है, तो यह पैदा - "मैं एक 5 तत्वों से बना हुआ शरीर नहीं हूँ. मैं एक सचेत आत्मा हूँ और मेरे धर्म शांति है. मैं शांत और आनंदित हूं. भगवान ने मेरी सुप्रीम पिता, जो शांति के महासागर है है. "उपदेश के इस तरह नीचे अपने स्वभाव शांत हो जाएगी.
जब आप किसी को गुस्से में बोलता है, तो आप कैसा महसूस करते हैं? तुम निश्चित रूप से उन्हें प्यार के साथ आप को बात करने के लिए करना चाहते हैं. शेर भी प्यार से नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन जब आप अपने आप को इस आग में जल रहा शुरू हो, तो आप शायद दर्द नहीं लेने के लिए लगता है के बारे में कैसे अन्य व्यक्ति महसूस कर रही है नहीं है. आदेश में अपने घर शांति का मंदिर बनाने के लिए, अपने घर से क्रोध के इस दानव फेंक देते हैं. धैर्य और क्षमा का हथियार ले. कभी कभी छोटी छोटी बातों को महत्व नहीं है और घर की शांति को दिया जाता है. एक हमेशा अपने स्वयं के क्रोध के लिए दूसरे पर आरोप लगा रहता है, लेकिन आप दूसरों के क्रोध की वजह से अपने जीवन में प्रवेश करने के लिए क्यों देते? कोई गलती की है, लेकिन आप भी नाराज हो रही द्वारा गलत कर रहे हैं. कहा जाता है कि बर्तन में पानी बंद क्रोध dries. वहाँ शांति नहीं है जहां क्रोध है. शास्त्रों में, राक्षसों, क्रोध इतना समझदार हो जाते हैं और कभी अपने आप को कुछ पर चिढ़ पाने के लिए अनुमति का प्रतीक है.








यह भी देखा जाता है उम्र के साथ बढ़ जाती है कि गुस्सा. कई पुराने लोगों के लिए एक कोने में बैठते हैं और खुद को क्रोध, दिन और रात में जला देखा जाता है. वे अपने जीवन की यात्रा के अंतिम कुछ दिनों के पास कैसे पता नहीं है. उनकी जलन के लिए कारण उनके अहंकार है, या उन्हें लगता है कि वे अनुभवी हैं. वे एक बहुत लगता है, लेकिन एक कमजोर शरीर के कारण कुछ नहीं कर सकते हैं. इस असंतुलन क्रोध को जन्म देता है. जिस तरह से वे हावी के रूप में वे अपने बच्चों पर चिल्ला रखने के लिए, "आप दूर अपनी बचत के सभी बेकार जाएगा, तुम घर ... जब मैं मर जाते हैं, आप सभी को भूख से मर जाएगा नष्ट कर देगा." है अगर वे अकेले भाग्य के bestower लिए कर रहे हैं अपने बच्चों को. परिवार के एक बुजुर्ग व्यक्ति ऊंचा विचार करना चाहिए था. वे एक उदाहरण बनना चाहिए. वे जानते हैं और स्वीकार करते हैं कि वे जीवन के लगभग अपनी यात्रा समाप्त कर दिया जाना चाहिए. 'मैं एक बहुत कुछ अर्जित किया है और मेरे जीवन का आनंद लिया, यह नहीं है मेरे बच्चों को अपने जीवन का आनंद की बारी है.' दरअसल, बूढ़े माता पिता को अपने युवा बच्चों को खुद का आनंद ले, क्योंकि वे अपने स्वयं के जवान दिन और कुछ अधूरी इच्छाओं को याद रखते हुए, और नहीं देख सकता इसलिए गुस्से में हो रही रखो. जो युवा पीढ़ी को रास्ता दिखा सकता है, एक बड़े आदमी परिपक्व विचार करना चाहिए था. वे अपने व्यवहार के माध्यम से ऊंचा सम्मान अर्जित करना चाहिए. वे खुद को घर के मामलों में भ्रमित नहीं की जरूरत है लेकिन ". चूंकि मैं बूढ़ा हूँ, मैं अब अपने आप को अगले जन्म के लिए तैयार है," लगता है, इस तरह, वे सांसारिक जिम्मेदारियों और आध्यात्मिकता की दिशा में प्रगति से लापरवाह हो गए हैं.
यदि आप के परिवार के एक युवा सदस्य हैं, तो लड़ाई और नाराज बंद करो, अन्यथा आप अपने जीवन से खुश नहीं होगा. यदि आप अपने युवा दिनों में खुश तो नहीं कर रहे हैं और जब आप यह अनुभव होगा? आप अपने चित्रों में श्री कृष्ण का मुस्कुराता हुआ चेहरा, बस उसे देखो और वापस अपनी खुशी लाने देखा होगा.
क्रोध को जीतने के द्वारा, वापस खुशी अपने घर के लिए, तो लाना है कि एक फूल, जहां कोई लड़ने और कोई घृणा नहीं है की तरह जीवन फूल, हर कोई एक दूसरे को प्यार करता है और दूसरे के दिल को इस तरह के कोमल शब्दों को शांति दे बोलती है