Monday, January 3, 2011

''मीठे बच्चे

''मीठे बच्चे - पापों से हल्का होने के लिए वफ़ादार, ऑनेस्ट बन अपनी कर्म कहानी बाप को लिखकर दो तो क्षमा हो जायेगी''

प्रश्न: संगमयुग पर तुम बच्चे कौन-सा बीज नहीं बो सकते हो?

उत्तर: देह-अभिमान का। इस बीज से सब विकारों के झाड़ निकल पड़ते हैं। इस समय सारी दुनिया में 5 विकारों के झाड़ निकले हुए हैं। सब काम-क्रोध के बीज बोते रहते हैं। तुम्हें बाप का डायरेक्शन है बच्चे योगबल से पावन बनो। यह बीज बोना बन्द करो।

गीत:- तुम्हें पा के हमने जहाँ पा लिया है .......

Tumhe Paake Humne--Rafi, Asha


धारणा के लिए मुख्य सार:

1) सदा स्मृति रहे कि हम अभी ब्राह्मण हैं इसलिए विकारों से बहुत-बहुत दूर रहना है। कभी भी क्रिमिनल एसाल्ट न हो। बाप से बहुत-बहुत ऑनेस्ट, वफादार रहना है।

2) डबल सिरताज देवता बनने के लिए बहुत मीठा बनना है, लाइन क्लीयर रखनी है। राजयोग की तपस्या करनी है।

वरदान:- नीरस वातावरण में खुशी की झलक का अनुभव कराने वाले एवरहैप्पी भव

एवरहैप्पी अर्थात् सदा खुश रहने का वरदान जिन बच्चों को प्राप्त है वह दु:ख की लहर उत्पन्न करने वाले वातावरण में, नीरस वातावरण में, अप्राप्ति का अनुभव कराने वाले वातावरण में भी सदा खुश रहेंगे और अपनी खुशी की झलक से दु:ख और उदासी के वातावरण को ऐसे परिवर्तन करेंगे जैसे सूर्य अंधकार को परिवर्तन कर देता है। अंधकार के बीच रोशनी करना, अशान्ति के अन्दर शान्ति लाना, नीरस वातावरण में खुशी की झलक लाना इसको कहा जाता है एवरहैप्पी। वर्तमान समय इसी सेवा की आवश्यकता है।

स्लोगन: अशरीरी वह है जिसे शरीर की कोई भी आकर्षण अपनी तरफ आकर्षित न करे।

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