Thursday, January 20, 2011

प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के राजयोगी भगवान भाई ने कहीं।

प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के राजयोगी भगवान भाई ने कहीं।
प्रभु चिंतन,आत्मचिंतन से मनुष्य को अतिंद्रिय सुख मिलता है। इस सुख के सामने संसार के सारे सुख फीके लगते हैं। यह बातें प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू के राजयोगी भगवान भाई ने कहीं। वे यहां केंद्र में ईश्वर प्रेमी श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य को आत्मवान होने के नाते तीन बातों का ज्ञान होना जरूरी है। एक मैं कौन हूं। दो-मेरा आत्मिक पिता कौन है और तीन मैं कहां से आया हूं। उन्होंने कहा कि हम ज्योतिस्वरूप आत्माएं हैं। हम सभी निराकार आत्माएं निराकार परम पिता परमात्मा शिव के बच्चे हैं। हम सभी चांद, सूर्य, तारा गण के पार सुनहरी लाल प्रकाशमय दुनिया से आए हैं। उन्होंने कहा कि आज हम उस परमात्मा को भूल गए हैं। अपने को भूल गए हैं। इसलिए संसार में भटक रहे हैं। परमात्मा गुणों, शांति,आनंद, प्रेम का सागर है।

हमें भी सद्गुणों के विकास की ओर ध्यान देना चाहिए। उन्होंंने कहा आत्मा के पतन का कारण देहभान है। जब मनुष्य का देहभान प्रबल हो जाता है तो वह काम,क्रोध,लोभ, मोह, अहंकार, आदि विकारंों के वश में होकर अपनी दिव्य शक्ति में खो देता है। इंद्रियों का गुलाम हो जाता है।

तब प्रकृति भी तमो प्रधान हो जाती है। मनुष्य दुखी और अशांत

रहता है। उन्होंने कहा अब भक्त की पुकार सुनकर निराकार शिव धरती पर अवतरित हो चुके हैं। उनको सिर्फ भक्ति भाव से याद करने की आवश्यकता है। शिव हमें कर्म गति का ज्ञान और योगाभ्यास का ज्ञान देकर मनोविकारों को जीतने का आदेश दे रहे हैं। जो मनुष्य अपने विकारों को जीतेगा, सद्गुणों को अपनाएगा, वत स्वर्णिम दुनिया में देवपद पाता है। उन्होंने कहा कि सत्संग से प्राप्त ज्ञान ही हमारी असली कमाई है। इसे न तो चोर चुरा सकता है और न आग जला सकती है। ऐसी कमाई के लिए हमें समय निकालना चाहिए। सत्संग के द्वारा ही हम अच्छे संस्कार प्राप्त करते हैं और अपना व्यवहार सुधार पाते हैं। उन्होंने राजयोग की महत्ता बताई और कहा कि राजयोग के द्वारा ही हम अपने संस्कारों को सतो प्रदान बना सकते हैं। इंद्रियों पर काबू कर सकते हैं। केंद्र की बीके बिंदु ने ईश्वरीय महावाक्य सुनाए। इस मौके पर नगर पंचायत अध्यक्ष ममता राठौर सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।

प्रभु वचन

मनुष्य को आत्मवान होने के नाते तीन बातों का ज्ञान होना जरूरी है। और ज्ञान ही हमारी असली कमाई है।

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