Monday, January 31, 2011

''मीठे बच्चे - ब्रह्मा बाबा शिवबाबा का रथ है, दोनों का इकट्ठा पार्ट चलता है, इसमें जरा भी संशय नहीं आना चाहिए''

28-01-2011
मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - ब्रह्मा बाबा शिवबाबा का रथ है, दोनों का इकट्ठा पार्ट चलता है, इसमें जरा भी संशय नहीं आना चाहिए''

प्रश्न: मनुष्य दु:खों से छूटने के लिए कौन सी युक्ति रचते हैं, जिसको महापाप कहा जाता है?

उत्तर: मनुष्य जब दु:खी होते हैं तो स्वयं को मारने के (खत्म करने के) अनेक उपाय रचते हैं। जीव घात करने की सोचते हैं, समझते हैं इससे हम दु:खों से छूट जायेंगे। परन्तु इन जैसा महापाप और कोई नहीं। वह और ही दु:खों में फँस जाते हैं क्योंकि यह है ही अपार दु:खों की दुनिया।

धारणा के लिए मुख्य सार:

1) कभी भी छुई-मुई नहीं बनना है। दैवीगुण धारण कर अपनी चलन सुधारनी है।

2) बाप का प्यार पाने के लिए सेवा करनी है, लेकिन जो दूसरों को सुनाते, वह स्वयं धारण करना है। कर्मातीत अवस्था में जाने का पूरा-पूरा पुरुषार्थ करना है।

वरदान:- अपनी विजय वा सफलता को निश्चित समझकर सदा निश्चिंत रहने वाले निश्चयबुद्धि भव

जो बच्चे सदा बाप में, स्वयं के पार्ट में और ड्रामा की हर सेकण्ड की एक्ट में 100 प्रतिशत निश्चयबुद्धि हैं उनकी विजय वा सफलता निश्चित है। निश्चित विजय होने के कारण वे सदा निश्चिंत रहते हैं। उनके चेहरे से चिंता की कोई भी रेखा दिखाई नहीं देगी। उन्हें सदा निश्चय रहता है कि यह कार्य वा यह संकल्प सिद्ध हुआ ही पड़ा है। उन्हें कभी किसी बात में क्वेश्चन नहीं उठ सकता।

स्लोगन: सुनने-सुनाने में भावना और भाव को बदल देना ही वायुमण्डल खराब करना है।
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