Thursday, January 13, 2011

तनाव मुक्ति के उपाय----- ब्रह्मकुमार भगवन भाई आबू पर्वत राजस्तान

1. जीवन की हर एक घटना में किसी न किसी रूप से आपको लाभ ही होता है.परोक्ष रूप से होने वाले लाभ के बारे में ही सदैव सोचिये .
२. भूतकाल में की गई गलतियों का पश्चाताप न करें तथा भविष्य की चिंता न करें.वर्तमान को सफल बनाने के लिए पूरा ध्यान दीजिये.आज ही दिन आपके हाँथ में है.आज आप रचनात्मक कार्य करेंगें तो कल की गलतियाँ मिट जाएगी और भविष्य में अवश्य लाभ होगा.
3. आप अपने जीवन की तुलना अन्य के साथ कर चिंतित न हों.क्योंकि इस विश्व में आप एक अनोखे और विशिष्ट व्यक्ति हैं.इस विश्व में आपके और जैसा कोई नहीं है .
4. सदैव याद रखिये कि आपकी निंदा करने वाला आपका मित्र है जो आपसे बिना मूल्य एक मनोचिकित्सक की भांति आपकी गलतियों व आपकी खामियों की तरफ आपका ध्यान खिचवाता है.
5 आप दुख पहुँचाने वाले को क्षमा कर दो तथा उसे भूल जाओ.
6. सभी समस्याओं को एक साथ सुलझाने का प्रयत्न करके मुझना नहीं.एक समय पर एक ही समस्या का समाधान करें
7. जितना हो सके उतना दूसरों के सहयोगी बनने का प्रयत्न करें.दूसरों के सहायक बनने से आप अपनी चिंताओं को अवश्य भूल जायेंगें.
8. जीवन में आ रही समस्याओं को देखने का दृष्टिकोण बदलें.दृष्टिकोण को बदलने से आप दुख को सुख में परिवर्तन कर सकेंगें.
9. जिस परिस्थिति को आप नहीं बदल सकते उसके बारे में सोंच कर दुखी मत हों.याद रखिये कि समय एक श्रेष्ठ दवा है.
10. यह सृष्टी एक विशाल नाटक है जिसमे हम सभी अभिनेता हैं.हर एक अभिनेता अपना श्रेष्ठ अभिनय अदा कर रहा है .इसलिए किसी के भी अभिनय को देख कर चिंतित न हों.
11. बदला न लो लेकिन पहले स्वयं को बदलने का प्रयत्न करो.बदला लेने कि इच्छा से तो मानसिक तनाव ही बढ़ता है.स्वयं को बदलने का प्रयत्न करने से जीवन में प्रगति होती है
12. ईर्ष्या न करो परन्तु ईश्वर का चिंतन करो.ईर्ष्या करने से तो मन जलता है परन्तु ईश्वर का चिंतन करने से मन असीम शीतलता का अनुभव करता है
14. जब आप समस्याओं का सामना करतें है तो ऐसा सोंचिये कि आपके भूतकाल के कर्मों का हिसाब चुक्तु (चुकता ) हो रहा है.
15. आपके अन्दर रहा थोडा भी अहंकार मन कि स्थिति में असंतुलन का निर्माण करता है.इसलिए उस थोड़े भी अहंकार का भी त्याग करिये .ययद रखिये कि आप खली हाँथ आयें थे और खली हाँथ ही वापस जायेंगें.
16. दिन में चार पांच बार कुछ मिनट अपने संकल्पों को साक्षी होकर देखने का अभ्यास ,चिंताओं से मुक्त करने में सहायक बनता है.
17. अप अपनी सभी चिंताएं परमपिता परमात्मा को समर्पित कर दीजिये
आता है वह तनाव एवं चिंताओं को दूर करके स्वाथ्य में वृद्धि करता है।

उपरोक्त विचार "प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय"ब्रह्मकुमार भगवन भाई आबू पर्वत राजस्तान द्वारा

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