Saturday, January 22, 2011

18 जनवरी 2011, पिताश्री जी के पुण्य स्मृति दिवस

18 जनवरी 2011, पिताश्री जी के पुण्य स्मृति दिवस पर प्रात:क्लास में सुनाने के
लिए

मुरली सार :- ``मीठे बच्चे तुम्हारा यह बहुत-बहुत लवली परिवार है, तुम्हारा
आपस में बहुत-बहुत लव होना चाहिए''
यह तुम्हारा बहुत लवली परिवार है - तो तुम हर एक को बहुत-बहुत लवली होना चाहिए।
कभी किसी पर गुस्सा नहीं करना चाहिए। मन्सा वाचा कर्मणा किसको दु:ख नहीं देना
है। बहुत प्यार से चलना और चलाना है। दैवी गुण धारण कर बहुत-बहुत मीठा बनना है।
एक दो को भाई-भाई अथवा भाई बहन की दृष्टि से देखो। तुमको अपने पुरुषार्थ से
अपने को राजतिलक देना है। देह सहित देह के सभी सम्बनों को भूल मामेकम याद कर -
पावन भी जरूर बनना है। अपने से पक्का प्रण कर लेना है कि हम बाप को कभी नहीं
भूलेंगे, स्कॉलरशिप लेकर ही छोड़ेंगे। अभी तो कलियुगी दुनिया से वैराग्य और
सतयुगी दुनिया से बहुत प्यारा होना चाहिए।

वरदान:- अपने हाइएस्ट पोजीशन में स्थित रहकर हर संकल्प, बोल और कर्म करने वाले
सम्पूर्ण निर्विकारी भव

सम्पूर्ण निर्विकारी अर्थात् किसी भी परसेन्ट में कोई भी विकार तरफ आकर्षण न
जाए, कभी उनके वशीभूत न हों। हाइएस्ट पोजीशन वाली आत्मायें कोई साधारण संकल्प
भी नहीं कर सकती। तो जब कोई भी संकल्प वा कर्म करते हो तो चेक करो कि जैसा ऊंचा
नाम वैसा ऊंचा काम है? अगर नाम ऊंचा, काम नीचा तो नाम बदनाम करते हो इसलिए
लक्ष्य प्रमाण लक्षण धारण करो तब कहेंगे सम्पूर्ण निर्विकारी अर्थात् होलीएस्ट
आत्मा।

*स्लोगन:** *कर्म करते करावनहार बाप की स्मृति रहे तो स्व-पुरुषार्थ और योग का
बैलेन्स ठीक रहेगा।

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