Saturday, January 22, 2011

''मीठे बच्चे - बाप तुम्हें जो पढ़ाई पढ़ाते हैं वह बुद्धि में रख

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप तुम्हें जो पढ़ाई पढ़ाते हैं वह बुद्धि में रख
सबको पढ़ानी है, हर एक को बाप का और सृष्टि चक्र का परिचय देना है''

*प्रश्न:** *आत्मा सतयुग में भी पार्ट बजाती और कलियुग में भी लेकिन अन्तर
क्या है?

*उत्तर:** *सतयुग में जब पार्ट बजाती है तो उसमें कोई पाप कर्म नहीं होता है, हर
कर्म वहाँ अकर्म हो जाता है क्योंकि रावण नहीं है। फिर कलियुग में जब पार्ट
बजाती है तो हर कर्म विकर्म वा पाप बन जाता है क्योंकि यहाँ विकार हैं। अभी तुम
हो संगम पर। तुम्हें सारा ज्ञान है।

*धारणा के लिए मुख्य सार:** *

1) हम सब आत्मा रूप में भाई-भाई हैं, यह पाठ पक्का करना और कराना है। अपने
संस्कारों को याद से सम्पूर्ण पावन बनाना है।

2) 24 कैरेट सच्चा सोना (सतोप्रधान) बनने के लिए कर्म-अकर्म-विकर्म की गुह्य
गति को बुद्धि में रख अब कोई भी विकर्म नहीं करना है।

वरदान:- खुशी के साथ शक्ति को धारण कर विघ्नों को पार करने वाले विघ्न जीत भव

जो बच्चे जमा करना जानते हैं वह शक्तिशाली बनते हैं। यदि अभी-अभी कमाया, अभी-अभी
बांटा, स्वयं में समाया नहीं तो शक्ति नहीं रहती। सिर्फ बांटने वा दान करने की
खुशी रहती है। खुशी के साथ शक्ति हो तो सहज ही विघ्नों को पार कर विघ्न जीत बन
जायेंगे। फिर कोई भी विघ्न लगन को डिस्टर्ब नहीं करेंगे इसलिए जैसे चेहरे से
खुशी की झलक दिखाई देती है ऐसे शक्ति की झलक भी दिखाई दे।

*स्लोगन:** *परिस्थितियों में घबराने के बजाए उन्हें शिक्षक समझकर पाठ सीख लो।

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