Tuesday, January 25, 2011

क्रोध का प्रारंभ मूर्खता से आरंभ होकर पश्चाताप में जाकर समाप्त होता -- भगवान भाई-

क्रोध विवेक को नष्ट करता है। क्रोध का प्रारंभ मूर्खता से आरंभ होकर पश्चाताप में जाकर समाप्त होता है। यह बात प्रजापिता ब्रह्मकुमारी इश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से पधारे भगवान भाई ने स्थानीय ब्रह्मकुमारीज सेवाकेंद्र पर आयोजित क्रोधमुक्त जीवन विषय पर बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि क्रोध से तनाव और तनाव से अनेक बीमारियां पैदा होती हैं। क्रोध के कारण ही मन की एकाग्रता खत्म होती है। इस कारण मन अशांत बन जाता है। उन्होंने क्रोध को अग्नि बताते हुए कहा कि इस अग्नि में स्वयं भी जलते हैं और दूसरों को भी जला
क्या हो उपाय

उन्होंने क्रोध पर काबू पाने का उपाय बताते हुए कहा कि राजयोग के अभ्यास से क्रोध पर काबू पाया जा सकता है। इसके लिए निश्चय कर परमपिता परमात्मा को मन बुद्धि के द्वारा याद करना, उनके गुणगान करना ही राजयोग है।

सकारात्मक विचार तनाव मुक्ति के लिए संजीवनी बूटी है। सकारात्मक सोच का स्रोत आध्यात्मिकता है। कमलेश बहन ने कहा कि तनावमुक्त बन कर्म इंद्रियों पर संयम कर सकते हैं। कार्यक्रम को कैप्टन राम सिंह ने भी संबोधित किया।


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B. K. BHAGWAN, SHANTIVAN, +919414534517, +919414008991

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