बाबा की बच्चों से चाहत---
हर हाल में मनजीत-जगतजीत बनो...अव्यक्त दिवस की मुरली में प्राणप्यारे बाबा ने हम सभी बच्चों से हर हाल में मनजीत बनने की चाहना व्यक्त की है। बाबा चाहते हैं कि यदि हम ऐसा कर सकेंगे तो यह ब्रम्हाबाबा को हमारी और से उनके प्रति स्नेह की सौगात होगी। बाबा ने कहा कि स्नेह में गिफ्ट दी जाती है तो अब बाप समान बनने, कभी-कभी की बजाए सदाकाल के योगी बनने, मन के मालिक बन उसे आर्डर प्रमाण चलाने वाले ब्रम्हाबाप समान बन बाबा को उनके स्नेह की गिफ्ट दो। बाबा ने कहा कि जब भी कोई ताकत कम हो जाए तो बाप से अपने संबंध और उनसे प्राप्तियों को याद करो। उन्होंने कहा कि याद करने से प्यार बढ़ता है तो प्यार के लिए याद की यात्रा में रहो। बाबा ने संकल्पों पर खास अटेंशन दिलाते हुए व्यर्थ से मुक्ति की बात भी दोहराई। उनका कहना था कि जैसे ब्रम्हा बाबा जीवन में रहते जीवन मुक्त थे, वैसे अब बच्चे भी जीवन में रहते जीवनमुक्ति का पाठ पक्का करें। उन्होंने करनहार और करावनहार का महत्व बताते हुए निमित्तपन का भाव भी रेखांकित किया। आपका कहना था कि सेवा में सदा इसी स्मृति में बच्चे रहें कि करावनहार करा रहा है और करनहार मैं आत्मा कर रही हूं। ऐसी सेवाशैली से निश्चित ही सफलता मिलेगी। बाबा ने सेवा की मुबारकबाद तो दी लेकिन आप समान बनने की सख्त नसीहत दी। बाबा ने सभी बच्चों के स्नेह को याद करते हुए कहा कि स्नेह का रिटर्न देने की बात भी कही। तो हम सभी ब्रम्हावत्सों को अब इस बाबा की उस पालना, सेवा, अपनेपन का रिटर्न देना है जिसकी उन्होंने हमसे चाहना की है। सभी ब्रम्हावत्सों को बाबा मिलन की बधाई और दिली मुबारक बाद।
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