Thursday, January 20, 2011

हर्षित रहना ही ब्राह्मण जीवन का विशेष संस्कार

हर्षित रहना ही ब्राह्मण जीवन का विशेष संस्कार

वरदान:- अपनी पावरफुल वृत्ति द्वारा पतित वायुमण्डल को परिवर्तन करने वाले
मास्टर पतित-पावनी भव

कैसा भी वायुमण्डल हो लेकिन स्वयं की शक्तिशाली वृत्ति वायुमण्डल को बदल सकती
है।
वायुमण्डल विकारी हो लेकिन स्वयं की वृत्ति निर्विकारी हो। जो पतितों को पावन
बनाने
वाले हैं वो पतित वायुमण्डल के वशीभूत नहीं हो सकते। मास्टर पतित-पावनी बन
स्वयं
की पावरफुल वृत्ति से अपवित्र वा कमजोरी का वायुमण्डल मिटाओ, उसका वर्णन कर
वायुमण्डल नहीं बनाओ। कमजोर वा पतित वायुमण्डल का वर्णन करना भी पाप है।


स्लोगन: अब धरनी में परमात्म पहचान का बीज डालो तो प्रत्यक्षता होगी।

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