मीठे बच्चे : " तुम्हे पढाई में कभी थकना नही है , अथक बनना है , अथक बनना अर्थात कर्मातीत अवस्था को पाना"
प्रश्न : तुम बच्चो ने अभी कौन सी प्रतिग्या की है और क्यो ?
उत्तर : तुमने प्रतिग्या की है किसको भी दुख नही देंगे । सबको सुख का रास्ता बतायेगें
प्रश्न : किन बच्चो की पालना यग्य से होती है ?
उत्तर : जो अपने को ट्र्स्टी समझते है अर्थात पुरा दिल से सब कुछ सरेन्डर करते है । वह
रहते भी गृहस्त व्यवहार मे है , धन्धा भी करते है लेकिन ट्र्स्टी है । तो जैसे शिवबाबा के
खजाने से खाते है ।
गीत : आखिर वह दिन आया आज ....
धारना के लिए मुख्य सार :
१) मात पिता को फ़ालो करते हुए ग्यान-योग से सबकी पालना करनी है ।
उसी पालना मे रहना है । ग्यान योग मे तीखा जाना है ।
२) पविञ और योगिन के हाथ का भोजन खाना है । बुद्धी को शुद्ध बनाने के लिए भोजन
की बहुत परहेज रखनी है ।
वरदान : सेवा के बंधन द्वारा कर्म, - बन्धनो को समाप्त करने वाले विश्व सेवाधारी भव.
प्रवॄत्ति मे रहते हुए कभी यह नही समझो कि हिसाब - किताब है , कर्मबन्धन है ...
लेकिन यह भी सेवा है । सेवा के बन्धन मे बंधने से कर्मबन्धन खत्म हो जाता है ।
जब तक सेवा भाव नही होता तो कर्मबंधन खीचता है । कर्मबन्धन होगा तो दु:ख
की लहर आयेगी और सेवा का बन्धन होगा तो खुशी होगी । इसलिए कर्मबन्धन को सेवा के बन्धन
से समाप्त करो । विश्व सेवाधारी विश्व मे जहाँ भी है विश्व सेवा अर्थ है ।
स्लोगन :- अपने दैवी स्वरुप की स्मृति में रहो तो आप पर किसी की व्यर्थ नजर नही जा सकती ।
5000 स्कूलों कॉलेजों में और 800 जेलों कारगृहो में नैतिक मूल्यों का पाठ पढाकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज है
Thursday, November 11, 2010
मीठे बच्चे : " तुम्हे अपने हमजिन्स का उद्धार करना है
मीठे बच्चे : " तुम्हे अपने हमजिन्स का उद्धार करना है , बाप ने माताओं पर ग्यान का कलष रखा है इसलिए माताओ पर बडी जवाबदारी है "
प्रश्न : तुम माताये किस विशेष कर्तव्य के निमित्य हो ? तुम्हारे उपर कौन सी रेसपान्सबिल्टी है ?
उत्तर : तुमने इस पतित दुनिया को पावन दुनिया , नर्क को स्वर्ग बनाने के निमित्त हो । बाप ने
तुम माताओ पर ग्यान का कलष रखा है इसलिए सबको सदगति देने की रेसपान्सिबिल्टी तुम्हारे पर है । तुम हो शिव शक्ति सेना । तिम्हे अब अपने हमजिन्स क कल्याण करना है ।
सबको पतित बनने से बचाना है । वेश्याओ का भी उद्धार करना है ।
गीत : रात के राही थक मत जाना ... सुबहाँ कि मंजिल दुर नही....
धारना के लिए मुख्य सार :
१) बप का सच्च बच्चा बनना है , अन्दर एक बाहर दुसरो न हो । याद की रुहानी दौड मे
आगे जाना है । खुश-मिजाज बनना है ।
२)आपस में बहुत बहुत प्यार से रहना है , शिव शक्ती सेना का संगठन तैयार कर अपनी हमजिन्स को बचाना है । पविञ बनने और बनाने की युक्ती रचनी है ।
वरदान : स्वदर्शन चक्र के टाईटल की स्मॄति द्धारा परदर्शन मुक्त बनने वाले मायाजीत भव.
सिर्फ़ बुद्धि से वर्णन नही करो लेकिन सीट पर सेट हो जाओ , जै टाइटल वैसी स्थिति हो ।
प्रश्न : तुम माताये किस विशेष कर्तव्य के निमित्य हो ? तुम्हारे उपर कौन सी रेसपान्सबिल्टी है ?
उत्तर : तुमने इस पतित दुनिया को पावन दुनिया , नर्क को स्वर्ग बनाने के निमित्त हो । बाप ने
तुम माताओ पर ग्यान का कलष रखा है इसलिए सबको सदगति देने की रेसपान्सिबिल्टी तुम्हारे पर है । तुम हो शिव शक्ति सेना । तिम्हे अब अपने हमजिन्स क कल्याण करना है ।
सबको पतित बनने से बचाना है । वेश्याओ का भी उद्धार करना है ।
गीत : रात के राही थक मत जाना ... सुबहाँ कि मंजिल दुर नही....
धारना के लिए मुख्य सार :
१) बप का सच्च बच्चा बनना है , अन्दर एक बाहर दुसरो न हो । याद की रुहानी दौड मे
आगे जाना है । खुश-मिजाज बनना है ।
२)आपस में बहुत बहुत प्यार से रहना है , शिव शक्ती सेना का संगठन तैयार कर अपनी हमजिन्स को बचाना है । पविञ बनने और बनाने की युक्ती रचनी है ।
वरदान : स्वदर्शन चक्र के टाईटल की स्मॄति द्धारा परदर्शन मुक्त बनने वाले मायाजीत भव.
सिर्फ़ बुद्धि से वर्णन नही करो लेकिन सीट पर सेट हो जाओ , जै टाइटल वैसी स्थिति हो ।
"मीठे बच्चे - तुम्हे मास्टर प्यार का सागर बनना है
"मीठे बच्चे - तुम्हे मास्टर प्यार का सागर बनना है, कभी भी किसी को दु:ख नही देना है , एक दो के साथ बहुत प्यार से रहना है "
प्रश्न : माया चलते-चलते किन बच्चो ल गला एकदम घोट देती है ?
उत्तर : जो थोडा भी किसी बात मे संशय उठते है, काम या क्रोध की ग्रहचारी बैठ्ती तो माया उनका गला घोट देती है । उन पर फ़िर ऎसी ग्रहचारी बैठ्ती है जो पढाई ही छोड देते है । समझ मे नही आता कि जो पढते और पढाते थे वह सब कैसे भुल गया । बुद्धी का
ताला ही बन्द हो जाता है ।
गीत :- तू प्यार का सागर है ...
अभी भी बहुत है जो चलते चलते अनेक भूले करते रहते है ।
बताते नही है । नाम बहुत अच्छा-अच्छा है , परन्तु बाप जानते है
की कितना कम पद हो पडता है । कितनी ग्रहचारी रहती है । उल्टे विकर्म करते है तो बहुत सजा खानी पडेगी ।
धारना के लिए मुख्य सार :-
१) माया की ग्रहचारी से बचने के सदा सच्च रहना है । कोई भी भुल कर छिपाना नही है । उल्टे कर्मो से बच्कर रहना है ।
२) श्रीमत पर न चलना भी विकार है । इसलिए कभी श्रीमत का उल्लंघन नहीं करना है । सम्पूर्ण निर्विकारी बनना है ।
वरदान :- पावरफ़ुल ब्रेक द्धारा सेकण्ड मे व्यक्त भाव से परे होने वाले अव्यक्त फ़रिस्ता व अशरीरी बनना है ।
चारो ओर आवाज का वायुमण्डल हो लेकिन आप एक सेकण्ड मे फ़ुल्स्टाँप लगाकर व्यक्त भाव से परे हो जाओ ,एकदम ब्रेक लग जाए तब कहेंगे अव्यक्त फ़रिस्ता वा अशरीरी। अभी इस अभ्यास की बहुत आवशकता है क्योकी अचानक प्रकॄति की आपदये आनी हैं, उस समय बुद्धी और कहाँ भी नही जाये , बस बाप और मै , बुद्धी को जहाँ लगाने चाहें वहाँ लग जाए । इसके लिए समाने और समेटने की शक्ति चाहीए , तब उडती कला में जा सकेंगे ।
स्लोगन :- खुशी की खुराक खाते रहो तो मन और बुद्धी शक्तीशाली बन
प्रश्न : माया चलते-चलते किन बच्चो ल गला एकदम घोट देती है ?
उत्तर : जो थोडा भी किसी बात मे संशय उठते है, काम या क्रोध की ग्रहचारी बैठ्ती तो माया उनका गला घोट देती है । उन पर फ़िर ऎसी ग्रहचारी बैठ्ती है जो पढाई ही छोड देते है । समझ मे नही आता कि जो पढते और पढाते थे वह सब कैसे भुल गया । बुद्धी का
ताला ही बन्द हो जाता है ।
गीत :- तू प्यार का सागर है ...
अभी भी बहुत है जो चलते चलते अनेक भूले करते रहते है ।
बताते नही है । नाम बहुत अच्छा-अच्छा है , परन्तु बाप जानते है
की कितना कम पद हो पडता है । कितनी ग्रहचारी रहती है । उल्टे विकर्म करते है तो बहुत सजा खानी पडेगी ।
धारना के लिए मुख्य सार :-
१) माया की ग्रहचारी से बचने के सदा सच्च रहना है । कोई भी भुल कर छिपाना नही है । उल्टे कर्मो से बच्कर रहना है ।
२) श्रीमत पर न चलना भी विकार है । इसलिए कभी श्रीमत का उल्लंघन नहीं करना है । सम्पूर्ण निर्विकारी बनना है ।
वरदान :- पावरफ़ुल ब्रेक द्धारा सेकण्ड मे व्यक्त भाव से परे होने वाले अव्यक्त फ़रिस्ता व अशरीरी बनना है ।
चारो ओर आवाज का वायुमण्डल हो लेकिन आप एक सेकण्ड मे फ़ुल्स्टाँप लगाकर व्यक्त भाव से परे हो जाओ ,एकदम ब्रेक लग जाए तब कहेंगे अव्यक्त फ़रिस्ता वा अशरीरी। अभी इस अभ्यास की बहुत आवशकता है क्योकी अचानक प्रकॄति की आपदये आनी हैं, उस समय बुद्धी और कहाँ भी नही जाये , बस बाप और मै , बुद्धी को जहाँ लगाने चाहें वहाँ लग जाए । इसके लिए समाने और समेटने की शक्ति चाहीए , तब उडती कला में जा सकेंगे ।
स्लोगन :- खुशी की खुराक खाते रहो तो मन और बुद्धी शक्तीशाली बन
Tuesday, November 9, 2010
देही-अभिमानी बनो
मीठे बच्चे - तुम देही-अभिमानी बनो तो सब बीमारियाँ खत्म हो जायेंगी और तुम डबल सिरताज विश्व के मालिक बन जायेंगे"
प्रश्न: बाप के सम्मुख किन बच्चों को बैठना चाहिए?
उत्तर: जिन्हें ज्ञान डांस करना आता है। ज्ञान डांस करने वाले बच्चे जब बाप के सम्मुख होते हैं तो बाबा की मुरली भी ऐसी चलती है। अगर कोई सामने बैठ इधर-उधर देखते तो बाबा समझते यह बच्चा कुछ भी समझता नहीं है। बाबा ब्राह्मणियों को भी कहेंगे तुमने यह किसको लाया है, जो बाबा के सामने भी उबासी देते हैं। बच्चों को तो ऐसा बाप मिला है, जो खुशी में डांस करनी चाहिए।
गीत:- दूरदेश का रहने वाला....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) रात को सोने से पहले बाबा से मीठी-मीठी बातें करनी हैं। बाबा हम इस शरीर को छोड़ आपके पास आते हैं, ऐसे याद करके सोना है। याद ही मुख्य है, याद से ही पारसबुद्धि बनेंगे।
2) 5 विकारों की बीमारी से बचने के लिए देही-अभिमानी रहने का पुरुषार्थ करना है। अथाह खुशी में रहना है, ज्ञान डांस करना है। क्लास में सुस्ती नहीं फैलाना है।
वरदानः- सन्तुष्टता द्वारा सर्व से प्रशन्सा प्राप्त करने वाले सदा प्रसन्नचित भव
सन्तुष्टता की निशानी प्रत्यक्ष रूप में प्रसन्नता दिखाई देगी। और जो सदा सन्तुष्ट वा प्रसन्न रहते हैं उनकी हर एक प्रशन्सा अवश्य करते हैं। तो प्रशन्सा, प्रसन्नता से ही प्राप्त कर सकते हो इसलिए सदा सन्तुष्ट और प्रसन्न रहने का विशेष वरदान स्वयं भी लो और औरों को भी दो। क्योंकि इस यज्ञ की अन्तिम आहुति-सर्व ब्राह्मणों की सदा प्रसन्नता है। जब सभी सदा प्रसन्न रहेंगे तब प्रत्यक्षता का आवाज गूंजेगा अर्थात् विजय का झण्डा लहरायेगा।
स्लोगनः- चारों ही सबजेक्ट में स्वमान के अनुभवी स्वरूप बनो तो देह अभिमान नजदीक नहीं आ सकता।
प्रश्न: बाप के सम्मुख किन बच्चों को बैठना चाहिए?
उत्तर: जिन्हें ज्ञान डांस करना आता है। ज्ञान डांस करने वाले बच्चे जब बाप के सम्मुख होते हैं तो बाबा की मुरली भी ऐसी चलती है। अगर कोई सामने बैठ इधर-उधर देखते तो बाबा समझते यह बच्चा कुछ भी समझता नहीं है। बाबा ब्राह्मणियों को भी कहेंगे तुमने यह किसको लाया है, जो बाबा के सामने भी उबासी देते हैं। बच्चों को तो ऐसा बाप मिला है, जो खुशी में डांस करनी चाहिए।
गीत:- दूरदेश का रहने वाला....
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) रात को सोने से पहले बाबा से मीठी-मीठी बातें करनी हैं। बाबा हम इस शरीर को छोड़ आपके पास आते हैं, ऐसे याद करके सोना है। याद ही मुख्य है, याद से ही पारसबुद्धि बनेंगे।
2) 5 विकारों की बीमारी से बचने के लिए देही-अभिमानी रहने का पुरुषार्थ करना है। अथाह खुशी में रहना है, ज्ञान डांस करना है। क्लास में सुस्ती नहीं फैलाना है।
वरदानः- सन्तुष्टता द्वारा सर्व से प्रशन्सा प्राप्त करने वाले सदा प्रसन्नचित भव
सन्तुष्टता की निशानी प्रत्यक्ष रूप में प्रसन्नता दिखाई देगी। और जो सदा सन्तुष्ट वा प्रसन्न रहते हैं उनकी हर एक प्रशन्सा अवश्य करते हैं। तो प्रशन्सा, प्रसन्नता से ही प्राप्त कर सकते हो इसलिए सदा सन्तुष्ट और प्रसन्न रहने का विशेष वरदान स्वयं भी लो और औरों को भी दो। क्योंकि इस यज्ञ की अन्तिम आहुति-सर्व ब्राह्मणों की सदा प्रसन्नता है। जब सभी सदा प्रसन्न रहेंगे तब प्रत्यक्षता का आवाज गूंजेगा अर्थात् विजय का झण्डा लहरायेगा।
स्लोगनः- चारों ही सबजेक्ट में स्वमान के अनुभवी स्वरूप बनो तो देह अभिमान नजदीक नहीं आ सकता।
Monday, November 8, 2010
संगमयुग सर्वोत्तम बनने का शुभ समय है
मीठे बच्चे - यह संगमयुग सर्वोत्तम बनने का शुभ समय है, क्योंकि इसी समय बाप तुम्हें नर से नारायण बनने की पढ़ाई पढ़ाते हैं''
प्रश्न: तुम बच्चों के पास ऐसी कौन-सी नॉलेज है जिसके कारण तुम किसी भी हालत में रो नहीं सकते?
उत्तरः- तुम्हारे पास इस बने-बनाये ड्रामा की नॉलेज है, तुम जानते हो इसमें हर आत्मा का अपना पार्ट है, बाप हमें सुख का वर्सा दे रहे हैं फिर हम रो कैसे सकते। परवाह थी पार ब्रह्म में रहने वाले की, वह मिल गया बाकी क्या चाहिए। बख्तावर बच्चे कभी रोते नहीं।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) ज्ञान तलवार से विकारों को जीतना है। ज्ञान के संस्कार भरने हैं। पुरानी दुनिया और पुराने शरीर का सन्यास करना है।
2) भाग्यवान बनने की खुशी में रहना है, किसी भी बात की चिन्ता नहीं करनी है। कोई शरीर छोड़ देता है तो भी दुःख के आंसू नहीं बहाने हैं।
प्रश्न: तुम बच्चों के पास ऐसी कौन-सी नॉलेज है जिसके कारण तुम किसी भी हालत में रो नहीं सकते?
उत्तरः- तुम्हारे पास इस बने-बनाये ड्रामा की नॉलेज है, तुम जानते हो इसमें हर आत्मा का अपना पार्ट है, बाप हमें सुख का वर्सा दे रहे हैं फिर हम रो कैसे सकते। परवाह थी पार ब्रह्म में रहने वाले की, वह मिल गया बाकी क्या चाहिए। बख्तावर बच्चे कभी रोते नहीं।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) ज्ञान तलवार से विकारों को जीतना है। ज्ञान के संस्कार भरने हैं। पुरानी दुनिया और पुराने शरीर का सन्यास करना है।
2) भाग्यवान बनने की खुशी में रहना है, किसी भी बात की चिन्ता नहीं करनी है। कोई शरीर छोड़ देता है तो भी दुःख के आंसू नहीं बहाने हैं।
देहि अभिमानी स्तिथिमे विचार मंथन करे:
१. हम आत्माए, पद्मापदम भाग्यशाली फ़रिश्ते है |
२. हम आत्माए, अविनाशी, धनवान, सम्पत्तिवान, न्यारे और प्यारे फ़रिश्ते है |
३. में आत्मा सर्वश्रेष्ठ हूँ |
४. हम आत्माए, विश्व को मालामाल बनानेवाले फ़रिश्ते है |
५. हम आत्माए, विश्व को सम्पत्तिवान बनानेवाले फ़रिश्ते है|
६. हम आत्माए, सदा सुखदाई बनानेवाले फ़रिश्ते है |
७. हम आत्माए, विश्व के मालिक के भी बालक है |
८. हम आत्माए, यथार्थ बोल बोलनेवाले फ़रिश्ते है |
९. हम आत्माए, महादानी, महावर्दानी, विश्वकल्यानकारी, विश्वपरिवर्तक, दाता, विदाता, वरदाता है |
१०. हम आत्माए, सदाचारी, सदामहादानी दृष्टि वृति और कृति वाले फ़रिश्ते है |
११. हम आत्माए, निराकारी, अलंकारी और कल्याणकारी फ़रिश्ते है |
१२. हम आत्माए, सदेह स्वदर्शन चक्रधारी फ़रिश्ते है |
१३. हम आत्माए, सदा और सच्चे सच्चे वैष्णव है |
१४. हम आत्माए, विष्णुवंशी है |
१५. हम आत्माए, विष्णु चतुर्भुज है |
१६. हम आत्माए, रूहानियत वाले फ़रिश्ते है |
१७. हम आत्माए, स्वयं ही स्वयमका टीचर बन सम्पूर्णता को प्राप्त करनेवाले फ़रिश्ते है |
१८. हम आत्माए, बाप सामान बनानेवाले फ़रिश्ते है |
१९. हम आत्माए, लुक्किएस्त और हाइएस्त फ़रिश्ते है |
२०. हम आत्माए, सर्व गुण संपन्न, सोला कला सम्पूर्ण, संपूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरुषोत्तम, डबल अहिंसक है |
२१. हम आत्माए, सर्वस्य त्यागी, माना सर्वश्रेष्ठ भाग्यशाली फ़रिश्ते है |
२२. हम आत्माए, साधन और सम्पत्तिको अन्य आत्माओके प्रति यूज करनेवाले फ़रिश्ते है|
२३. हम आत्माए, सर्व सम्बन्ध, संपर्क, भाव, स्वभाव, संस्कार, सभी हिसाब किताब का अंश और वंश सहित सर्वस्यत्यागी फ़रिश्ते है |
२४. हम आत्माए, सर्व संबंधन और सर्व बोजोसे मुक्त फ़रिश्ते है |
२५. हम आत्माए, त्यागी है, तपस्वी है और सेवाधारी है |
२६. हम आत्माए, हद्की पोसिशनोके सर्वस्य त्यागी फ़रिश्ते है |
२७. हम आत्माए, नाम, मान, शानसे परे फ़रिश्ते है |
२८. हम आत्माए, मायाजीत, मोह्जीत विजयी फ़रिश्ते है |
२९. हम आत्माए, सच्चे हीरो है, चमकते हीरो है, बेदागी हीरो है, महान हीरो है, अमूल्य हीरो है, रोयल हीरो है |
२. हम आत्माए, अविनाशी, धनवान, सम्पत्तिवान, न्यारे और प्यारे फ़रिश्ते है |
३. में आत्मा सर्वश्रेष्ठ हूँ |
४. हम आत्माए, विश्व को मालामाल बनानेवाले फ़रिश्ते है |
५. हम आत्माए, विश्व को सम्पत्तिवान बनानेवाले फ़रिश्ते है|
६. हम आत्माए, सदा सुखदाई बनानेवाले फ़रिश्ते है |
७. हम आत्माए, विश्व के मालिक के भी बालक है |
८. हम आत्माए, यथार्थ बोल बोलनेवाले फ़रिश्ते है |
९. हम आत्माए, महादानी, महावर्दानी, विश्वकल्यानकारी, विश्वपरिवर्तक, दाता, विदाता, वरदाता है |
१०. हम आत्माए, सदाचारी, सदामहादानी दृष्टि वृति और कृति वाले फ़रिश्ते है |
११. हम आत्माए, निराकारी, अलंकारी और कल्याणकारी फ़रिश्ते है |
१२. हम आत्माए, सदेह स्वदर्शन चक्रधारी फ़रिश्ते है |
१३. हम आत्माए, सदा और सच्चे सच्चे वैष्णव है |
१४. हम आत्माए, विष्णुवंशी है |
१५. हम आत्माए, विष्णु चतुर्भुज है |
१६. हम आत्माए, रूहानियत वाले फ़रिश्ते है |
१७. हम आत्माए, स्वयं ही स्वयमका टीचर बन सम्पूर्णता को प्राप्त करनेवाले फ़रिश्ते है |
१८. हम आत्माए, बाप सामान बनानेवाले फ़रिश्ते है |
१९. हम आत्माए, लुक्किएस्त और हाइएस्त फ़रिश्ते है |
२०. हम आत्माए, सर्व गुण संपन्न, सोला कला सम्पूर्ण, संपूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरुषोत्तम, डबल अहिंसक है |
२१. हम आत्माए, सर्वस्य त्यागी, माना सर्वश्रेष्ठ भाग्यशाली फ़रिश्ते है |
२२. हम आत्माए, साधन और सम्पत्तिको अन्य आत्माओके प्रति यूज करनेवाले फ़रिश्ते है|
२३. हम आत्माए, सर्व सम्बन्ध, संपर्क, भाव, स्वभाव, संस्कार, सभी हिसाब किताब का अंश और वंश सहित सर्वस्यत्यागी फ़रिश्ते है |
२४. हम आत्माए, सर्व संबंधन और सर्व बोजोसे मुक्त फ़रिश्ते है |
२५. हम आत्माए, त्यागी है, तपस्वी है और सेवाधारी है |
२६. हम आत्माए, हद्की पोसिशनोके सर्वस्य त्यागी फ़रिश्ते है |
२७. हम आत्माए, नाम, मान, शानसे परे फ़रिश्ते है |
२८. हम आत्माए, मायाजीत, मोह्जीत विजयी फ़रिश्ते है |
२९. हम आत्माए, सच्चे हीरो है, चमकते हीरो है, बेदागी हीरो है, महान हीरो है, अमूल्य हीरो है, रोयल हीरो है |
Sunday, November 7, 2010
Saturday, November 6, 2010
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