Thursday, November 11, 2010

"मीठे बच्चे - तुम्हे मास्टर प्यार का सागर बनना है

"मीठे बच्चे - तुम्हे मास्टर प्यार का सागर बनना है, कभी भी किसी को दु:ख नही देना है , एक दो के साथ बहुत प्यार से रहना है "

प्रश्न : माया चलते-चलते किन बच्चो ल गला एकदम घोट देती है ?
उत्तर : जो थोडा भी किसी बात मे संशय उठते है, काम या क्रोध की ग्रहचारी बैठ्ती तो माया उनका गला घोट देती है । उन पर फ़िर ऎसी ग्रहचारी बैठ्ती है जो पढाई ही छोड देते है । समझ मे नही आता कि जो पढते और पढाते थे वह सब कैसे भुल गया । बुद्धी का
ताला ही बन्द हो जाता है ।


गीत :- तू प्यार का सागर है ...

अभी भी बहुत है जो चलते चलते अनेक भूले करते रहते है ।
बताते नही है । नाम बहुत अच्छा-अच्छा है , परन्तु बाप जानते है
की कितना कम पद हो पडता है । कितनी ग्रहचारी रहती है । उल्टे विकर्म करते है तो बहुत सजा खानी पडेगी ।

धारना के लिए मुख्य सार :-

१) माया की ग्रहचारी से बचने के सदा सच्च रहना है । कोई भी भुल कर छिपाना नही है । उल्टे कर्मो से बच्कर रहना है ।

२) श्रीमत पर न चलना भी विकार है । इसलिए कभी श्रीमत का उल्लंघन नहीं करना है । सम्पूर्ण निर्विकारी बनना है ।


वरदान :- पावरफ़ुल ब्रेक द्धारा सेकण्ड मे व्यक्त भाव से परे होने वाले अव्यक्त फ़रिस्ता व अशरीरी बनना है ।

चारो ओर आवाज का वायुमण्डल हो लेकिन आप एक सेकण्ड मे फ़ुल्स्टाँप लगाकर व्यक्त भाव से परे हो जाओ ,एकदम ब्रेक लग जाए तब कहेंगे अव्यक्त फ़रिस्ता वा अशरीरी। अभी इस अभ्यास की बहुत आवशकता है क्योकी अचानक प्रकॄति की आपदये आनी हैं, उस समय बुद्धी और कहाँ भी नही जाये , बस बाप और मै , बुद्धी को जहाँ लगाने चाहें वहाँ लग जाए । इसके लिए समाने और समेटने की शक्ति चाहीए , तब उडती कला में जा सकेंगे ।

स्लोगन :- खुशी की खुराक खाते रहो तो मन और बुद्धी शक्तीशाली बन

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