Friday, February 4, 2011

मैं पवित्र, पावन, शुद्ध सतोप्रधान हूँ, यही पवित्रता कि लाइट

स्टार पॉइंट: (सारा दिन प्रेक्टिस किजिये ) : मैं पवित्र, पावन, शुद्ध सतोप्रधान हूँ, यही पवित्रता कि लाइट सारे जड़ और चैतन्य में समाती जा रही है |

विचार मंथनके पॉइंट्स: फ़रवरी ५, २०११:
ॐ शान्ति !
फ़रवरी ५, २०११:
हरेक पॉइंट कम से कम ५ मिनट देही-अभिमानी स्थितिमें विचार मंथन करें:


१. हम आत्मायें, आप समान बनाने वाले आशीर्वाद के पात्र हैं |
२. हम आत्मायें, निराकार रूप में भाई-भाई हैं और साकारी रूप में भाई-बहन हैं |
३. हम आत्मायें, बाप समान दुःख-हरता सुख करता हैं |
४. हम आत्मायें, रेग्युलर और पंक्चुयल पढ़ने और पढ़ाने वाले फरिश्ते हैं |
५. हम आत्मायें, अधिकारी हैं माना सर्व प्राप्ति सम्पन्न हैं |
६. हम आत्म -अभिमानी हैं |

स्टडी पॉइंट:

१. श्रेष्ठ बननेकी एक श्रीमत- देह्धारी को भूलना |
२. जो श्रीमत पर पवित्र रहते हैं, वही बाप की मत पर चल विष्व की बादशाही का वर्सा पाते हैं |
३. अपनेको आत्मा समजकर बाप को याद करना माना सतोप्रधान बनना, माना बाप के पास चले जाना माना बाप के गले की माला और विष्णु की माला बनना |
४. जो माला में पिरोते हैं, वही गद्दी पे बेठते हैं |
५. अच्छी रीति ज्ञान को समजना माना तकदीर को जगाना |
६. चक्र को बुद्धि मे बिठाना माना चक्रवर्ती महाराजा-महारानी बनना |
७. भारत भूमि सबसे उत्तम और महा तीर्थ है |
८. जबरदस्त लड़ाई लगेगी फिर वहाँ के वहाँ रह जाएँगे; ५० -६० लाख भी देंगे तो मुश्किल आ सकेंगे |
९. लिबरेटर एक बाप ही है तो उसकी जयन्ती मनानी है |

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