Wednesday, June 1, 2011

ब्रह्मकुमारिज भगवान भाई आबू रोड



जब हम किसी की सेवा करते हैं, चरण-वंदना करते हैं, चरण दबाते हैं, तो इससे हमारा अहंकार टूटता है । ध्यान रखना- अहंकारी व्यक्ति ने तो किसी को प्रणाम करता है और न ही किसी व्यक्ति की सेवा । सेवा से अहंकार टूटता है । किसी को नमन करने का अर्थ है- अहंकार से मुक्ति पाना । तुम किसी के हाथ तभी जोड सकते हो, जब थोडा-सा अहंकार छोड दो । किसी को साष्टांग प्रणाम तभी कर सकते हो जब इससे भी ज्यादा अहंकार छोड दिया हो, और चरण धोकर गंधोदक, चरणामृत तभी ले सकते हो जब पूर्णतया अहंकार से मुक्त हो गये हो । धर्म की यात्रा अहंकार बहुत सख्त है । एक बार की चोट से नहीं टूटता है । इसे तोडने के लिए कई चोटों की जरुरत है । इसलिए णमोकार मंत्र में पांच चोटों के माध्यम से अहंकार को तोडने की प्रक्रिया अपनाई गई है । नारियल तो एक-दो चोट से ही टूट जाता है लेकिन अहंकार का नारियल बडा मजबूत है - इस पर कई चोट लगानी पडती है । । जहॉं अहंकार होगा, वहॉं णमोकार नहीं हो सकता और जहॉं णमोकार नहीं होगा और यदि वह अहंकारी है, तो णमझना अभी उसने णमोकार के महत्व और मूल्य को समझा नहीं है । अभी णमोकार मंत्र उसके हृदय तक पहूँचा नहीं है ।
अहंकार बाधा है । परमात्मा और तुम्हारे बीच एकमात्र अहंकार बाधा है । तुम्हारे और प्रभु के बीच अहंकार की दीवार है । अगर अहंकार की दीवार ढह जाये तो तुम्हारे लिए प्रभु के द्वार खुल जायेंगे । अहंकार दीवार है और समर्पण द्वार है । समर्पण के द्वार से ही ईश्र्वरीय दृष्टि मिलती है । अगर अपना सच्चा समर्पण प्रभु को कर दो तो प्रभु प्रकट होने के लिए बाध्य हो जाता है ।

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