Saturday, June 4, 2011

योग का अति सरल अर्थ है -





योग का अति सरल अर्थ है - किसी की याद. किसी भी याद आना या किसी को याद करना - यह मनुष्य का स्वाभाविक गुण है. मन जिस विषय पर सोचता है, उसी के साथ उस आत्मा का योग है. फिर वह चाहे व्यक्ति, वस्तु, वौभव या परिस्थिति हो या परमात्मा ही क्यों न हो. अब मन कहाँ-कहाँ जा सकता है, मन का कहीं भी जाने का आधार क्या हैं ? संसार में करोड़ो मनुष्य है लेकिन मन सभी के विषय में नहीं सोचता है. मन उसी के बारें में सोचेगा, जिसका उसे परिचय हो तो पहला आधार है परिचय. फिर जिसके साथ सम्बन्ध तीसरा आधार है स्नेह. जिससे स्नेह होता है उसके पास मन अपने आप चला जाता है. चौथा आधार है प्राप्ति. जहाँ से किसी को प्राप्ति होगी वहाँ से वह अपना मन हटाना ही नही चाहेंगा. तो किसी की भी याद के लिए मुख्य चार आधार है - परिचय, सम्बधन्ध, स्नेह और प्रापित. इनहीं चा आधारों के कारण मनुष्य की याद सदा बदलती ही रहती है

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