Wednesday, July 13, 2011

जीवन में सदा स्वस्थ, संपत्तिवान व खुश रहने के लिए आंतरिक शक्ति व स्थिरता की आवश्यकता है। राजयोग के नियमित अभ्यास से मन की स्थिरता प्राप्त होना संभव है

उत्थान का दिया संदेश

खरगोन। जीवन में सदा स्वस्थ, संपत्तिवान व खुश रहने के लिए आंतरिक शक्ति व स्थिरता की आवश्यकता है। राजयोग के नियमित अभ्यास से मन की स्थिरता प्राप्त होना संभव है।

उक्त विचार प्रजापति ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय माउंट आबू से पधारे राजयोगी भगवानभाई ने राजयोग का जीवन में महत्व विष्ाय पर संबोधित करते हुए व्यक्त किए। भगवान भाई ने सोमवार सुबह स्थानीय केंद्र के सदस्यों को प्रवचन दिए। इसके पश्चात उन्होंने जेल पहुंचकर कैदियों के बीच अपनी बात रखी। यहां उन्होंने कर्म की प्रधानता पर अपना उद्बोधन दिया। भगवानभाई मंगलवार सुबह केंद्र पर सदस्यों को प्रवचन देने के बाद दोपहर बोरांवा स्थित इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को संबोधित करेंगे। केंद्र के सदस्य प्रभाकर कुलकर्णी ने बताया राजयोगी भगवानभाई विवि के सभी आश्रमों नैतिक मूल्यों के उत्थान के लिए प्रवचन देते हैं। साथ ही जेल, विद्यालय, महाविद्यालय में भी अपने विचारों को प्रबुद्धजनों के बीच रखते हैं।

दिया कर्म संदेश

राजयोगी भगवानभाई दोपहर जेल में पहुंचे, जहां उन्होंने कैदियों को कर्म की प्रधानता पर उद्बोधित किया। उन्होंने कर्म की महत्ता बताते हुए कहा कर्म से ही व्यक्ति जीवन में श्रेष्ठ और भ्रष्ट होता है। कलियुग में कर्म की प्रधानता है, इसलिए कर्मो के माध्यम से अपने जीवन को सुखी और खुशहाल बनाए।

नैतिक गुणों का उत्थान

संस्कारों में परिवर्तन और निरंतर नैतिक मूल्य के ह्रास पर राजयोगी ने काम, क्रोध, लोभ, मोह और अंहकार इन विकारों पर राजयोग से विजय पाने के सूत्र बताए। उन्होंने व्यक्ति के सुखमय और खुशहाल जीवन के लिए नैतिक मूल्यों व गुणों के उत्थान पर जोर दिया

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