‘चिंता है चिता की जड़’
स्र46 भास्कर न्यूज & बिलासपुर
राजयोग से आंतरिक शक्तियों व सद्गुणों को उभार कर व्यवहार में निखार लाया जा सकता है। इंद्रियों पर संयम रखने से मनोबल बढ़ता है। माउंट आबू से आए राजयोगी भगवान भाई ने ब्रह्माकुमारी संस्था के सदस्यों को राजयोग के विशेष अभ्यास से सहनशीलता, नम्रता, एकाग्रता, शांति, धैर्यता व सद्गुणों का विकास करने पर बल देते हुए कहा कि दूसरों को देखकर चिंतित होना, नकारात्मकता से घिर जाना पतन की जड़ है। ऐसा व्यक्ति जीवन में कभी भी सुखी नहीं हो सकता।
उसलापुर स्थित ब्रह्माकुमारी शांति सरोवर में राजयोग साधना से संस्कार परिवर्तन कार्यक्रम के दौरान भगवान भाई ने कहा कि पर चिंतन करने वाला व दूसरों को देखने वाला हमेशा तनाव में रहता है, जबकि स्वचिंतन से आंतरिक कमजोरियों की जांच कर उसे बदला जा सकता है। उन्होंने राजयोग के अभ्यास से स्वचिंतन का महत्व समझाया। भगवान भाई ने कहा कि हमारा जीवन हंस की तरह अंदर व बाहर से स्वच्छ रखने की आवश्यकता है। गुणवान व्यक्ति ही समाज की असली संपत्ति है। राजयोग की विधि समझाते हुए उन्होंने कहा कि खुद को देह न मानकर आत्मा मानें और परमात्मा को याद करते हुए सद्गुणों को धारण करें। ऐसा करने से काम, क्रोध, माया, मोह, लोभ, अहंकार, आलस्य, ईष्या, द्वेष पर जीत हासिल की जा सकती है। आध्यात्मिकता की व्याख्या करते हुए भगवान भाई ने कहा कि जब तक हम खुद को नहीं पहचानते तब तक परमात्मा से संबंध स्थापित नहीं कर सकते। इस मौके पर मुंगेली, जांजगीर, बिल्हा, राहौद, खरौद, तखतपुर, रतनपुर सहित शहर से करीब 500 सदस्य उपस्थित थे।
नैतिकता से ही सर्वांगीण विकास संभव : देवकीनंदन गल्र्स स्कूल में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में नैतिक शिक्षा के महत्व पर भगवान भाई ने कहा कि इससे ही वे अंधकार से प्रकाश की ओर, असत्य से सत्य की ओर, बंधन से मुक्ति की ओर जाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज के बच्चे की कल के भविष्य हैं। अगर कल के समाज को बेहतर देखना चाहते हैं तो वर्तमान के विद्यार्थियों को नैतिक शिक्षा देकर संस्कारित किया जा सकता है।
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