Saturday, July 16, 2011

जीवन का हर क्षण सकारात्मक भाव से सींचे > जीवन जीने की कला विषय पर राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवानभाई ने दिए व्याख्यान

जीवन का हर क्षण सकारात्मक भाव से सींचे

> जीवन जीने की कला विषय पर राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवानभाई ने दिए व्याख्यान
भास्कर संवाददाता & खंडवा

सुकून भरे पलों से अंतर्मन को भरपूर करने के लिए एवं स्वयं को को सशक्त बनाने के लिए जीवन का हर क्षण सकारात्मक चिंतन से सींचे। यह बात प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय मुख्यालय माउंट आबू से आए राजयोगी ब्रह्मकुमार भगवानभाई ने गुरुवार को ब्रह्मकुमारी राजयोग सेवाकेंद्र रामनगर में ‘जीवन जीने की कला’ विषय पर बोलते हुए कही। उन्होंने कहा हम अपने घर की सफाई तो रोज करते हैं लेकिन अपने मन की सफाई पर ध्यान नहीं देते हैं। जिसमें मन अवाछंनीय खरपतवार रूपी अशुद्ध विचार उग आते हैं। इस कारण मनुष्य के जीवन में सुख की जगह दु:खों का सृजन होता है। शरीर पांच तत्वों से बना हुआ है और इसमें हम चैतन्य शक्ति के रूप में आत्म विराजमान है। हम आत्मा आपस में भाई-भाई हैं, अविनाशी हैं। इस विस्म्रति से जीवन में दु:ख और समस्याएं बढ़ गई। कार्यक्रम को बीके चंद्राबहनजी ने भी संबोधित किया। इस दौरान घाटाखेड़ी, सिंगोट, कालंका आदि गांव के लोग शामिल थे।

No comments:

Post a Comment