Monday, March 21, 2011

14.03.2011

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - तुम सच्चे-सच्चे सत्य बाप से सत्य कथा सुनकर नर से नारायण बनते हो, तुम्हें 21 जन्म के लिए बेहद के बाप से वर्सा मिल जाता है''


प्रश्न: बाप की किस आज्ञा को पालन करने वाले बच्चे ही पारसबुद्धि बनते हैं?


उत्तर: बाप की आज्ञा है - देह के सब सम्बन्धों को भूलकर बाप को और राजाई को याद करो। यही सद्गति के लिए सतगुरू की श्रीमत है। जो इस श्रीमत को पालन करते अर्थात् देही-अभिमानी बनते हैं वही पारसबुद्धि बनते हैं।


गीत:- आज अन्धेंरे में हम इन्सान ...


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&feature=related" target="_blank">धारणा के लिए मुख्य सार:


1) इस अन्तिम 84 वें जन्म में कोई भी पाप कर्म (विकर्म) नहीं करना है। पुण्य आत्मा बनने का पूरा-पूरा पुरूषार्थ करना है। सम्पूर्ण पावन बनना है।


2) अपनी बुद्धि को पारसबुद्धि बनाने के लिए देह के सब सम्बन्धों को भूल देही-अभिमानी बनने का अभ्यास करना है।


वरदान: स्नेही बनने के गुह्य रहस्य को समझ सर्व को राज़ी करने वाले राज़युक्त, योगयुक्त भव


जो बच्चे एक सर्वशक्तिमान् बाप के स्नेही बनकर रहते हैं वे सर्व आत्माओं के स्नेही स्वत: बन जाते हैं। इस गुह्य रहस्य को जो समझ लेते वह राज़युक्त, योगयुक्त वा दिव्यगुणों से युक्तियुक्त बन जाते हैं। ऐसी राज़युक्त आत्मा सर्व आत्माओं को सहज ही राज़ी कर लेती है। जो इस राज़ को नहीं जानते वे कभी अन्य को नाराज़ करते और कभी स्वयं नाराज रहते हैं इसलिए सदा स्नेही के राज़ को जान राजयुक्त बनो।


स्लोगन: जो निमित्त हैं वह जिम्मेवारी सम्भालते भी सदा हल्के हैं।

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