Monday, March 21, 2011

मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - एक बाप ही नम्बरवन एक्टर है जो पतितों को पावन बनाने की एक्ट करते हैं, बाप जैसी एक्ट कोई कर नहीं सकता''

17-03-2011]
मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - एक बाप ही नम्बरवन एक्टर है जो पतितों को पावन बनाने की एक्ट करते हैं, बाप जैसी एक्ट कोई कर नहीं सकता''
प्रश्न: सन्यासियों का योग जिस्मानी योग है, रूहानी योग बाप ही सिखलाते हैं, कैसे?
उत्तर: सन्यासी ब्रह्म तत्व से योग रखना सिखलाते हैं। अब वह तो रहने का स्थान है। तो वह जिस्मानी योग हो गया। तत्व को सुप्रीम नहीं कहा जाता। तुम बच्चे सुप्रीम रूह से योग लगाते इसलिए तुम्हारा योग रूहानी योग है। यह योग बाप ही सिखला सकते, दूसरा कोई भी सिखला न सके क्योंकि वही तुम्हारा रूहानी बाप है।
गीत:- तू प्यार का सागर है...
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) सच्चे-सच्चे आशिक बन हाथों से काम करते बुद्धि से माशूक को याद करने की प्रैक्टिस करनी है। बाप की याद से हम स्वर्गवासी बन रहे हैं, इस खुशी में रहना है।
2) सूर्यवंशी डिनायस्टी में तख्तनशीन बनने के लिए मात-पिता को पूरा-पूरा फॉलो करना है। बाप समान नॉलेजफुल बन सबको रास्ता बताना है।
वरदान: सारे वृक्ष की नॉलेज को स्मृति में रख तपस्या करने वाले सच्चे तपस्वी व सेवाधारी भव
भक्ति मार्ग में दिखाते हैं कि तपस्वी वृक्ष के नीचे बैठकर तपस्या करते हैं। इसका भी रहस्य है। आप बच्चों का निवास इस सृष्टि रूपी कल्प वृक्ष की जड़ में है। वृक्ष के नीचे बैठने से सारे वृक्ष की नॉलेज बुद्धि में स्वत: रहती है। तो सारे वृक्ष की नॉलेज स्मृति में रख साक्षी होकर इस वृक्ष को देखो। तो यह नशा, खुशी दिलायेगा और इससे बैटरी चार्ज हो जायेगी। फिर सेवा करते भी तपस्या साथ-साथ रहेगी।
स्लोगन: तन की बीमारी कोई बड़ी बात नहीं लेकिन मन कभी बीमार न हो।

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