[18-03-2011]
मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - तुम्हें आपस में बहुत-बहुत रूहानी स्नेह से रहना है, कभी भी मतभेद में नहीं आना है''
प्रश्न: हर एक ब्राह्मण बच्चे को अपनी दिल से कौन सी बात पूछनी चाहिए?
उत्तर: अपनी दिल से पूछो -1) मैं ईश्वर की दिल पर चढ़ा हुआ हूँ! 2) मेरे में दैवी गुणों की धारणा कहाँ तक है? 3) मैं ब्राह्मण ईश्वरीय सर्विस में बाधा तो नहीं डालता! 4) सदा क्षीरखण्ड रहता हूँ! हमारी आपस में एकमत है? 5) मैं सदा श्रीमत का पालन करता हूँ?
गीत:- भोलेनाथ से निराला.......
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) बापदादा की दिल पर चढ़ने के लिए मन्सा-वाचा-कर्मणा सेवा करनी है। एक्यूरेट और आलराउन्डर बनना है।
2) ऐसा देही-अभिमानी बनना है जो कोई भी पुराने संबंधी याद न आयें। आपस में बहुत-बहुत रूहानी प्यार से रहना है, लूनपानी नहीं होना है।
वरदान: अन्तर्मुखी बन अपने समय और संकल्पों की बचत करने वाले विघ्न जीत भव
कोई भी नई पावरफुल इन्वेन्शन करते हैं तो अन्डरग्राउण्ड करते हैं। आप भी जितना अन्तर्मुखी अर्थात् अन्डरग्राउण्ड रहेंगे उतना वायुमण्डल से बचाव हो जायेगा, मनन शक्ति बढ़ेगी और माया के विघ्नों से भी सेफ हो जायेंगे। बाहरमुखता में आते भी अन्तर्मुख, हर्षितमुख, आकर्षणमूर्त रहो, कर्म करते भी यह प्रैक्टिस करो तो समय की बचत होगी और सफलता भी अधिक अनुभव करेंगे।
स्लोगन: बीमारी से घबराओ नहीं, उसे दवाई रूपी फ्रूट खिलाकर विदाई दे दो।
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