केवल स्नेह देने वाले ही न बने, बल्कि शान्ति भी बनाए रखे कि आप जहां भी जाए, समरसता, शान्ति और उत्थान की बाते करें| हम मानव का अहित करने वाले न बने| हम गुलाब की तरह बने जो कुचला जाने पर भी मीठी सुगंध बिखेरता है| गुलाब-रुपी मानव बनो, जहां भी जाओ शान्ति की सुगन्ध फैलाओ|
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