30-12-2010
''मीठे बच्चे - संगम पर तुम बाप की सारी नॉलेज हप करके बाप-समान बनते हो, तुम्हें कर्म-अकर्म-विकर्म का ज्ञान है इसलिए अब कोई भी विकर्म नहीं करना है''
प्रश्न: किन बातों का सिमरण चलता रहे तो अपार खुशी में रहेंगे?
उत्तर:
1. यह पुरुषोत्तम संगमयुग है, हम संगमयुगी हैं।
2. बाप से रचता और रचना की गुह्य नॉलेज सम्मुख पढ़ रहे हैं।
3. हमें सर्वगुण सम्पन्न बन ऊंच ते ऊंच पद पाना है।
4. हम यह शरीर छोड़कर ऐसे (देवी-देवता) बनेंगे। इन बातों की स्मृति रहे और सिमरण चलता रहे तो अपार खुशी में रहेंगे।
गीत:- तुम्हीं हो माता पिता.........
Tumhi Ho Mata Pita Tumhi Ho 1 Lata Mangeshkar in Main Chup Rahungi
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) ऊंच पद पाने के लिए बाप ने जो नॉलेज दी है वह पूरी ग्रहण करनी है। धारण करके दूसरों को धारण करानी है।
2. बाप ने जो लक्ष्य दिया है, उसका सिमरण कर अपार खुशी में रहना है। एक बाप के सिवाए और किसी को भी याद नहीं करना है। याद की यात्रा द्वारा इस पार से उस पार जाना है।
वरदान:- बाबा शब्द की स्मृति से कारण को निवारण में परिवर्तन करने वाले सदा अचल अडोल भव
कोई भी परिस्थिति जो भल हलचल वाली हो लेकिन बाबा कहा और अचल बनें। जब परिस्थितियों के चिंतन में चले जाते हो तो मुश्किल का अनुभव होता है। अगर कारण के बजाए निवारण में चले जाओ तो कारण ही निवारण बन जाए क्योंकि मास्टर सर्वशक्तिमान् ब्राह्मणों के आगे परिस्थितियां चींटी समान भी नहीं। सिर्फ क्या हुआ, क्यों हुआ यह सोचने के बजाए, जो हुआ उसमें कल्याण भरा हुआ है, सेवा समाई हुई है... भल रूप सरकमस्टांश का हो लेकिन समाई सेवा है-इस रूप से देखेंगे तो सदा अचल अडोल रहेंगे।
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