''मीठे बच्चे - यह पतित दुनिया एक पुराना गांव है, यह तुम्हारे रहने लायक नहीं, तुम्हें अब नई पावन दुनिया में चलना है''
प्रश्न: बाप अपने बच्चों को उन्नति की कौन सी एक युक्ति बताते हैं?
उत्तर: बच्चे, तुम आज्ञाकारी बन बापदादा की मत पर चलते रहो। बापदादा दोनों इकट्ठे हैं, इसलिए अगर इनके कहने से कुछ नुकसान भी हुआ तो भी रेस्पान्सिबुल बाप है, सब ठीक कर देगा। तुम अपनी मत नहीं चलाओ, शिवबाबा की मत समझकर चलते रहो तो बहुत उन्नति होगी।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) बन्धन काटने की युक्ति रचनी है। ज़िगरी बाप से प्रीत रखनी है। बाप का सबको पैगाम दे, सबका कल्याण करना है।
2) दूरादेशी बुद्धि से इस बेहद के खेल को समझना है। बेगर टू प्रिन्स बनने की पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है। याद का सच्चा-सच्चा चार्ट रखना है।
वर¬दान:- बेगर टू प्रिन्स का पार्ट प्रैक्टिकल में बजाने वाले त्यागी वा श्रेष्ठ भाग्यशाली आत्मा भव
जैसे भविष्य में विश्व महाराजन दाता होंगे। ऐसे अभी से दातापन के संस्कार इमर्ज करो। किसी से कोई सैलवेशन लेकरके फिर सैलवेशन दें-ऐसा संकल्प में भी न हो-इसे ही कहा जाता है बेगर टू प्रिन्स। स्वयं लेने की इच्छा वाले नहीं। इस अल्पकाल की इच्छा से बेगर। ऐसा बेगर ही सम्पन्न मूर्त है। जो अभी बेगर टू प्रिन्स का पार्ट प्रैक्टिकल में बजाते हैं उन्हें कहा जाता है सदा त्यागी वा श्रेष्ठ भाग्यशाली। त्याग से सदाकाल का भाग्य स्वत:बन जाता है।
स्लोगन: सदा हर्षित रहने के लिए साक्षीपन की सीट पर दृष्टा बनकर हर खेल देखो
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