Wednesday, May 19, 2010

परमात्मा सर्वशक्तिमान सत्ता और ज्ञान के सागर हैं-भगवान भाई

परमात्मा सर्वशक्तिमान सत्ता और ज्ञान के सागर हैं-भगवान भाई


देसूरी,28 जनवरी। प्रजापिता ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय आबू पर्वत के ब्रहमाकुमार भगवान भाई ने कहा कि परमात्मा एक है और वह निराकार एवं अनादि है। वे विश्व की सर्वशक्तिमान सत्ता और ज्ञान के सागर है। भगवान भाई बुधवार को सिंदरली,मादा व नाड़ोल कस्बे में आयोजित राजयोग कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जब सृष्टि पर अज्ञान अंधकार छाया होता है और काम, क्रोध आदि विकारों के वशीभूत मानव दु:खी और अशांत हो जाते हैं, धर्म अधर्म का रूप ले लेता है व भ्रष्टाचार का बोलबाला होता है, तब ज्ञान रूपी उषा की लालिमा अज्ञान रूपी कालिमा पर छाकर रात को दिन में परिवर्तित कर देती है। विकारी, अपवित्र दुनिया को निर्विकारी पावन दुनिया को सच्चा शिवालय बनाना, कलियुग दुखधाम के बदले सतयुग सुखधाम की स्थापना करना, केवल सर्वसमर्थ परमपिता परमात्मा शिव का ही कार्य है। अब कल्प के वर्तमान संगम युग में अवतरित होकर फिर से वही कर्तव्य परमपिता परमात्मा शिव कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि यह हैं अजन्मा। अर्थात अन्य आत्माओं के सदृश्य माता-पिता के गर्भ से जन्म नहीं लेते हैं और उन्हें पुन: दैवी राज्य की स्थापना का कर्तव्य भी करना है, वे इस कर्तव्य की पूर्ति हेतु परकाया प्रवेश करते हैं अर्थात स्वयंभू परमात्मा शिव प्रकृति को वश में करके साधारण तन में प्रविष्टï होते हैं और फिर उस तन का नाम रखते हैं प्रजापिता ब्रह्मïा। प्रजापिता ब्रह्मïा के साकार माध्यम द्वारा वे ज्ञान यज्ञ रचते हैं, जिसमें सारी असुरी सृष्टिï की आहुति पड़ जाती है।
इस अवसर पर बहन बी.के. शुचिता ने कहा कि राजयोग जीवन के प्रति एक विशेष दृष्टिकोण तथा एक श्रेष्ठ जीवन पद्धति है। इसे यदि मनुष्य रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल कर ले तो वह आत्मिक सुख हासिल कर सकता हैं। उन्होंने कहा कि प्रजापिता ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की विश्व के 72 देशों में 4,500 से अधिक शाखाएँ हैं। इन शाखाओं में 5 लाख विद्यार्थी प्रतिदिन नैतिक और आध्यात्मिक शिक्षा ग्रहण करते हैं।

No comments:

Post a Comment