Wednesday, May 19, 2010

प्रजापिता ब्रह्मïकुमारी ईश्वरीय विवि

भिलाई & ग्राम चीचा में प्रजापिता ब्रह्मïकुमारी ईश्वरीय विवि द्वारा 7 दिवसीय योग शिविर जारी है। राजयोग शिविर के उद्घाटन में पाटन सेवा केंद्र की शिक्षक शिवकुमारी ने कहा कि राजयोग स्वयं का परमात्मा से संबंध का नाम है। मन और बुद्धि का आध्यात्मिक अनुशासन राजयोग है।

यह विचारों के आवेग व संवेग का मार्गान्तरीकरण कर उनके शुद्धिकरण की प्रक्रिया है। राजयोग व्यक्ति के संस्कार शुुद्ध बनाने और चरित्रिक उत्थान द्वारा शारीरिक एवं आध्यात्मिक स्वास्थ्य लाभ का नाम है। इसके साथ ही यह जीवन की विपरीत एवं व्यस्त परिस्थितियों में संयम बनाए रखने की कला है। ब्रह्मïकुमारी गीता ने कहा कि आध्यात्मिकता का अर्थ स्वयं को जानना है। प्र्रेम छोटा सा शब्द है, पर जीवन में इसका बड़ा महत्व है। साधन बढ़ रहे हैं, लेकिन जीवन का मूल्य कम होता जा रहा है। उन्होंंने कहा कि सभी को भगवान से प्रेम है। परमात्मा सूर्य के समान है। उनसे निकलने वाली प्रेम रूपी किरणें सभी पर समान रूप से पड़ती है। उन्होंने कहा कि शांति हमारे अंदर है, इसे जानने के साथ ही महसूस करने की भी जरूरत है। भगवान कभी किसी को दुख नहीं देता बल्कि रास्ता दिखता हैे। काम, क्रोध, लोभ, मोह एवं अहंकार के त्याग से ही भगवान के दर्शन होते हैं। बीएसपी के जूनियर मैनेजर गोवर्र्धन लाल धुरंधर और देवकी चंद्राकर ने राजयोग के अभ्यास से उनके जीवन में हुए सकारात्मक परिवर्तन को साझा किए।

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