5000 स्कूलों कॉलेजों में और 800 जेलों कारगृहो में नैतिक मूल्यों का पाठ पढाकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज है
Wednesday, May 19, 2010
आधुनिक युग में राजयोग सिखने की बड़ी आवश्यकता है
इस आधुनिक युग में राजयोग सिखने की बड़ी आवश्यकता है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में सुख-शान्ति की इच्छा रखता है और वह जानता है कि शान्ति केवल भौतिक चरमसीमा तक पहँुच चुकी है परन्तु विदेशी फिर भी भारत में ही योग सीखने आते है. वे जानते है कि योग ही एक मात्र साधन है जिससे मानसिक तनाव होता है तथा तन-मन को सुख-शान्ति और शक्ति की प्राप्ति होती है. लेकिन खेद की बात है कि भारत के आदि, प्राचीन राजयोग के नाम पर आज अनेक प्रकार के हटयोग या केवल शारीरिक आसन ही सिखाये जाते है. इनसे शारीरिक स्तर पर लाभ अवश्य होता है परन्तु मन की गहरी शाक्तियों को जगाने के लिए तो राजयोग से ही पूर्ण सफलता मिलती है. मन को शक्तियाशाली बनाने के लिए तो राजयोग की ही आवश्यकता है. क्योंकि प्रत्येक चीज़ मन से ही आरम्भ होती है. वौसे भी 80 प्रतिशत शारीरकि रोग मानसिक तनाव के कारण ही उत्पन्न होते है. यहाँ जो राजयोग सिखाया जाता है इनमें कोई भी शारीरिक आसन नहीं बताये जाते है लेकिन हरेक बात आध्यात्मिकता तथा मनोवौज्ञानिक दृष्टिकोण के आधार पर व्यावहारिक रुप से समझाई जाती है. राजयोग एक ऐसा सहज व विश्व प्रिय योग है जिसका अभ्यास कोई भी व्यक्ति कर सकता है. चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, रंग, उम्र व्यवसाय, देश आदि का हो
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