Wednesday, May 19, 2010

परमात्मा यानी सर्व आत्माओं में परम

परमात्मा यानी सर्व आत्माओं में परम | जिनको हम कहते है की ये हर जगह और हर जीव में विद्यमान है ! सूअर कुत्ते बिल्ली गाय गधे में सब जगह मौजूद है ! एक दुष्ट आदमी में और एक क्रूर आदमी में भी परमात्मा मौजूद है ! दरअसल ये कहना परमात्मा को सबसे बड़ी गाली देना है ! परमात्मा सर्वव्यापी नहीं है ! अगर एक क्रूर आदमी के अन्दर परमात्मा है तो वो क्यों क्रूर होता है ?क्या परमात्मा के गुणों में क्रूरता का भी एक गुण है? एक व्यक्ति जो किसी को बेवजह मौत के घाट उतारता है या जघन्य अपराध करता है, तो उसके अन्दर विद्यमान परमात्मा कहाँ सोता है ? परमात्मा के गुण कहाँ रहते हैं! जैसे अगर एक इत्र की शीशी खुली छोड़ दी जाए तो उसकी खुशबु से पता चलेगा की इत्र की खुशबु है ! ठीक वैसे ही परमत्मा के गुण हैं शांति, दया, प्रेम, करुना, ज्ञान,अगर क्रूर व्यक्ति में परमात्मा का वास है तो वो गुण क्यों नहीं ! परमात्मा अगर सबमे विद्यमान है तो अवतरित होने की क्या आवश्यकता है जबकि सबमे पहले से मोजूद हैं? अवतार लेना अर्थात दूसरी जगह से आना, दूसरी जगह से आना अर्थात यहाँ ना होना !

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